दो दशक में पहली बार चुनावी दंगल से बाहर रहेंगे हरक सिंह रावत, कांग्रेस में वापसी का दांव हो गया फेल

उत्तराखंड में 14 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सभी दलों की ओर से अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दिए जाने के बाद यह साफ हो गया है कि पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत इस बार के चुनावी दंगल में दांव आजमाते दिखाई नहीं देंगे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 29, 2022 10:45 AM

देहरादून : उत्तराखंड की राजनीति के महारथी और मौसम विज्ञानी कहे जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री हरक सिंह रावत का दांव दो दशक में पहली बार फेल होता दिखाई दे रहा है. भाजपा को छोड़कर कांग्रेस में दोबारा शामिल होने के बावजूद ऐसा पहली बार होगा, जब उत्तराखंड राजनीति के महारथी हरक सिंह रावत चुनावी दंगल से बाहर नजर आएंगे.

पहली बार चुनाव नहीं लड़ेंगे हरक सिंह

मीडिया की खबर के अनुसार, उत्तराखंड में 14 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सभी दलों की ओर से अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दिए जाने के बाद यह साफ हो गया है कि पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत इस बार के चुनावी दंगल में दांव आजमाते दिखाई नहीं देंगे. प्रदेश के उत्तराखंड के दो दशक के चुनावी सफर में ऐसा पहली बार होगा, जब चुनावी राजनीति के महारथी माने जाने वाले हरक सिंह चुनाव नहीं लड़ रहे होंगे.

कांग्रेस से खुद का टिकट लेने में रहे विफल

तथाकथित रूप से अपने अलावा बहू के लिए भी कांग्रेस से टिकट की मांग पर अड़ने और इसके लिए दूसरी संभावनाएं टटोलने के कारण हाल में भाजपा से निष्कासित होने के बाद कोटद्वार के विधायक हरक सिंह किसी तरह कांग्रेस में दोबारा वापसी करने में तो सफल रहे, लेकिन अपने लिए टिकट हासिल नहीं कर सके.

बहू अनुकृति गुसाईं लैंसडौन दिलाई कांग्रेस का टिकट

हालांकि, उत्तराखंड के चार बार के विधायक अपनी बहू और फेमिना मिस इंडिया की पूर्व प्रतिभागी रहीं अनुकृति गुसाईं को लैंसडौन से कांग्रेस का टिकट दिलवाने में कामयाब रहे. कांग्रेस में शामिल होने के बाद से हरक सिंह रावत कह रहे थे कि वह चुनाव लड़ने के लिए उत्सुक नहीं हैं, लेकिन अगर पार्टी उनसे कहेगी तो वह चुनाव लड़ेंगे.

सतपाल महाराज के खिलाफ ताल ठोकने की थीं अटकलें

हालांकि, ये अटकलें भी जोरों पर चलीं कि कांग्रेस उन्हें भाजपा के दिग्गज नेता और ​मौजूदा विधायक सतपाल महाराज के खिलाफ चौबट्टाखाल से मैदान में उतार सकती है, लेकिन बाद में समय के साथ ये चर्चाएं दम तोड़ गईं.

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बहू को जिताने पर रहेगा जोर

नवंबर, 2000 में बने उत्तराखंड राज्य में हुए सभी चारों विधानसभा चुनावों में विजयश्री का वरण करने वाले हरक सिंह ने 2002 और 2007 का चुनाव लैंसडौन से जीता, जबकि 2012 में वह रुद्रप्रयाग और पिछला चुनाव कोटद्वार से जीते थे. चुनावी दंगल से दूर रहने के बावजूद हर​क सिंह के अपना पूरा प्रभाव और जोर अपनी बहू को लैंसडौन से जिताने में लगाने की संभावना है.

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