Diwali 2021: दिवाली के दिन ‘इसलिए’ नहीं की जाती है मां लक्ष्मी के साथ इस भगवान की पूजा, जानें कारण
Diwali 2021 Puja: मान्यता है दीपावली पर मां लक्ष्मी की पूजा करने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है. कहते हैं कि शुभ मुहूर्त और शुभ दिनों में विशेष रूप से उनकी पूजा-अर्चना की जाए, तो भगवान जल्दी प्रसन्न होकर भक्तों के कष्ट दूर करते हैं.
वैसे तो देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए उनके समर्पित दिनों में पूजा-पाठ किया जाता है. लेकिन कहते हैं कि शुभ मुहूर्त और शुभ दिनों में विशेष रूप से उनकी पूजा-अर्चना की जाए, तो भगवान जल्दी प्रसन्न होकर भक्तों के कष्ट दूर करते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं, दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा (Diwali 2021 lakshmi Puja) का विधान है.
दिवाली पर इन देवी-देवताओं का होता है विशेष पूजन
दीपावली के पावन पर्व पर भगवान गणेश और मां लक्ष्मी के अलावा धन के देवता कुबेर, माता काली और मां सरस्वती की पूजा का भी विधान है. लेकिन इन सभी के लिए की जाने वाली विशेष पूजा के साथ भगवान विष्णु की पूजा क्यों नहीं की जाती है, यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है जो अक्सर लोगों के मन में आता है, जबकि भगवान विष्णु की पत्नी माता लक्ष्मी को लोग पूरे विधि-विधान से पूजते हैं. आइए जानते हैं कि आखिर दिवाली की रात भगवान विष्णु के बगैर क्यों पूजी जाती हैं माता लक्ष्मी.
इसलिए नहीं पूजे जाते भगवान विष्णु
दिवाली के दिन मां लक्ष्मी के साथ कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन उनके साथ भगवान विष्णु की पूजा न करने के पीछे की वजह खास है. दरअसल, भगवान विष्णु चातुर्मास के दौरान निद्रालीन रहते हैं और दिवाली के बाद देवउठनी एकादशी पर ही जागते हैं. चूंकि दिवाली चातुर्मास के दौरान पड़ती है लिहाजा उनकी निद्रा भंग न हो इसलिए दिवाली के दिन उनका आह्वान-पूजा नहीं की जाती है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन जब भगवान विष्णु नींद से जागते हैं उस दिन देव दीपावली मनाई जाती है. इस दिन मंदिरों में खूब सजावट की जाती है और फूलों की रंगोलियां सजाई जाती हैं.
दिवाली 2021: शुभ मुहूर्त
मान्यता है दीपावली पर मां लक्ष्मी की पूजा करने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है. दीपावली का पर्व विक्रम संवत कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास के पहले दिन अमावस्या को मनाया जाता है. लक्ष्मी पूजा भी दिवाली उत्सव का एक हिस्सा होता है जो 4 नवंबर को होगी.
दिवाली पूजा या लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 4 नवंबर को शाम 6 बजकर 9 मिनट से 8 बजकर 4 मिनट तक है. यह समय दिल्ली-एनसीआर का है. अलग-अलग शहर के पूजा समय में मामूली अंतर भी हो सकता है.