Hartalika Teej 2020 Timing, Pujan Samagri, Puja Vidhi, Vrat Kaise kare : आज हरितालिका तीज का व्रत है. महिलाओं के लिए इस दिन का विशेष होता है. व्रत रखने से पहले महिलाएं अपने हाथों पर मेहंदी रचाती है. हरितालिका तीज के दिन गौरी-शंकर (shiv parvati teej) की पूजा की जाती है. इस दिन महिलाएं कथा सुनने के बाद निर्जला रहकर पूरे दिन व्रत रखती हैं. इस दिन गौरी-शंकर की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजा की जाती है.
कोरोना संकट के बीच महिलाएं तीज (हरितालिका या हरतालिका भी) का त्योहार मना रही हैं. तीज व्रत का उत्तर भारत में विशेष महत्व है. व्रत में महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं. इस बार तीज पर सिद्ध और साध्य योग है. तीज व्रत में मिट्टी से बनी शिव-पार्वती की प्रतिमा की विधिवत पूजा की जाती है. इसके साथ ही तीज व्रत कथा को सुना जाता है. कोरोना संकट के बीच भीड़ लगाने की मनाही है. महिलाएं एकसाथ कथा नहीं सुन सकती हैं. लिहाजा हम सुनाने जा रहे हैं तीज की कथा…
मां पार्वती को सुहाग का सारा सामान भी अर्पित किया जाता है, इसके अलावा रात में भजन-कीर्तन भी किया जाता है. इसके साथ ही जागरण कर तीन बार आरती की जाती है. हरितालिका तीज के दिन हरे रंग का विशेष महत्व होता है, इस दिन महिलाएं हरी चूड़ियां और साड़ी पहनती हैं. यह व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है. इस दिन कुछ सामाग्रियों की भी आवश्यकता होती है, जिनकी जानकारी हम आपको यहां दे रहे हैं. हरतालिका तीज का व्रत रख रही हैं तो आपको पूजा की सामग्री में कुछ चीजों को रखना जरूरी है, इनके बिना हरतालिका तीज की पूजा अधूरी मानी जाती है. आइए जानते हैं इन चीजों के बारे में….
गीली काली मिट्टी या बालू रेत, तुलसी, मंजरी, बेलपत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल एवं फूल, अकांव का फूल, जनैऊ, कलेवा, लच्छा या नाड़ा, वस्त्र, सभी प्रकार के फल एवं फूल पत्ते, श्रीफल, कलश, अबीर, पान के पत्ते, चंदन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम, दीपक, फुलहरा और विशेष प्रकार की पत्तियां इनमें शामिल हैं. लकड़ी का पाटा, लाल या पीले रंग का कपड़ा, पूजा के लिए नारियल, पानी से भरा कलश, माता के लिए चुनरी, सुहाग का सामान, मेंहदी, काजल, सिंदूर, चूड़ियां, बिंदी और पंचामृत भी आवश्यक सामाग्रियों में से एक हैं.
हरितालिका तीज व्रत का विशेष महत्व है. माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए यह कठिन व्रत रखा था, इसके बाद से महिलाओं द्वारा इस दिन व्रत और पूजन करने की परंपरा है. हरतालिका तीज की पूजा मूहूर्त में होनी शुभ होती है. ऐसे में 21 अगस्त को सुबह हरतालिका पूजा मूहूर्त सुबह 5 बजकर 54 मिनट से सुबह 08 बजकर 30 मिनट तक, जबकि, दूसरा प्रदोषकाल में हरतालिका तीज की पूजा का शुभ मूहूर्त शाम 06 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर रात 09 बजकर 06 मिनट तक रहेगा.
हरितालिका तीज व्रत में मां पार्वती और शिव जी की पूजा की जाती है. हरतालिका तीज के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की बालू रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा बना लें. इसके बाद पूजास्थल को फूलों से सजा लें और एक चौकी रखें और उस चौकी पर केले के पत्ते रखकर भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा रखें. फिर देवताओं का आह्वान करते हुए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का पूजन करें. सुहाग की वस्तुएं माता पार्वती को चढ़ाएं और शिव जी को धोती और अंगोछा चढ़ाया जाता है. इस सुहाग सामग्री को सास के चरण स्पर्श करने के बाद किसी ब्राह्मणी और ब्राह्मण को दान कर दें. पूजन के बाद हरतालिका तीज व्रत कथा पढ़ें या सुने और रात्रि में जागरण करें. फिर अगले दिन सुबह माता पार्वती को सिन्दूर चढ़ाएं व ककड़ी-हलवे का भोग लगाकर व्रत का पारण कर लें.
हरितालिका तीज का व्रत करने वाली महिलाओं को नए कपड़े पहनने चाहिए. क्योंकि यह बेहद जरूरी है कि साफ-सुथरे और शुद्ध कपड़े पहनकर ही पूजा की जाए. तीज में सबसे ज्यादा हरे रंग की साड़ी पहनी जाती है. तीज पूजा शिव जी के लिए की जाती है और भगवान शिव को हरे रंग प्रिय है. इस दिन महिलाएं रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर सोलह श्रृंगार करती हैं. हरितालिका व्रत के दौरान 16 श्रृंगार का विशेष महत्व माना जाता है. इस दिन महिलाएं हाथों में मेहंदी भी लगाती हैं, जिसे सुहाग की निशानी माना जाता है.
News Posted by: Radheshyam Kushwaha