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Hanuman Ashtami:हनुमान अष्टमी पर इस विधि से करें बजरंगबली की पूजा, हनुमान द्वादशनाम स्तुति से बनेंगे बिगड़े काम

Hanuman Ashtami: आज हनुमान अष्टमी पर हनुमान द्वादशनाम स्तुति और बजरंगबली की पूजा कर अपने सारे बिगड़े काम बना सकते हैं. इस दिन शनि, राहु-केतु की शांति के लिए हनुमानजी की पूजा करने का विशेष महत्व है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 27, 2021 3:02 PM

हनुमान अष्टमी के दिन हस्त नक्षत्र और शोभन योग है जिसे सर्व कार्यो में सिद्धि देने वाला योग माना गया है. इस दिन मंगल, शनि, राहु-केतु की शांति के लिए हनुमानजी की पूजा करने का विशेष महत्व है. साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि और दुखों के निवारण के लिए बजरंगबली की पूजा करने की सलाह दी जाती है. जानें हनुमान अष्टमी पर बजरंग बली की पूजा किस विधि से करें.

हनुमान अष्टमी पर इस विधि करें बजरंगबली की पूजा

  • हनुमान अष्टमी के दिन हनुमान चालीसा का सात बार पाठ करें और 108 परिक्रमा लगाएं, ऐसा करने से मन की इच्छा पूरी होती है.

  • मंगल की शांति के लिए हनुमानजी को मीठा पान भेंट करना चाहिए.

  • हनुमान अष्टमी के दिन लाल मसूर की दाल काले पत्थर के शिवलिंग पर अर्पित करने से मंगल को शांत करने में मदद मिलती है.

  • शनि की शांति के लिए हनुमान अष्टमी के दिन हनुमत आराधना करनी चाहिए इसके तहत ऊं हं हनुमते नम: की 11 माला जाप काले हकीक या रूद्राक्ष की माला से करना चाहिए.

  • हनुमान अष्टमी के दिन शनि, मंगल और राहु-केतु की शांति के लिए हनुमानजी को चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर चोला चढ़ाना चाहिए.

  • हनुमान जी को बेसन के लड्डू का भोग लगाएं. चमेली के पुष्पों की माला हनुमानजी को अर्पित करने से सारी परेशानी दूर होती है.

  • हनुमान अष्टमी के दिन हनुमान मंदिर के शिखर पर लाल तिकोनी ध्वजा लगाने से सर्वत्र रक्षा और सर्वत्र विजय होती है.

  • इस दिन दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर में बैठकर हनुमान बाहु अष्टक के 21 पाठ करने से दूर होते हैं. शत्रुओं का नाश होता है.

  • हनुमानजी की प्रतिमा के दाहिने पैर के अंगूठे से सिंदूर लेकर घर के मुख्य द्वार पर स्वस्तिक बनाने से हर संकट से पूरे परिवार की रक्षा होती है. आर्थिक प्रगति के द्वार खुलते हैं.

  • हनुमान अष्टमी के दिन सुंदरकांड का पाठ करके हनुमानजी को देसी घी के हलवे का नैवेद्य लगाने से हर तरह की सुख-समृद्धि जीवन में आती है.

हनुमान द्वादशनाम स्तुति

हनुमान द्वादशनाम स्तुति
हनुमानअंजनीसूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।
रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिंगाक्षोअमितविक्रम:।।
उदधिक्रमणश्चेव सीताशोकविनाशन:।
लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।
स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।
राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन।।

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