हनुमान अष्टमी पर बन रहा यह शुभ योग, जानें क्यों कहा गया रामेष्ट, महाबल

हनुमान अष्टमी पर आज हस्त नक्षत्र और शोभन योग बन रहा है जिसे सर्व कार्यो में सिद्धि देने वाला योग माना गया है. इस दिन मंगल, शनि, राहु-केतु की शांति के लिए हनुमानजी की पूजा करने का विशेष महत्व है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 27, 2021 8:48 AM

आज हनुमान अष्टमी है. इस दिन को हनुमान के विजय दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जब भगवान श्रीराम का विजय उत्सव मनाया जा रहा था तब राम ने कहा था कि ये तो हनुमान का विजय उत्सव है क्योंकि इनके कारण ही हमने लंका पर विजय हासिल की है. हर साल पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हनुमान अष्टमी मनाई जाती है.

हनुमान जयंती पर बन रहा शुभ योग

आज हनुमान अष्टमी के दिन हस्त नक्षत्र और शोभन योग है जिसे सर्व कार्यो में सिद्धि देने वाला योग माना गया है. इस दिन मंगल, शनि, राहु-केतु की शांति के लिए हनुमानजी की पूजा करने का विशेष महत्व है.

हनुमान द्वादशनाम स्तुति
हनुमानअंजनीसूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।
रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिंगाक्षोअमितविक्रम:।।
उदधिक्रमणश्चेव सीताशोकविनाशन:।
लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।
स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।
राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन।।

यहां पढ़ें हनुमान जी के कई नाम

अलग-अलग प्रकरणों के कारण हनुमान के कई अलग-अलग नाम भी पड़े. हनुमान के इन नामों के उच्चारण मात्र से कई बिगड़े कार्य बन जाते हैं. जानें

हनुमान: ऐसा माना जाता है कि एक बार क्रोधित होकर इंद्र ने इनके ऊपर वज्र का प्रहार किया था, वह वज्र इनकी ठोड़ी यानी हनु पर लगा. हनु पर वज्र का प्रहार होने के के कारण ही उस दिन से पवन सूत का नाम हनुमान पड़ गया.

उदधिक्रमण: इस नाम का अर्थ है- समुद्र का अतिक्रमण करने वाले यानी लांघने वाले. समुद्र को लांघने के कारण ही इनका एक नाम ये भी है.
अमितविक्रम: विक्रम का अर्थ है पराक्रमी और अमित का अर्थ है बहुत अधिक. हनुमानजी के पराक्रम की कोई सीमा नहीं है, इसलिए इनका एक नाम ये भी है.
दशग्रीवदर्पहा: हनुमानजी ने कई बार रावण का घमंड तोड़ा इस कारण उनका नाम दशग्रीवदर्पहा पड़ा जिसका अर्थ है रावण का घमंड तोड़ने वाला. इसलिए इनका एक नाम ये भी प्रसिद्ध है.
अंजनीसूनु: माता अंजनी का पुत्र होने के कारण हनुमानजी को अंजनीसूनु भी कहा जाता है.
वायुपुत्र: हनुमानजी का एक नाम वायुपुत्र भी है. पवनदेव के औरस पुत्र होने के कारण ही इन्हें वायुपुत्र भी कहा जाता है.
महाबल: हनुमानजी के बल की कोई सीमा नहीं है. वे बलवानों में भी बलवान है. इसलिए इनका एक नाम महाबल भी है.
सीताशोकविनाशन: माता सीता के शोक का निवारण करने के कारण हनुमानजी का ये नाम पड़ा.

पिंगाक्ष: पिगांक्ष का अर्थ है- भूरी आंखों वाला. अनेक धर्म ग्रंथों में हनुमानजी को भूरी आंखों वाला बताया है. इसलिए इनका एक नाम पिंगाक्ष भी है.
फाल्गुनसुख: अर्जुन का एक नाम फाल्गुन भी है. हनुमानजी ने युद्ध में अर्जुन की सहायता की थी. फाल्गुनसुख का अर्थ है अर्जुन की सहायता करने वाले.
रामेष्ट: अनेक धर्म ग्रंथों में हनुमानजी को श्रीराम का प्रिय बताया गया है. रामेष्ट का अर्थ भी यही है- राम के प्रिय.
लक्ष्मणप्राणदाता: जब लक्ष्मण पर संकट आया तब हनुमानजी ने ही उनकी सहायता की. इसलिए हनुमानजी को लक्ष्मणप्राणदाता भी कहा गया है.

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