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Guruwar Aarti: गुरुवार को करें ये आरती ॐ जय बृहस्पति देवा . . . पूरी होगी हर इच्छा

Guruwar Aarti: गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है. आज के दिन विष्णु जी के बृहस्पति रूप का पूजन किया जाता है. बृहस्पति देव को देवताओं के गुरू हैं. आज भगवान विष्णु के साथ बृहस्पति देव की पूजा करने पर आपकी सभी इच्छाएं पूरी होगी.

Guruwar Aarti: हिंदू धर्म में सप्ताह का हर एक दिन अलग-अलग देवी-देवताओं को समर्पित है. गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है. गुरुवार के दिन भगवान विष्णु के साथ बृहस्पति देव की पूजा की जाती है. इस दिन श्रीहरि की उपासना करते हुए व्रत रखने से सुख-समृद्धि, धन-वैभव की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. विष्णु जी की पूजा करने से माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं. गुरुवार के दिन पूजा के बाद बृहस्पति देव की आरती जरुर करनी चाहिए. मान्यता है कि इस आरती के पढ़ें बिना बृहस्पतिवार की पूजा अधूरी रह जाती है.

श्री बृहस्पतिवार की आरती- ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा…

ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा।
छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।

तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।

चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।

तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।

तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।

दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।

सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।

श्री बृहस्पतिवार की आरती-

ॐ जय बृहस्पति देवा-

ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा।
छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।

तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।

चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।

तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।

दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।

सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।

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