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शरद पूर्णिमा पर बन रहा खास योग
इस साल शरद पूर्णिमा पर काफी खास संयोग बन रहा है इस दिन वर्धमान के साथ धुव्र योग बन रहा है। इसके साथ उत्तराभाद्र और रेवती नक्षत्र बन रहा है. ऐसे में शरद पूर्णिमा का दिन काफी खास है.
शरद पूर्णिमा के दिन इन बातों का रखें ध्यान
शरद पूर्णिमा के दिन फल और जल का सेवन करके व्रत रखा जा सकता है. इस दिन सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए. इस दिन काले रंग के वस्त्र पहनने से बचना चाहिए। सफेद रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है. शरद पूर्णिमा के दिन व्रत कथा अवश्य सुननी चाहिए.
शरद पूर्णिमा की खीर का है खास महत्व
कहते हैं शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा धरती के बहुत करीब होता है. इस दिन मध्यरात्रि में मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण कर अपने भक्तों की दुख-तकलीफें दूर करती हैं. धन-दौलत लाभ के लिए ये दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है साथ ही रात में खुले आसमान के नीचे खीर रखने का विधान है.
शरद पूर्णिमा 2022 शुभ मुहूर्त
शरद पूर्णिमा 09 अक्टूबर को सुबह 03 बजकर 41 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि 10 अक्टूबर को सुबह 02 बजकर 25 मिनट तक रहेगी.
शरद पूर्णिमा पर बन रहा खास योग
इस साल शरद पूर्णिमा पर काफी खास संयोग बन रहा है इस दिन वर्धमान के साथ धुव्र योग बन रहा है. इसके साथ उत्तराभाद्र और रेवती नक्षत्र बन रहा है. ऐसे में शरद पूर्णिमा का दिन काफी खास है.
खीर के भोग का महत्व
शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है. मान्यता है कि मां लक्ष्मी भक्तों को कष्टों से मुक्ति दिलाती हैं. शरद पूर्णिमा के दिन खीर का भोग लगाकर आसमान के नीचे रखी जाती है.
जानें क्यों किया जाता है शरद पूर्णिमा व्रत
एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक साहूकार की दो बेटियां थीं. दोनों पूर्णिमा का व्रत रखती थीं. एक बार बड़ी बेटी ने पूर्णिमा का विधिवत व्रत किया, लेकिन छोटी बेटी ने व्रत छोड़ दिया. जिससे छोटी लड़की के बच्चों की जन्म लेते ही मृत्यु हो जाती थी. एक बार साहूकार की बड़ी बेटी के पुण्य स्पर्श से छोटी लड़की का बालक जीवित हो गया। कहते हैं कि उसी दिन से यह व्रत विधिपूर्वक मनाया जाने लगा.
शरद पूर्णिमा पर क्या करें
शरद पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर व्रत का संकल्प लें. इसके बाद किसी पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें. स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद अपने ईष्टदेव की अराधना करें. पूजा के दौरान भगवान को गंध, अक्षत, तांबूल, दीप, पुष्प, धूप, सुपारी और दक्षिणा अर्पित करें. रात्रि के समय गाय के दूध से खीर बनाएं और आधी रात को भगवान को भोग लगाएं. रात को खीर से भरा बर्तन चांद की रोशनी में रखकर उसे दूसरे दिन ग्रहण करें. यह खीर प्रसाद के रूप में सभी को वितरित करें.
इस दिन खाएं खीर
शरद पूणिमा के दिन चंद्रमा की भी पूजा की जाती है और पूजा के अंत में चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है. उन्हें गाय के दूध और चावल की खीर बनाकर भोग लगाया जाता है. इसके बाद इस खीर को रात में खुले आसमान के नीचे रख देते हैं. मान्यता है कि रात में चंद्रमा द्वारा अमृत वर्षा की जाती है. इससे यह खीर अमृतमयी हो जाती है. अगले दिन सुबह इस खीर को प्रसाद स्वरूप परिवार के सभी लोगों में बांटी जाती है. मान्यता है कि इसके खाने से घर परिवार की सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं.
शरद पूर्णिमा तिथि 2022
पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 09 अक्टूबर दिन रविवार को तड़के 03 बजकर 41 मिनट पर हो रहा है. इस तिथि का समापन अगले दिन 10 अक्टूबर सोमवार को तड़के 02 बजकर 24 मिनट पर होगा. ऐसे में उदयातिथि के आधार पर इस साल शरद पूर्णिमा 09 अक्टूबर को है.
शरद पूर्णिमा 2022 चंद्रोदय समय
इस साल शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा का उदय शाम 05 बजकर 51 मिनट पर होगा. जिन लोगों को व्रत रखना है वे 09 अक्टूबर को ही शरद पूर्णिमा का व्रत रखेंगे और शाम के समय में चंद्रमा की पूजा करेंगे.
शरद पूर्णिमा पर क्या करें
शरद पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर व्रत का संकल्प लें. इसके बाद किसी पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें. स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद अपने ईष्टदेव की अराधना करें. पूजा के दौरान भगवान को गंध, अक्षत, तांबूल, दीप, पुष्प, धूप, सुपारी और दक्षिणा अर्पित करें. रात्रि के समय गाय के दूध से खीर बनाएं और आधी रात को भगवान को भोग लगाएं. रात को खीर से भरा बर्तन चांद की रोशनी में रखकर उसे दूसरे दिन ग्रहण करें. यह खीर प्रसाद के रूप में सभी को वितरित करें.
Sharad Purnima 2021: शरद पूर्णिमा के पूजन मंत्र
1-ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:..
2- ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा..
3- ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:.
अलग अलग नाम से पुकारा जाता है इस दिन को
इस तिथि को देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है. इसे कौमुदी उत्सव, कुमार उत्सव, शरदोत्सव, रास पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा और कमला पूर्णिमा भी कहते हैं.
शरद पूर्णिमा के दिन इन बातों का रखें ध्यान
शरद पूर्णिमा के दिन फल और जल का सेवन करके व्रत रखा जा सकता है. इस दिन सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए. इस दिन काले रंग के वस्त्र पहनने से बचना चाहिए। सफेद रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है. शरद पूर्णिमा के दिन व्रत कथा अवश्य सुननी चाहिए.
क्यों खास है शरद पूर्णिमा
कहते हैं साल में शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी संपूर्ण सोलह कलाओं के साथ निकलता है, इसलिए शरद पूर्णिमा के दिन भगवान चंद्र देव की विशेष उपासना का विधान है. इस दिन महिलाएं उपवास रख अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं.
इस दिन खीर खाना क्यों होता है शुभ
शरद पूर्णिमा के दिन आपने बहुत से लोगों को छत पर खीर रखते हुए देखा होगा. कहा जाता है इस दिन आसमान से अमृत की वर्षा होती है. ऐसे में जो भी इस रात चंद्रमा के नीचे रखकर खीर खाता है उसे किसी भी प्रकार की बीमारी नहीं होती है. कई पौराणिक कथाओं में भी शरद पूर्णिमा के दिन खीर खाने के प्रचलन के बारे में बताया गया है.
चंद्रमा की 16 कला (Moon 16 Kala)
अमृत
मनदा (विचार)
पूर्ण (पूर्णता अर्थात कर्मशीलता)
शाशनी (तेज)
ध्रुति (विद्या)
चंद्रिका (शांति)
ज्योत्सना (प्रकाश)
कांति (कीर्ति)
पुष्टि (स्वस्थता)
तुष्टि(इच्छापूर्ति)
पूर्णामृत (सुख)
प्रीति (प्रेम)
पुष्प (सौंदर्य)
ज्योत्सना (प्रकाश)
श्री (धन)
अंगदा (स्थायित्व)
शरद पूर्णिमा का महत्व
शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा, कौमुदी व्रत, जैसे नामों से जाना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था. इसलिए देश के कई हिस्सों में इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है. इस तिथि को धन दायक माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी धरती पर आती है. चंद्रमा इस दिन अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत का बरसात होती है.
प्रबोधिनी एकादशी पर हुआ भगवान विष्णु का तुलसी से विवाह
प्रबोधिनी एकादशी पर भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा की जाती है और तुलसी से विवाह किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान श्री हरि चार महीने की गहरी नींद से जाग जाते हैं. देवोत्थान एकादशी का व्रत भगवान के आनंद में किया जाता है जो नींद से जाग चुके हैं। कहा जाता है कि इसी दिन उनका विवाह तुलसी से हुआ था. बंगाली समाज में इस दिन लक्ष्मी की पूजा की जाती है. इस दिन लक्ष्मी जी को पांच प्रकार के फल और पांच प्रकार की मिठाई का भोग लगाया जाता है.
इस दिन की जाती है भगवान विष्णु की पूजा
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और सुबह सत्यनारायण भगवान कथा का पाठ किया जाता है. इसके बाद कार्तिक मास की एकादशी जिसे देवथानी एकादशी या देवस्थानी एकादशी कहा जाता है, इस दिन तुलसीविवा किया जाता है. इस दिन श्री हरि की पूजा, भगवान सत्यनारायण की कथा और तुलसी-शालिग्राम का विवाह किया जाता है.
कल स्नान, दान, व्रत और धार्मिक अनुष्ठान संपन्न होंगे
पूर्णिमा तिथि का मान नौ अक्तूबर को होने के कारण स्नान, दान, व्रत और धार्मिक अनुष्ठान संपन्न होंगे. इस पूर्णिमा में अनोखी चमत्कारी शक्ति निहित मानी जाती है. 16 कलाओं से युक्त चंद्रमा से निकली रोशनी समस्त रूपों वाली बताई गई है.
इन नामों से भी जाना जाता है शरद पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा के पर्व को कौमुदी उत्सव, कुमार उत्सव, शरदोत्सव, रास पूर्णिमा, कोजागिरी पूर्णिमा एवं कमला पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.
क्यों खास है शरद पूर्णिमा
कहते हैं साल में शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी संपूर्ण सोलह कलाओं के साथ निकलता है, इसलिए शरद पूर्णिमा के दिन भगवान चंद्र देव की विशेष उपासना का विधान है. इस दिन महिलाएं उपवास रख अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं.
शरद पूर्णिमा के पूजन मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।
ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।
शरद पूर्णिमा पर उपाय
खीर में मिश्रित दूध, चीनी और चावल के कारक भी चंद्रमा ही हैं अतः इनमें चंद्रमा का प्रभाव सर्वाधिक रहता है जिसके परिणाम स्वरूप किसी भी जातक की जन्म कुंडली में चंद्रमा क्षीण हों, महादशा-अंतर्दशा या प्रत्यंतर्दशा चल रही हो या चंद्रमा छठवें, आठवें या बारहवें भाव में हो तो चन्द्रमा की पूजा करते हुए स्फटिक माला से 'ॐ सों सोमाय' मंत्र का जाप करें, ऐसा करने से चंद्रजन्य दोष से शान्ति मिलेगी.
क्यों मनाया जाता है शरद पूर्णिमा
इस दिन चंद्रदेव की भी पूजा अर्चना करने का विधान हैं. शास्त्रों के अनुसार माता लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन ही हुआ था. इसीलिए देश के कई हिस्सों में शरद पूर्णिमा को लक्ष्मीजी के पूजन का दिन माना जाता है. कुंआरी कन्याएं इस दिन सुबह सूर्य और चन्द्र देव की पूजा अर्चना करें तो उन्हें मनचाहे वर पाने का वरदान मिलता है.
शरद पूर्णिमा पर बन रहा खास संयोग
शरद पूर्णिमा पर इस साल खास संयोग बन रहा है. इस दिन वर्धमान के साथ ध्रुव योग का शुभ संयोग बन रहा है. इसके साथ ही उत्तराभाद्र और रेवती नक्षत्र भी बन रहा है.
शरद पूर्णिमा के दिन इस विधि देवी लक्ष्मी पूजा
रात्रि में मां लक्ष्मी की षोडशोपचार विधि से पूजा करके 'श्रीसूक्त' का पाठ, 'कनकधारा स्तोत्र', विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ अथवा भगवान् कृष्ण का 'मधुराष्टकं' का पाठ ईष्टकार्यों की सिद्धि दिलाता है पूजा में मिष्ठान, मेवे और खीर का भोग लगाएं.
शरद पूर्णिमा पूजा विधि
शरद पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर व्रत का संकल्प लें.
इसके बाद किसी पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें.
स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद अपने ईष्टदेव की अराधना करें.
पूजा के दौरान भगवान को गंध, अक्षत, तांबूल, दीप, पुष्प, धूप, सुपारी और दक्षिणा अर्पित करें.
रात्रि के समय गाय के दूध से खीर बनाएं और आधी रात को भगवान को भोग लगाएं.
रात को खीर से भरा बर्तन चांद की रोशनी में रखकर उसे दूसरे दिन ग्रहण करें.
यह खीर प्रसाद के रूप में सभी को वितरित करें.
शरद पूर्णिमा का महत्व
शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा, कौमुदी व्रत, जैसे नामों से जाना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था. इसलिए देश के कई हिस्सों में इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है. इस तिथि को धन दायक माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी धरती पर आती है. चंद्रमा इस दिन अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत का बरसात होती है.
शरद पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि आरंभ- 9 अक्टूबर सुबह 3 बजकर 41 मिनट से शुरू
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 10 अक्टूबर सुबह 2 बजकर 25 मिनट तक
चंद्रोदय का समय- 9 अक्टूबर शाम 5 बजकर 58 मिनट
शरद पूर्णिमा पर बन रहा खास योग
इस साल शरद पूर्णिमा पर काफी खास संयोग बन रहा है इस दिन वर्धमान के साथ धुव्र योग बन रहा है. इसके साथ उत्तराभाद्र और रेवती नक्षत्र बन रहा है. ऐसे में शरद पूर्णिमा का दिन काफी खास है.
शरद पूर्णिमा का महत्व
हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का काफी महत्व है. शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा, कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है. माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी समुद्र मंथन के दौरान प्रकट हुई थी. इस दिन मां की पूजा विधिवत तरीके से करने से सुख-समृद्धि, धन वैभव की प्राप्ति होती है.
चंद्रोदय समय
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय समय : शाम 05 बजकर 58 मिनट
शरद पूर्णिमा 2022 मुहूर्त (Sharad Purnima 2022 Muhurat)
अश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा यानी कि शरद पूर्णिमा तिथि 9 अक्टूबर 2022 को सुबह 03 बजकर 41 मिनट से शुरू होगी. पूर्णिमा तिथि अगले दिन 10 अक्टूबर 2022 को सुबह 02 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी.