Loading election data...

देवघर : हनुमान ने माता सीता को बताया था तपोवन पहाड़ का महत्व

बताया जाता है कि सीता माता ने इस मामले में हनुमानजी से सबूत भी मांगा था, तो हनुमानजी ने राम, लक्ष्मण, सीता के समक्ष कानि अंगुली से 11 बार पहाड़ के चट्टान पर अंगुली घुमायी तो चट्टान फटकर हुनमान जी की प्रतिमा के दोनों हिस्से में दिखाई दिया.

By Prabhat Khabar News Desk | January 18, 2024 5:13 AM

देवघर : अयोध्या में भगवान श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर उत्साह का माहौल है. 22 जनवरी को तपोवन पहाड़ पर भी दीप जलाये जायेंगे. तपोवन पहाड़ अपने साथ आध्यात्मिक व धार्मिक इतिहास भी समेटे हुए है. मंदिर के पुजारी सुधीर झा ने बताया कि तपोवन बालानंद ब्रह्मचारी की 44 वर्ष की कठोर तपस्या से खुश होकर भगवान शंकर ने उन्हें खुद दर्शन दिया था. बालानंद ब्रह्मचारी महाराज ने 1882 में पहाड़ की गुफा में आकर तपस्या शुरू की थी और 1926 में उन्हें भगवान भोलेनाथ के दर्शन भी हुए. बालानंद महाराज मूल रूप से उज्जैन के रहने वाले थे. उनकी तपस्या के दौरान दो बाघ उनके रक्षक थे. उन बाघों की अस्थियां भी पहाड़ पर मौजूद है. तपोवन पहाड़ का धार्मिक महत्व रामचरित मानस से भी जुड़ा हुआ है. लोगों का कहना है कि प्रभु श्रीराम 14 वर्ष का वनवास काटने के बाद अयोध्या लौटे. इसके बाद देश में चार तपोवन का दर्शन करने राम, लक्ष्मण, सीता व हनुमान आये थे. उसी दौरान हनुमान ने सीता माता को बताया था कि, जब रावण शिवलिंग ले जाने में कामयाब नहीं हुआ था तो उसने शिवलिंग ले जाने के लिए तपोवन पहाड़ पर आकर तपस्या शुरू की थी. देवताओं के कहने पर हनुमानजी ने उनकी तपस्या भंग की थी.

शिवलिंग को दोबारा ले जाने के लिए रावण ने पहाड़ पर की थी तपस्या

बताया जाता है कि सीता माता ने इस मामले में हनुमानजी से सबूत भी मांगा था, तो हनुमानजी ने राम, लक्ष्मण, सीता के समक्ष कानि अंगुली से 11 बार पहाड़ के चट्टान पर अंगुली घुमायी तो चट्टान फटकर हुनमान जी की प्रतिमा के दोनों हिस्से में दिखाई दिया. जब हनुमानजी ने सीता माता से पूछा कि, माते आप अंतर्यामी हैं, फिर भी यह सब जानने की जरूरत क्यों पड़ी तो सीता ने कहा कि हम सबकुछ जान रहे हैं, लेकिन लोग इस बात का विश्वास नहीं करेंगे. लोग तो हर बात का सबूत खोजते हैं. राम तीर्थ यात्रा के दौरान ही शंभू लिंग की पूजा करने आये थे. जिस कुंड से सीता माता ने स्नान कर शंभू लिंग का दर्शन किया था तपोवन पहाड़ के पास स्थित वह कुंड आज भी सीता कुंड के नाम से जाना जाता है. तपोवन पहाड़ मे आज भी शंभू लिंग, रावण गुफा, बजरंगबली चट्टान तोड़कर निकले उसके निशान, शंकर भगवान द्वारा बालानंद ऋषि का दर्शन देने के दौरान उनकी चरण पादुका, लक्ष्मी मंदिर, दुर्गा मंदिर आदि मौजूद है.

Also Read: देवघर : आज बाबा पर चढ़ेगा तिल, लगेगा खिचड़ी का भोग, सुबह 07:16 मिनट में प्रवेश करेगा पुण्यकाल

Next Article

Exit mobile version