Gyanvapi : वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में शनिवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मौजूद रही. इस दौरान ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास जी के तहखाने का शयन आरती तक एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने झांकी दर्शन किया. मंगला आरती से शुरू हुआ झांकी दर्शन का सिलसिला शयन आरती तक चलता रहा. व्यास जी के तहखाने में भी मंगला आरती से शयन आरती के सभी विधान पूर्ण किए गए. शनिवार को मंगला आरती के साथ श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन की शुरुआत हुई. मंगला आरती में पहुंचे दर्शनार्थियों ने तहखाने का भी झांकी दर्शन किया. मंगला आरती के बाद आम श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए गए. बाबा विश्वनाथ का दर्शन पूजन के लिए पहुंच रहे श्रद्धालुओं में व्यास जी के तहखाने में रखे विग्रहों के दर्शन करने की उत्सुकता सबसे अधिक रही. हर कोई पहले बाबा का दर्शन करने के बाद सीधे मंदिर परिसर में विराजमान नंदी के पास से ही तहखाने के दर्शन के लिए पहुंच रहा था. बता दें कि व्यासजी के तहखाने में पूजा-पाठ शुरू होने के विरोध में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की बंदी की अपील के दूसरे दिन शनिवार को माहौल सामान्य रहा. हालांकि, इस दौरान सुरक्षा कड़ी रही. पूजा-पाठ की अनुमति और उस पर आपत्तियों पर जिला जज की अदालत में 5 फरवरी को सुनवाई होगी. मसाजिद कमेटी ने जिला जज की अदालत के आदेश पर रोक लगाने की मांग की है. इस मामले में पुलिस और प्रशासन स्तर से अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है. तीसरे दिन भी श्री काशी विश्वनाथ धाम व उसके आसपास 10 क्विक रिस्पांस टीम, 15 इंस्पेक्टर, 60 सब इंस्पेक्टर व 250 सिपाही तैनात रहे.
Also Read: Gyanvapi : व्यासजी के तहखाने को मिला नया नाम, पांच पहर होगी आरती, जानें समय सारणी#WATCH | Uttar Pradesh: Visuals from outside the Gyanvapi complex in Varanasi. pic.twitter.com/Fj3ZofiiCp
— ANI (@ANI) February 4, 2024
ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने नौ देवी-देवताओं की 55 मूर्तियां पाई हैं. इसका जिक्र एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में किया है. रिपोर्ट के मुताबिक 55 में सबसे ज्यादा 15 शिवलिंग मिले हैं. उसमें आठ दक्षिणी तहखाना और छह पश्चिमी दीवार के पास मिले. मूर्तियों में तीन विष्णु, दो कृष्ण, तीन गणेश, पांच हनुमान, एक द्वारपाल, दो नंदी, एक अपस्मरापुरुषा, एक मकर, एक मन्नत तीर्थ आदि की हैं. मूर्तियां सबसे ज्यादा तहखानों से मिली हैं. इसके अलावा 14 टुकड़े भी मिले हैं. जांच में शिलालेख, टेराकोटा, धातु, कांच आदि की वस्तुएं भी प्राप्त हुई हैं. शिलालेख में देवताओं की मूर्तियां, मूसल, घरेलू सामान शामिल हैं. छोटे-छोटे बर्तन, घड़ा, लोटा, चिलम, हुक्का बेस और पाइप, टोंटीदार बर्तन, सुराही, विभिन्न आकार परई, पुरवा, गिलास, लैंप व उनके टुकड़े मिले हैं.
साथ ही विभिन्न शासनकाल के धातु की वस्तुओं में 93 सिक्के, उपकरण, आभूषण आदि भी मिले हैं. 64 सिक्के ब्रिटिश-भारत के हैं. इनमें ईस्ट इंडिया कंपनी, रानी विक्टोरिया, एडवर्ड सप्तम और जॉर्ज पंचम के सिक्के हैं. कुछ को जंग लगने के कारण पहचानना मुश्किल था. सिंधिया राजवंश का एक तांबे का सिक्का भी मिला. दो पैसे, तीन पैसे, पांच पैसे, 10 पैसे और 25 पैसे जैसे विभिन्न मूल्यवर्ग के आधुनिक भारतीय सिक्के भी मलबे में पाए गए हैं. संयुक्त अरब अमीरात का एक दिरहम मूल्यवर्ग का एक विदेशी सिक्का भी मिला. बता दें कि एएसआई टीम को सर्वेक्षण में कांच का एक पेंडेंट और एक टूटा हुआ शिवलिंग मिला. इसके अलावा लम्बी गर्दन वाले व लघु गोलाकार बर्तन भी पाए गए. एक चमकती हुई वस्तु भी है. उसे सुरक्षित रखा गया है.
पत्थर-259
टेराकोटा-27
मेटल-113 ग्लास या शीशा- 2
चमकती हुई वस्तु-1
ज्ञानवापी के एएसआई सर्वे से बाहर दिख रहीं सामग्रियों की पहचान हुई है जबकि जीपीआर से जमीन के अंदर की भी आकृतियां उजागर हुई हैं. इसी में पता चला कि दक्षिणी तहखाना के पहले भाग में एक गहरा कुआं भी था. सर्वे के अनुसार, कुआं पाट दिया गया था. उसकी गहराई आठ मीटर और चौड़ाई दो से तीन मीटर तक होने का अनुमान है. इसके अलावा ढाई-ढाई मी. के विशिष्ट कुओं की भी पहचान की गई है. जीपीआर तथा स्ट्रैटीग्राफी से नींव की स्थिति, उनकी मोटाई व गहराई, मिट्टी के लेयर, नीचे दबे पत्थरों की लंबाई-चौड़ाई की भी जानकारी मिली है. दक्षिणी तहखाने के बीच और पश्चिमी छोर वाले हिस्से में मैट्रिक्स के साथ बजरी मिली. यह तीन मीटर तक फैली है. बेसमेंट की परत करीब साढ़े तीन मीटर की गहराई तक है. तहखाने के नीचे एक से दो मीटर तक खोखली जगह भी मिली. उसके आसपास के हिस्से में बजरी से भराव किया गया है. नीचे डिब्बों या छोटे कमरों के आकार की चीजें इंगित होती हैं लेकिन इसमें अंतर नहीं हो पाया है.
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