Hanuman Chalisa: शनि देव को न्याय के देवता के रूप में जाना जाता है. व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब शनि देव रखते हैं. शनि देव की कू-दृष्टि से इंसान ही नहीं देवता भी कांपते हैं. लेकिन कुछ देवता ऐसे भी हैं जिनके भक्तों को शनिदेव कुछ नहीं कहते. उनमें संकटमोचन हनुमान भी शामिल है. मान्यता है कि हनुमान जी के भक्तों को शनि देव परेशान नहीं करते हैं. शनि देव (Shani Dev)ने हनुमान जी (Hanuman Ji) को वरदान दिया था कि वे उनके भक्तों को कभी भी परेशान नहीं करेंगे. इसीलिए शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करने पर शनि दोष से मुक्ति पायी जा सकती है और शनि की पीड़ा से राहत मिलती है…
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज निजमनु मुकुरु सुधारि।
बरनउं रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महावीर विक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन वरन विराज सुवेसा। कानन कुण्डल कुंचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। काँधे मूँज जनेऊ साजै।
शंकर सुवन केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग वन्दन।।
विद्यावान गुणी अति चातुर।राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। विकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा। नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कवि कोविद कहि सके कहाँ ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र विभीषन माना। लंकेश्वर भये सब जग जाना।।
जुग सहस्र योजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डरना।।
आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम वचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा। तिनके काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै।सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों युग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु-संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस वर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुम्हरे भजन राम को भावै। जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अन्त काल रघुबर पुर जाई। जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेई सर्व सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहिं बंदि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।।
दोहा
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
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हनुमान जी की पूजा करने से पूर्व स्नान करके खुद को स्वच्छ और पवित्र कर लें.
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हनुमान जी की प्रतिमा या फिर तस्वीर को किसी लाल आसन पर स्थापित करें.
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उसके बाद गंगाजल से खुद को और पूजा की सामग्री को पवित्र करें.
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धूप-दीप या दीया जलाकर भगवान राम और माता सीता की पूजा आराधना करें
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पूजा के दौरान श्री हनुमान को लाल वस्त्र, सिंदूर और लाल फूल अर्पित करें.
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अब रूई में चमेली का तेल डालकर भगवान हनुमान के सामने रख दें.
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घी या फिर सरसों तेल का दीपक, धुप और अगरबती जलायें.
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हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाएं. हनुमान जी को सिंदूर अती प्रिय है.
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हनुमान जी को चमेली के तेल या फिर तिल के तेल में सिंदूर मिलाकर प्रतिमा पर लगाएं.
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हनुमान जी को लाल वस्त्र या लाल लंगोट चढायें.
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लाल या फिर पीले पुष्प हनुमान जी को अर्पित करें.
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लाल फूलों की माला हनुमान जी को पहनायें.
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लाल कनेल फूल हनुमान जी को अर्पित करना शुभ होता है
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कथा, सुंदर काण्ड और हनुमान चालीसा का पाठ करने के बाद आरती करें.