वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट आने के बाद हिन्दू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दाखिल की है. जिसमें ज्ञानवापी में वजूखाने के सील एरिया को खोला जाए और शिवलिंग को बिना नुकसान पहुंचाए साइंटिफिक सर्वे करने का निर्देश देने की मांग की गई है. साथ ही शिवलिंग की कार्बन डेटिंग हो. वज़ूखाना में मई 2022 में शिवलिंग जैसी आकृति मिलने के दावों के बाद से सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ये जगह सील है. हिन्दू पक्ष उसे काशी विश्वनाथ का मूल शिवलिंग मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष वजूखाना का फ़व्वारा बताता है. हिन्दू पक्ष की दलील है एएसआई की रिपोर्ट के बाद भी कुछ ऐसे मसले हैं, जिनसे पर्दा उठना बाक़ी है. उनका कहना है कि ज्ञानवापी के वजूखाना में शिवलिंगनुमा आकृति को लेकर भी अब तक वास्तविकता सामने नहीं आ सकी है. इसका अब तक सर्वे नहीं हुआ है. हिन्दू पक्ष की तरफ से याचिका में यह भी कहा गया कि ज्ञानवापी मस्जिद में पूर्वी दीवार को चिनाई करवाकर बंद कर दिया गया था. अदालत के आदेश पर अब तक बिना कोई खुदाई किए सर्वे किया गया है. लिहाज़ा ये नहीं पता चला है कि बंद दीवार के पीछे क्या है.
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में आज याचिका दाखिल की गई है. ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दायर किया गया है, जिसमें कहा गया है कि 19 मई 2023 के आदेश को रद्द किया जाए. इसमें कोर्ट द्वारा ज्ञानवापी परिसर में पाए गए शिवलिंग का साइंटिफिक सर्वे पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया था. याचिका में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के महानिदेशक से वजूखाने के सील एरिया के भीतर स्थित शिवलिंग को कोई नुकसान पहुंचाए बिना इसका नेचर और संबंधित खासियतों को पता लगाने की मांग की गई है. आवेदन में कहा गया है कि शिवलिंग के आसपास आर्टिफिशियल, मॉर्डन दीवार और फर्शों को हटाकर सर्वे किया जाए. पूरे सील एरिया का उत्खनन और दूसरे वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करके सर्वेक्षण किया जाए और रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए.
बता दें कि पिछले साल 19 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें शिवलिंग के साइंटिफिक सर्वे की मांग की गई थी. ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग के साइंटिफिक एग्जामिनेशन कराने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. तब सुप्रीम कोर्ट ने कार्बन डेटिंग पर रोक लगा दी थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले साल 12 मई को ज्ञानवापी में सर्वे के दौरान मिले कथित शिवलिंग का नेचर और इतिहास का पता लगाने के लिए ASI की मॉनिटरिंग में कार्बन डेटिंग का आदेश दिया था. बता दें कि मुस्लिम पक्ष इस शिवलिंग को वजू खाना का एक फव्वारे बताता है.