पटना. आषाढ़ शुक्ल गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई यानी बुधवार को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, ऐन्द्र योग व बव करण में मनायी जायेगी. इस अवसर पर ग्रह-गोचरों का उत्तम संयोग भी बन रहा है. इस दिन गुरु के प्रति सम्मान व कृतज्ञता प्रकट किया जाता है. सनातन धर्म में गुरु को ईश्वर से भी ऊंचा स्थान दिया गया है. गुरु कृपा से ही शांति, आंनद और मोक्ष प्राप्त होता है. पौराणिक मान्यता है कि आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन वेदों के रचयिता महर्षि देव व्यास का जन्म हुआ था. इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन व्यास जयंती भी मनायी जाती है.
गुरु को भगवान से भी बढ़कर माना जाता है. ज्योतिर्विद डा. श्रीपति त्रिपाठी इस साल गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई को मनाया जायेगा. यह कई मायनों में खास माना जा रहा है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन कई राज योग बन रहे हैं. दरअसल इस दिन शश, हंस, भद्र और रुचक नामक चार राज योग का निर्माण हो रहा है. इसके साथ ही इस दिन बुध ग्रह भी अनुकूल स्थिति में रहेंगे. जिसके बुधादित्य योग का निर्माण होगा. इसके अलावा शुक्र ग्रह मित्र ग्रहों के साथ बैठे हैं. जिसे बेहद शुभ माना जा रहा है. इस बार गुरु पूर्णिमा के दिन कई शुभ योग बनने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ गया है.
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ज्योतिष शास्त्र के विद्वान आचार्य राकेश झा ने कहा कि कल आषाढ़ शुक्ल गुरु पूर्णिमा पर पांच ग्रह मंगल, बुध, गुरु, शुक्र व शनि को अपनी स्वराशि में रहने से इस दिन का महत्व कई गुना बढ़ गया है. भूमि, भवन, वाहन के कारक ग्रह मंगल अपनी राशि मेष में रहकर रुचक योग तथा बुद्धि, विवेक, ज्ञान के कारक ग्रह बुध अपनी राशि मिथुन में रह करके भद्र योग तो वही ज्ञान, अध्यात्म, धर्म, व विवेक के कारक ग्रह बृहस्पति अपनी राशि में रहकर हंस योग का निर्माण करेंगे.
आचार्य डा. राघव नाथ झा के अनुसार इस बार गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई को सुबह चार बजे से शुरू होगी जो 14 जुलाई की रात 12 बजकर 06 मिनट तक रहेगी. इस दिन राजयोग बन रहा है, ऐसे में अगर आप चाहते हैं कि आपके जीवन में आ रही नौकरी में आ रही व्यवधान जैसी समस्याओं से निजात मिल जाये तो गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु का ध्यान करते हुए गुरु मंत्र का जप करें.