Guruvar Vrat Puja Vidhi: गुरुवार को भगवान बृहस्पति की पूजा का विधान है. इस पूजा से परिवार में सुख-शांति रहती है. जल्द विवाह के लिए भी गुरुवार का व्रत किया जाता है. बृहस्पति देव की पूजा और व्रत बहुत ही नियमों के साथ किया जाता है. आइए जानते हैं बृहस्पति देव की पूजा और व्रत कथा की विधि.
बृहस्पतिवार का दिन देवताओं के गुरु बृहस्पति को समर्पित है. इसी कारण इस दिन को बृहस्पतिवार या गुरुवार भी कहते हैं. एक पौराणिक मान्यता के अनुसार, पक्षियों में सबसे भारी अर्थात् गुरू गरूड़ देव ने कठिन तप करके बृहस्पतिवार को ही भगवान विष्णु की शरण प्राप्त की थी. तब से बृहस्पतिवार को भगवान विष्णु की पूजा का विशेष दिन माना जाने लगा है.
गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना करने से घर में सुख, समृद्धि आती है. स्वास्थ्य लाभ होता है तथा व्रत रखने से ऐच्छिक कामनाएं पूरी होती हैं. जिन लोगों के विवाह में बाधा आ रही हो, तो उनके द्वारा भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की एक साथ पूजन करने से बाधा दूर हो जाती है. इसके अलावा बृहस्पतिवार का दिन देवताओं के गुरु को समर्पित है, अतः इस दिन की हुई पूजा-पाठ ज्ञान में भी वृद्धि लाता है.
गुरुवार व्रत करने के लिए सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म और स्नान करें. इसके बाद पूजाघर या केले के पेड़ की नीचे विष्णु भगवान की प्रतिमा या फोटो रखकर उन्हें प्रणाम करें. कोई नया छोटा सा पीला वस्त्र भगवान को अर्पित करें. हाथ में चावल और पवित्र जल लेकर व्रत का संकल्प लें. एक लोटे में पानी और हल्दी डालकर पूजा के स्थान पर रखें. भगवान को गुड़ और धुली चने की दाल का भोग लगाएं. गुरुवार व्रत की कथा का पाठ करें. भगवान को प्रणाम करें और हल्दी वाला पानी केले की जड़ या किसी अन्य पौधे की जड़ों में डालें.