वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर मामले के याचिकाकर्ता हरिहर पांडेय का रविवार को सुबह बीएचयू में निधन हों गया. तीन याचिकाकर्ताओ में से पहले ही दो याचिकाकर्ता सोमनाथ व्यास और रामनारायण शर्मा की मौत हो चुकी है. हरिहर पांडेय के निधन पर काशी के संतों ने उनके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की और दुख जताया. हरिहर पांडेय के निधन पर दुख प्रकट करने के लिए भारी संख्या में लोग उनके आवास पर पहुंचे थे. वहीं इस दुख की घड़ी में काशी की गंगा जमुनी तहजीब की झलक देखने को मिली. अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव एस. एम. यासीन ने भी हरिहर पांडेय के आवास पर पहुंचकर उनके निधन पर दुख प्रकट किया. हरिहर पांडेय के किडनी का डायलिसिस चल रहा था. तबियत बिगड़ने के बाद उनको काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सर सुंदर दास अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उनका निधन हो गया. 1991 ज्ञानवापी मामले में याचिकाकर्ता के साथ-साथ बनारस के कई मंदिरों और आयोजन को लेकर भी उन्होंने आवाज बुलंद की थी. 33 वर्षो से वह कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे.
वहीं मुस्लिम पक्ष की तरफ से हरिहर पांडेय के लक्सा-वाराणसी स्थित आवास पर पहुंचकर संवेदना प्रकट की. अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव एस. ऍम. यासीन और कमेटी के अन्य सदस्यों ने आवास पर पहुंचकर उनके परिजनों के प्रति दुख प्रकट किया. निश्चित तौर पर अदालती मुकदमें और कार्रवाई के दौरान यह दोनों पक्ष एक दूसरे के सामने देखे जाते थे, एक दूसरे पर कानूनी दलीलो की कटाक्ष करते थे. लेकिन आज एक अलग तस्वीर तब देखने को मिली जब मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष के इस गमगिन माहौल में आगे बढ़कर संवेदना जाहिर की हैं. निश्चित तौर पर धार्मिक विरासत और सांस्कृतिक विषयों से अलग काशी गंगा – जमुनी तहजीब के लिए भी जानी जाती है. जहां हिंदू और मुस्लिम पक्ष दोनों एक दूसरे के ऐसी परिस्थितियों में शामिल होते हैं. आज इसी परंपरा का निर्वहन किया गया.