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Happy Janmashtami 2021 : झारखंड के गढ़वा ठाकुरबाड़ी मंदिर में कृष्ण के बालरूप की होती है पूजा, ये है तैयारी

गढ़वा के ठाकुरबाड़ी मंदिर (Garhwa Thakurbari temple) में जन्माष्टमी (Janmashtami) पर कृष्ण जन्मोत्सव का आयोजन किया जाता है. कोरोना (corona) के कारण मंदिर में बाहरी श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक है. राजस्थानी कला (Rajasthani art) से प्रभावित होकर इस मंदिर की स्थापना की गयी थी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 30, 2021 2:42 PM

Happy Janmashtami 2021, गढ़वा न्यूज (राजकमल तिवारी): झारखंड के गढ़वा शहर के मुख्य बाजार पथ स्थित बड़ा ठाकुरबाड़ी मंदिर में जन्माष्टमी की पूजा की जा रही है. कोरोना के कारण मंदिर में बाहरी श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक है. पुरोहितों द्वारा विधित पूजा अर्चना की जा रही है. आपको बता दें कि राजस्थान की कलाकृति से प्रभावित होकर व्यवासायी भाइयों ने 1844 में इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के बालरूप की प्रतिमा की स्थापना की थी.

हर वर्ष जन्माष्टमी के मौके पर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का आयोजन किया जाता है. मंदिर की स्थापना 1844 में स्वर्गीय शिव साव एवं सेवा साव ने करायी थी. दोनों सगे भाई थे तथा दोनों संस्थापक राजस्थान से व्यापार करने के दौरान वहां की कलाकृति से प्रभावित होकर उसी तरह मंदिर का निर्माण कराया था. इन्होंने मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की प्रतिमा स्थापित करायी थी.

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प्रत्येक वर्ष जन्माष्टमी की रात में श्री कृष्ण जन्मोत्सव का आयोजन किया जाता है. इस दिन यहां मंदिर को सजाया जाता है एवं रात्रि में श्री कृष्ण के जन्म पर जन्मोत्सव का आयोजन किया जाता है. उनके जन्म के बाद छठी करने की परंपरा है. मंदिर में वर्ष 1992 में मां दुर्गा की प्रतिमा की भी स्थापना की गयी. तब से मंदिर में दुर्गा पूजा का भी आयोजन किया जाता है. संस्थापक के परिवार के सदस्य स्वर्गीय खुश दिल प्रसाद के द्वारा सन 1992 में मंदिर का जीर्णोद्धार अपने निजी पैसों से कराया गया था.

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मंदिर के पुजारी पंडित कृष्ण मुरारी पाठक एवं शंभू नाथ पाठक प्रतिदिन मंदिर में आकर भगवान का पूजन तथा भोग लगाते हैं. मंदिर बाजार के बीच में होने के कारण काफी प्रसिद्ध है. संस्थापक के परिवार के पीएन गुप्ता, बलराम भगत, शशि शेखर गुप्ता, डॉ संजय कुमार, राजीव कुमार उर्फ बबलू, बृज बिहारी प्रसाद, डॉ विकास कुमार, सचितानंद प्रसाद, लल्लन प्रसाद, प्रदीप कुमार आदि वर्तमान में मंदिर की देखरेख एवं उसके रखरखाव करते हैं.

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Posted By : Guru Swarup Mishra

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