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गोरखपुरः बढ़ रहे हैं H3N2 इन्फ्लूएंजा के मरीज, काम नहीं आ रहीं एंटीबायोटिक दवाएं, OPD में लगी मरीजों की भीड़

यूपीः गोरखपुर में इन्फ्लूएंजा के लक्षणों वाले मरीज की संख्या भी बढ़ रही है. इस बीमारी से बचने के लिए जो गाइडलाइन जारी की गई है लेकिन उसका पालन नहीं हो रहा है. जबकि इन्फ्लूएंजा के मरीजों के लिए अलग कक्ष की व्यवस्था होनी चाहिए.

यूपीः गोरखपुर में मौसम धीरे-धीरे करवट ले रहा है. साथ ही इन्फ्लूएंजा के लक्षणों वाले मरीज की संख्या भी बढ़ रही है. इस बीमारी से बचने के लिए जो गाइडलाइन जारी की गई है. लेकिन उसका पालन नहीं हो रहा है. जबकि इन्फ्लूएंजा के मरीजों के लिए अलग कक्ष की व्यवस्था होनी चाहिए. एम्स, जिला अस्पताल, बीआरडी मेडिकल कॉलेज के ओपीडी में सर्दी, खांसी, बुखार के लगभग 30% व सांस फूलने के रोगियों में 20% की वृद्धि हुई है. दिल्ली में इन्फ्लूएंजा फैलने के बाद सरकार ने सचेत कर दिया है.

आयुर्विज्ञान अनुसंधान के वायरोलॉजिस्ट डॉक्टर ने क्या बताया

क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान के वायरोलॉजिस्ट डॉक्टर अशोक पांडे की माने तो ओपीडी में इन्फ्लूएंजा के रोगियों के लिए अलग कक्ष की व्यवस्था होनी चाहिए. कोविड संक्रमण से बचाव के लिए जो उपायों का पालन किया जाता था, वही उपाय का पालन इन्फ्लूएंजा में भी करना है. लेकिन अभी ना तो सोशल डिस्टेंस का पालन किया जा रहा है और ना ही ओपीडी में मास्क लगाया जा रहा है. जिले में इसके नए स्ट्रेन एच-3 एन-2 की जांच के लिए अभी तक एक भी नमूने नहीं लिए गए हैं.

सीएमओ डॉ. आशुतोष कुमार दुबे ने क्या बताया

सीएमओ डॉ. आशुतोष कुमार दुबे ने बताया कि गोरखपुर में इन्फ्लूएंजा का कोई भी गंभीर मरीज सामने नहीं आया है. इसीलिए अभी तक किसी का नमूना नहीं लिया गया है. इन्फ्लूएंजा के लक्षणों वाले जो भी मरीज सामने आ रहा है वह एक सप्ताह में ठीक हो जा रहे हैं. अगर कोई मरीज जिसको एक सप्ताह से अधिक समय से लक्षण दिख रहा है. उनकी जांच कर नमूने जांच के लिए भेजे जाएंगे.

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काम नहीं आ रहीं एंटीबायोटिक दवाएं

इन्फ्लूएंजा हो जाने से मरीजों को 10 से 15 दिन तक परेशान रहना पड़ रहा है. हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. बी एल अग्रवाल ने बताया कि इस बीमारी से घबराने की जरूरत नहीं है. बस कोविड प्रोटोकाल की तरह ही पालन कर आसानी से बचा जा सकता है. बदलते मौसम में अस्थमा और सीओपीडी के रोगियों की संख्या बढ़ गई है. इस बीमारी में एंटीबायोटिक दवा भी काम नहीं करते हैं. लक्षणों के आधार पर उनका उपचार किया जा रहा है.

रिपोर्ट –कुमार प्रदीप, गोरखपुर

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