ज्ञानवापी परिसर का सर्वे शुरू होने के बाद मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद पर भी सियासत हुई गरम, जानें पूरा मामला
मथुरा में भी शाही ईदगाह के सर्वे कराए जाने की मांग तेज हो गई है. हिंदू पक्ष का कहना है कि शाही ईदगाह मंदिर को तोड़कर बनाई गई है.
Mathura : वाराणसी में ज्ञानवापी का एएसआई सर्वे करने की अनुमति देने के बाद अब मथुरा में भी शाही ईदगाह के सर्वे कराए जाने की मांग तेज हो गई है. हिंदू पक्ष का कहना है कि शाही ईदगाह मंदिर को तोड़कर बनाई गई है. जिसके प्रमाण आज भी यहां मौजूद है. ऐसे में उन्होंने शाही ईदगाह में मौजूद प्रमाण के फोटो और पुस्तकों की वृंदावन में प्रदर्शनी लगाई और लोगों को यह बताने की कोशिश की गई की शाही ईदगाह मंदिर को तोड़ने के बाद बनाई गई है और इसके प्रमाण मौजूद है.
श्री कृष्ण जन्म भूमि को मुक्त कराने की मांग को लेकर न्यायालय में वाद दाखिल करने वाले श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप ने इस प्रदर्शनी का आयोजन किया. इस प्रदर्शनी में कुछ तस्वीर और कुछ किताबें रखी गई थी. वादी महेंद्र प्रताप सिंह का दावा है कि जो तस्वीर इस प्रदर्शनी में लगाई गई है. वह फोटो मस्जिद के अंदर मंदिर होने के प्रमाण देते हैं.
शाही ईदगाह मस्जिद था पहले मंदिर- हिंदू पक्ष का दावा
वृंदावन के चिंतामणि कुंज में लगाई गई दो दिवसीय प्रदर्शनी में श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष ने जो तस्वीर लगाई है. उनमें ओम, कमल और शेषनाग की आकृति है. महेंद्र प्रताप सिंह का दावा है कि यह आकृति मस्जिद की दीवारों पर मौजूद है. यह सभी आकृति सनातन धर्म का प्रतीक है. यह सब मस्जिद में क्यों है. इससे साफ पता चलता है कि शाही ईदगाह मस्जिद मंदिर को तोड़कर बनाई गई है.
महेंद्र प्रताप सिंह ने दावा किया कि 1670 में श्री कृष्ण जन्मस्थान परिसर में स्थित ठाकुर केशव देव मंदिर को तोड़कर उसके ऊपर शाही ईदगाह मस्जिद बना दी गई थी. ईदगाह के निर्माण में मंदिर के अवशेष ही प्रयोग किए गए. इसमें सनातन धर्म के प्रतीक चिन्ह बने हुए हैं. महेंद्र प्रताप सिंह का दावा है कि इस बात का प्रमाण श्री कृष्ण जन्मस्थान से जुड़ी पुस्तकों में मिलता है.
दीवारों पर मिले हैं कमल और ओम की आकृति
आपको बता दें श्री कृष्ण जन्मस्थान की 13.7 एकड़ भूमि को मुक्त कराने के लिए मथुरा कोर्ट में दाखिल किए गए वाद की सुनवाई के दौरान प्रदर्शनी में लगाए गए साक्ष्य प्रस्तुत कर चुके हैं. वादी और अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि ईदगाह की दीवारों पर कमल, अधिशेष और ओम की आकृति बनी हुई है. इसके अलावा वहां खंभे मंदिर की आकृति को दर्शाते हैं. महेंद्र प्रताप सिंह का दावा है कि यह सभी साक्ष्य उन्होंने अपने स्तर से एकत्रित किए हैं.
वृंदावन में आयोजित की गई इस प्रदर्शनी में साधु-संतों की भी मौजूदगी रही दो दिवसीय प्रदर्शनी में जमीन से संबंधित खसरा, खतौनी की छाया प्रति भी प्रदर्शित की गई. जिसमें समस्त 13.7 एकड़ जमीन श्री कृष्ण जन्म स्थान के नाम दर्ज बताई गई है. प्रदर्शनी में शामिल होने वाले संत मोहिनी शरण महाराज ने बताया कि हिंदू पक्ष ने अपने साक्ष्य को आम लोगों के सामने रखा है. अगर मुस्लिम पक्ष सही है तो वह भी लोगों के सामने मस्जिद होने के साक्ष्य रखें.