19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Gyanvapi: आदि विश्वेश्वर की पूजा मामले में आज सुनवाई, सर्वे में ASI की मदद को पहुंचेगी IIT कानपुर की टीम

ज्ञानवापी का एएसआई सर्वे मंगलवार को भी जारी है. एएसआई की टीम ने ज्ञानवापी के गुंबदों की शुरुआती बनावट व निर्माण की भी जानकारी ली है. गुंबदों की थ्रीडी मैपिंग कराई गई. गुंबद के ऊपरी हिस्से की प्राचीनता का वैज्ञानिक विधि से अध्ययन किया गया.

Varanasi: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में मंगलवार को ज्ञानवापी से जुड़े ज्योतिर्लिंग आदि विश्वेश्वर की तरफ से दाखिल वाद पर सुनवाई होगी. इस मामले में ज्ञानवापी का मालिकाना हक हिंदुओं के पक्ष में घोषित करने और उस स्थान पर भव्य मंदिर निर्माण में केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग की मांग की गई है.

इसके साथ ही 1993 में की गई बैरिकेडिंग को हटाने का अनुरोध किया गया है. वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट में दायर यह वाद बड़ी पियरी निवासी अधिवक्ता अनुष्का तिवारी और इंदु तिवारी की तरफ से अधिवक्ता शिवपूजन सिंह गौतम, शरद श्रीवास्तव व हिमांशु तिवारी ने दाखिल किया है.

इससे पहले सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट की अदालत में 26 जुलाई को ज्ञानवापी से जुड़े ज्योतिर्लिंग लार्ड आदि विश्वेश्वर के मामले की सुनवाई नहीं हो सकी. कोर्ट में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से स्थगन प्रार्थना पत्र दिया गया. कहा गया कि ज्ञानवापी से जुड़े मामले की हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. वरिष्ठ अधिवक्ता उसी मामले में गए हैं.

Also Read: Moradabad 1980 Riots: यूपी विधानसभा में आज पेश होगी मुरादाबाद दंगे की रिपोर्ट, 43 साल बाद सच आएगा सामने

ऐसे में अगली तारीख देने की मांग की गई. इस पर अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 8 अगस्त तय की. इससे पहले भी पीठासीन अधिकारी के अवकाश पर रहने के कारण सुनवाई टल गई थी.

इस बीच वादिनी पक्ष की तरफ से अंजुमन इंतजामिया कमेटी के उस आवेदन पर आपत्ति जताई गई, जिसमें वाद के समर्थन में दिए गए साक्ष्यों की प्रति मांगी गई है. वादिनी पक्ष ने आपत्ति आवेदन में कहा कि जो भी साक्ष्य दिए गए हैं, वह सार्वजनिक व ऐतिहासिक हैं. इसे कमेटी खुद प्राप्त कर सकती है. यह मामले को विलंबित करने का प्रयास है. इसे खारिज किया जाना चाहिए. इस आवेदन पर अदालत अगली तारीख पर सुनवाई करेगी.

बड़ी पियरी निवासी अधिवक्ता अनुष्का तिवारी व इंदु तिवारी ने ज्योतिर्लिंग आदि विश्वेश्वर विराजमान की तरफ से अधिवक्ता शिवपूजन सिंह गौतम, शरद श्रीवास्तव और हिमांशु तिवारी के जरिये वाद दाखिल किया है. इसमें ज्ञानवापी स्थित आराजी संख्या को भगवान का मालिकाना हक घोषित करने, केंद्र व राज्य सरकार से भव्य मंदिर निर्माण में सहयोग करने और 1993 में कराई गई बैरिकेडिंग को हटाने की मांग की गई है. इस मामले में पुलिस आयुक्त, जिलाधिकारी, केंद्र और यूपी के सचिव, अंजुमन इंतजामिया कमेटी और काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को पक्षकर बनाया गया है.

इंतजामिया कमेटी आपत्ति करेगी दाखिल, 9 अगस्त को सुनवाई

ज्ञानवापी परिसर को सुरक्षित और अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के पदाधिकारियों का प्रवेश प्रतिबंधित करने की मांग वाली याचिका पर जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सुनवाई हुई. इस बीच अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने आपत्ति दाखिल करने के लिए समय मांगा. अदालत ने मामले की सुनवाई की तिथि नौ अगस्त तय की है.

इसमें कहा गया है कि ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी प्रकरण न्यायालय के समक्ष लंबित है. वाद के विपक्षी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के लोग उत्तर प्रदेश सरकार के माध्यम से इस परिसर में आते-जाते रहते हैं.

ज्ञानवापी का सर्वे जारी, देश के अन्य हिस्सों से भी पहुंच सकती है टीम

इस बीच ज्ञानवापी का एएसआई सर्वेक्षण का काम मंगलवार को भी जारी है. हिंदू पक्ष के वकील शुभाष नंदन चतुर्वेदी का कहना है कि एएसआई सर्वेक्षण सुचारू रूप से आगे बढ़ रहा है. वे मशीनों और उनकी इकाइयों की मदद से तकनीकी रूप से काम कर रहे हैं. जरूरत पड़ने पर एएसआई देश के किसी भी हिस्से से सर्वेक्षण विशेषज्ञों और टीमों को बुलाएगा. हम बस चाहते हैं कि मंदिर से जुड़े सबूत सामने आएं.

एएसआई की टीम सोमवार को पश्चिमी दीवार का गहन सर्वे किया. दीवार पर बने निशान, रंगाई-पुताई में इस्तेमाल सामग्री, ईंट-पत्थर के टुकड़े व दीवार की चिनाई में इस्तेमाल सामग्री के नमूने बतौर साक्ष्य जुटाए. मिट्टी के नमूने भी लिए. इसके जरिये भवन निर्माण की अवधि, उम्र आदि की जानकारी हासिल की जाएगी.

गुंबदों की कराई गई थ्रीडी मैपिंग

एएसआई की टीम ने ज्ञानवापी के गुंबदों की शुरुआती बनावट व निर्माण की भी जानकारी ली है. गुंबदों की थ्रीडी मैपिंग कराई गई. गुंबद के ऊपरी हिस्से की प्राचीनता का वैज्ञानिक विधि से अध्ययन किया गया. दीवार और गुंबद के बीच निर्माण में समानता नहीं मिली है. इसकी थ्रीडी मैपिंग, फोटो व वीडियोग्राफी कराई गई. जांच के लिए डायल टेस्ट इंडिकेटर लगाया गया. इसके जरिये निर्माण की एकरूपता और सतह का मिलान किया गया है.

ज्ञानवापी परिसर के सर्वे के बीच हिंदू पक्ष का दावा है कि पश्चिमी दीवार की जांच से सच सामने आएगा. यह हिस्सा व्यास तहखाने से जुड़ा है. मां शृंगार गौरी मंदिर तक जाने और निकलने का रास्ता भी इसी तरफ से था. सर्वे में तमाम साक्ष्य मिलेंगे. इसीलिए पश्चिमी दीवार व उसके आसपास के क्षेत्र में सर्वे आगे बढ़ाया जा रहा है.

जीपीआर सर्वे 9 अगस्त से हो सकता है शुरू

कहा जा रहा है कि 9 अगस्त से ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) तकनीक से सर्वे शुरू हो सकता है. आईआईटी कानपुर की विशेषज्ञों की टीम बुधवार की रात तक वाराणसी पहुंच सकती है. एएसआई ने आईआईटी कानपुर से ज्ञानवापी सर्वे में मदद मांगी है. आईआईटी के पास आधुनिक रडार है. रडार सर्वे में ज्ञानवापी परिसर का नए सिरे से अध्ययन किया जाएगा. जीपीआर की मदद से खोदाई के बगैर जमीन के नीचे का सच जाना जा सकता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें