Hanuman Ji ki Puja: हनुमानजी अपने भक्तों के सारे कष्ट हर लेते है. मंगलवार के दिन भगवान हनुमानजी को चोला चढ़ाने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. हनुमान जी को चोला चढाने से साधक को हनुमान जी कृपा प्राप्त होती हैं. धार्मिक मान्यता है कि हनुमान जी को चोला चढ़ाने से जातक पर चल रही शनि की साढ़े साती, ढैय्या, दशा या अंतरदशा या राहू या केतु की दशा या अंतरदशा में हो रहे कष्ट समाप्त हो जाते हैं, इसके साथ ही साधक के संकट और रोग दूर हो जाते हैं. कहा जाता है कि हनुमान जी भगवान शिव के ग्यारहवें रूद्र अवतार हैं. हनुमान जी को खास कर सिंदूर का चोला चढ़ाने से श्री राम जी की भी कृपा प्राप्त होती हैं.
हनुमान जी को चोला चढ़ाने के लिए श्री हनुमान जी वाला सिंदूर, गाय का घी या चमेली का तेल, शुद्ध गंगाजल मिश्रित जल, चांदी या सोने का वर्क या माली पन्ना (चमकीला कागज), धुप, दीप और श्री हनुमान चालीसा का पुस्तक रख लें.
चोला चढ़ाने की विधि
हनुमान जी को चोला चढ़ाने से पहले पुराना चोला उतारकर साफ गंगाजल से मिश्रित जल से स्नान करना चाहिए. स्नान के बाद प्रतिमा को साफ कपड़े से पोछने के बाद सिंदूर में घी या चमेली का तेल मिलाकर गाढ़ा लेप बना ले, इसके बाद सीधे हाथ से हनुमान जी को सम्पूर्ण शरीर पर लेपन करें.
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हनुमान जी को चोला मंगलवार, शनिवार या विशेष पर्व जैसे की श्री हनुमान जंयती, रामनवमी, दीपवाली और होली के दिन चढ़ा सकते है.
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हनुमान जी के लिए लगाने वाला सिंदूर सवा के हिसाब से लगाना चाहिए. जैसे की सवा पाव, सवा किलो आदि.
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सिंदूर में मंगलवार के दिन देसी गाय का घी और शनिवार के दिन केवल चमेली के तेल का ही प्रयोग करना चाहिए.
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हनुमान जी को चोला चढ़ाने के समय साधक को पवित्र यानी साफ लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए.
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हनुमान जी चोला चढाते समय सिंदूर में गाय का घी या चमेली का तेल ही मिलाना चाहिए.
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हनुमान जी को चोला चढ़ाने से पहले पुराने छोले को उतारा जरुर चाहिए और उसके बाद उस चोले को बहते हुए जल में बहा देना चाहिए.
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हनुमान जी की प्रतिमा पर चोला का लेपन अच्छी तरह मलकर, रगड़कर चढ़ाना चाहिए उसके बाद चांदी या सोने का वर्क चढ़ाना चाहिए.
सिन्दूरं रक्तवर्णं च सिन्दूरतिलकप्रिये ।
भक्तयां दत्तं मया देव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम ।।
अब इस मंत्र के साथ हनुमानजी को धूप-दीप दिखाएं
साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया।
दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम्।।
भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने।।
त्राहि मां निरयाद् घोराद् दीपज्योतिर्नमोस्तु ते।।
ऊँ हनुमते नम:, दीपं दर्शयामि।।
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एक थाली में कपूर या घी का दीपक जलाकर 11 बार श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें, इसके बाद हनुमानजी की आरती करें. फिर हनुमानजी पूजन के पश्चात अज्ञानतावश पूजन में कुछ कमी रह जाने या गलतियों के लिए हनुमानजी के सामने हाथ जोड़कर क्षमा याचना करें.