Guru Purnima 2023: इस साल इस दिन पड़ रही है गुरु पूर्णिमा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Guru Purnima 2023: आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. गुरु पूर्णिमा के अवसर पर शिष्य अपने गुरुओं का आभार व्यक्त हैं. गुरु वह होते हैं जो आध्यात्मिक ज्ञान एवं शिक्षा द्वारा अपने शिष्यों का मार्गदर्शन करते हैं. इस साल 3 जुलाई को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाएगा.
Guru Purnima 2023: हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन पूर्णिमा तिथि पड़ती है. इस प्रकार 3 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा है. इसे गुरु पूर्णिमा भी कहा जाता है. गुरु पूर्णिमा के दिन विद्यार्थी अपने गुरु की सेवा करते हैं और गुरु को आदरभाव के साथ धन्यवाद देते हैं.
जानें शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, इस साल आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 2 जुलाई 2023 को रात में 8 बजकर 21 मिनट से हो रही है. इस तिथि का समापन अगले दिन 3 जुलाई, 2023 शाम 5 बजकर 08 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, इस साल गुरु पूर्णिमा 3 जुलाई 2023, सोमवार के दिन मनाई जाएगी.
जानें गुरु पूर्णिमा पूजा विधि
गुरु पूर्णिमा वाले दिन गुरु की पूजा की जानी चाहिए. इस दिन सुबह सबसे पहले स्नानादि के बाद साफ कपड़े पहनें. फिर अपने घर के पूजा स्थल में लगे देवी-देवताओं की प्रतिमा को प्रणाम करते हुए उनकी विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करें. इसके बाद पूजा स्थल पर रखे अपने गुरु की तस्वीर को माला फूल अर्पित कर उनका तिलक करें. पूजन के बाद अपने गुरु के घर जाकर उनका पैर छूकर आशीर्वाद जरूर लें.
गुरु पूर्णिमा का महत्व (Guru Purnima Mahatav)
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दिन अपने गुरु का ध्यान करें और उन्हें नमन जरुर करें.
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गुरु अपने शिष्य को आगे ले जाने का, सही दिशा दिखाने का काम करते हैं.
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गुरुओं के सम्मान में आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन ये पर्व गुरु को समर्पित किया जाता है.
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पूर्णिमा तिथि होने की वजह से इस दिन चंद्रमा की भी पूजा जरुर करें.
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इस दिन चंद्रमा को जल जरुर दें.
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जरुरतमंद लोगों को दान दें या भोजन कराएं.
गुरु पूर्णिमा मंत्र
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ॐ गुं गुरवे नम:।
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ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:।
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ॐ बृं बृहस्पतये नम:।
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ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।
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ॐ क्लीं बृहस्पतये नम:।
गुरु महाराज की आरती
जय गुरुदेव अमल अविनाशी, ज्ञानरूप अन्तर के वासी,
पग पग पर देते प्रकाश, जैसे किरणें दिनकर कीं।
आरती करूं गुरुवर की॥
जब से शरण तुम्हारी आए, अमृत से मीठे फल पाए,
शरण तुम्हारी क्या है छाया, कल्पवृक्ष तरुवर की।
आरती करूं गुरुवर की॥
ब्रह्मज्ञान के पूर्ण प्रकाशक, योगज्ञान के अटल प्रवर्तक।
जय गुरु चरण-सरोज मिटा दी, व्यथा हमारे उर की।
आरती करूं गुरुवर की।
अंधकार से हमें निकाला, दिखलाया है अमर उजाला,
कब से जाने छान रहे थे, खाक सुनो दर-दर की।
आरती करूं गुरुवर की॥
संशय मिटा विवेक कराया, भवसागर से पार लंघाया,
अमर प्रदीप जलाकर कर दी, निशा दूर इस तन की।
आरती करूं गुरुवर की॥
भेदों बीच अभेद बताया, आवागमन विमुक्त कराया,
धन्य हुए हम पाकर धारा, ब्रह्मज्ञान निर्झर की।
आरती करूं गुरुवर की॥
करो कृपा सद्गुरु जग-तारन, सत्पथ-दर्शक भ्रांति-निवारण,
जय हो नित्य ज्योति दिखलाने वाले लीलाधर की।
आरती करूं गुरुवर की॥
आरती करूं सद्गुरु की
प्यारे गुरुवर की आरती, आरती करूं गुरुवर की।