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जलेबी का सेवन कर व्रत तोड़ने की है परंपरा
हरितालिका तीज व्रत का पारण करने की शहर में एक खास परंपरा है. यानी व्रत के अगले दिन ताजी जलेबी और दही सेवन कर महिलाएं पारण करती हैं. शनिवार को बाजार बंद होने से जलेबी मिलना मुश्किल होगा. जलेबी के बजाय मेवा और चासनी से तैयार विशेष मिष्ठान का सेवन कर पारण की जा सकती है. महिलाएं घर पर ही पकवान तैयार करके पारण करेंगी.
आज हरितालिका तीज व्रत का पारण करने का शुभ समय
इस व्रत का पारण द्वितीय दिन चतुर्थी तिथि में किया जाता है. इस वर्ष सुबह चतुर्थी तिथि विद्यमान है. सूर्योदय के पश्चात काल बेला होने से 7 बजकर 12 मिनट के बाद से 8 बजकर 50 मिनट से पहले पारण का उत्तम समय है.
भगवान शिव जी की आरती
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥
माता पार्वती की आरती
जय पार्वती माता, जय पार्वती माता।
ब्रह्म सनातन देवी, शुभ फल की दाता।।
जय पार्वती माता...
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता।
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता।
जय पार्वती माता...
सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा।
देव वधु जहं गावत नृत्य कर ताथा।।
जय पार्वती माता...
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता।
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।।
जय पार्वती माता...
शुम्भ-निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता।
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाथा।।
जय पार्वती माता...
सृष्टि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता।
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता।
जय पार्वती माता...
देवन अरज करत हम चित को लाता।
गावत दे दे ताली मन में रंगराता।।
जय पार्वती माता...
श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता।
सदा सुखी रहता सुख संपति पाता।।
जय पार्वती माता...
इन उपायों से मिलेगा मनचाहा जीवनसाथी
- आज शाम को शिव-पार्वती के मंदिर में जाकर पूजा करें और शुद्ध घी के 11 दीपक जलाएं. इस उपाय से कुंवारी लड़कियों को मनचाहा जीवनसाथी मिल सकता है.
- कुंवारी ब्राह्मण कन्या को उसके पसंद के कपड़े दिलवाएं और साथ में कुछ उपहार भी दें.
- माता पार्वती को हल्दी की 11 गांठ चढ़ाने से लड़की के विवाह के योग बन सकते हैं.
- भगवान शिव-पार्वती का अभिषेक दूध में केसर मिलाकर करें, इससे भी पति-पत्नी में प्रेम बना रहता है.
- इस दिन पति-पत्नी सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद किसी शिव-पार्वती मंदिर में जाएं और लाल फूल अर्पित करें.
- हरितालिका तीज पर पूजा करने के बाद देवी पार्वती को खीर का भोग लगाएं.
ऐसे करें हरितालिका तीज व्रत की पूजा
- हरितालिका तीज पर बालू रेत से भगवान गणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा बनाएं.
- इन प्रतिमाओं को एक चौकी पर स्थापित कर दें.
-इसके बाद उस चौकी पर चावलों से अष्टदल कमल बनाएं, इसी पर कलश की स्थापना करें.
-फिर कलश में जल, अक्षत, सुपारी और सिक्के डालें. साथ ही आम के पत्ते रखकर उस पर नारियल भी रखें. यह सब कलश स्थापित करने से पहले करें.
- फिर चौकी पर पान के पत्ते रखें. इस पर अक्षत भी रखें. फिर भगवान गणेश, भगवान शिव और माता पार्वती को स्नान कराएं.
- अब उनके आगे घी का दीपक और धूप जलाएं. फिर गणेश जी और माता पार्वती को कुमकुम का तिलक और शिव शंकर को चंदन का तिलक लगाएं.
- तिलक करने के बाद फूल व माला चढ़ाएं. शिव जी सफेद फूल अर्पित करें.
- भगवान गणेश को दूर्वा चढ़ाएं. शिव जी को बेलपत्र, धतूरा, भांग और शमी के पत्ते अर्पित करें.
- गणेश जी और माता पार्वती को पीले चावल अर्पित करें. शिव जी को सफेद चावल अर्पित करें.
- सभी भगवानों को कलावा चढ़ाएं. फिर गणेश जी और भगवान शिव को जनेऊ अर्पित करें.
- माता पार्वती को श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें.
- सभी को फल अर्पित करें.
जानें आज व्रत के दौरान क्या करें
निराहार रहकर व्रत करें.
रात्रि जागरण कर भजन करें.
बालू के शिवलिंग की पूजा करें.
सखियों सहित शंकर-पार्वती की पूजा आज रात में करें.
पत्ते उलटे चढ़ाना चाहिए तथा फूल व फल सीधे चढ़ाना चाहिए.
हरतालिका तीज की कथा श्रवण करें.
पूजन विधि
इस दिन प्रातः काल दैनिक क्रिया से स्नान आदि से निपट कर रखने का विधान है. स्त्रियां उमा- महेश्वर सायुज्य सिद्दये हरतालिका व्रत महे करिष्ये संकल्प करके कहें कि हरतालिका व्रत सात जन्म तक राज्य और अखंड सौभाग्य वृद्धि के लिए उमा का व्रत करती हूं फिर गणेश का पूजन करके गौरी सहित महेश्वर का पूजन करें. इस दिन स्त्रियों को निराहार रहना होता है. संध्या समय स्नान करके शुद्ध व उज्ज्वल वस्त्र धारण कर पार्वती तथा शिव की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजन की सम्पूर्ण सामग्री से पूजा करनी चाहिए. सांय काल स्नान करके विशेष पूजा करने के पश्चात व्रत खोला जाता है.
हरितालिका तीज व्रत के कड़े नियम
- यदि कोई भी कुंवारी या विवाहित महिला एक बार इस व्रत को रखना प्रारंभ कर देती हैं तो उसे जीवनभर यह व्रत रखना ही होता है. बीमार होने पर दूसरी महिला या पति इस व्रत को रख सकता है.
- इस व्रत में किसी भी प्रकार से अन्न-जल ग्रहण नहीं किया जाता है. अगले दिन सुबह पूजा के बाद जल पीकर व्रत खोलने का विधान है.
- इस व्रत में महिलाओं को रातभर जागना होता है और जागकर मिट्टी के बनाए शिवलिंग की प्रहर अनुसार पूजा करना होती है और रात भर जागकर भजन-कीर्तन किया जाता है.
- जिस भी तरह का भोजन या अन्य कोई पदार्थ ग्रहण कर लिया जाता है तो अन्न की प्रकृति के अनुसार उसका अगला जन्म उस योनि में ही होता है.
- इस व्रत के दौरान हरतालिका तीज व्रत कथा को सुनना जरूरी होता है. मान्यता है कि कथा के बिना इस व्रत को अधूरा माना जाता है.
इन 16 श्रृंगार से महिलाओं के मन, शरीर और सेहत पर पड़ता है सकारात्मक प्रभाव
मांग टिका - सिर के बीचोबीच पहना जाने वाला मांग टिका महिलाओं की सुंदरता बढ़ाने के अलावा मस्तिष्क संबंधी क्रियाएं संतुलित और नियमित रखता है.
कान में झुमके व बाली - कान छिदवाने से आंखों की रोशनी तेज होती है. दरअसल, कान के निचले हिस्से में एक प्वॉइंट होता है जिसके पास से आंखों की नसें गुजरती हैं. जब कान के इस प्वॉइंट को छिदवाकर इसमें बाली पहनते हैं तो इससे आंखों की रोशनी तेज होने में मदद मिलती है.
चूड़ियां व ब्रेसलेट - महिलाओं की चूड़ियां जब हाथों की कलाई पर टकराती हैं तो उससे शरीर में रक्त प्रवाह बेहतर होता है. साथ ही ये महिलाओं के शरीर में हार्मोंस संतुलित रखने में सहायक होती हैं.
बाजूबंद - इसे बाजुओं में पहनने से बांह स्थित केंद्रों पर दवाब पड़ता है जो महिलाओं को लंबे समय तक सुंदर और जवां बनाए रखता है.
कमरबंद - इसे पहनने से महिलाओं में हर्निया की आशंका कम होती है.
पायल - पायल पैरों से निकलने वाली शारीरिक विद्युत ऊर्जा को शरीर में संरक्षित रखती है. महिलाओं के पेट और निचले अंगों में वसा (फैट) बढ़ने की गति को रोकती है. साथ ही चांदी की पायल पैरों से घर्षण करके पैरों की हड्डियां मजबूत बनाती हैं.
नथनी - जिस जगह नथ पहनी जाती है, उस जगह एक तरह का एक्यूप्रेशर प्वाइंट होता है जो प्रसव पीड़ा के दौरान होने वाले दर्द को कम करता है.
अंगूठी - अंगुलियों में अंगूठी पहनने से आलस्य और सुस्ती में कमी आती है.
मेकअप - चेहरे पर हल्का मेकअप व नेल पेंट लगाने से महिलाओं के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है.
काजल
काजल लगाने से आंखों को ठंडक मिलती है और इससे आंखों से जुड़ी कई समस्याएं दूर होती हैं.
मेहंदी
आज मेहंदी लगाने का विशेष महत्व होता है. मेहंदी हथेलियों को सुंदर बनाने के साथ-साथ शरीर को ठंडा रखती है और चर्म रोग को दूर करने में मदद करती है.
गले में हार या मंगल सूत्र
मंगल सूत्र व इनके मोतियों से होकर निकलने वाली वायु महिलाओं के इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है. आयुर्वेद के अनुसार, गले में स्वर्ण धातु धारण करने से छाती और ह्रदय स्वस्थ रहते हैं, इसके अलावा इसमें मौजूद काले मोती महिलाओं को बुरी नजर से बचाते हैं.
बिछिया
बिछिया एक्यूप्रेशर उपचार पद्धति पर कार्य करती है, जिससे शरीर के निचले अंगों के तंत्रिका तंत्र और मांसपेशियां सबल रहती हैं. यह एक खास नस पर प्रेशर बनाती है जो कि गर्भाशय में समुचित रक्त संचार प्रवहित करती है, जिससे गर्भधारण क्षमता बेहतर होने में मदद मिलती है.
सिंदूर
शरीर-रचना विज्ञान के अनुसार जिस स्थान पर सिंदूर सजाया जाता है. वह ब्रह्मरंध्र और अहिम नामक मर्मस्थल के ठीक ऊपर होता है, जो अत्यंत कोमल होता है. यहां सिंदूर लगाने से इस स्थान की सुरक्षा होती है, इसके अलावा सिंदूर में कुछ ऐसे धातु होती है जो चेहरे पर झुर्रियों के असर को कम करती हैं और महिलाओं के शरीर में विद्युतीय उत्तेजना नियंत्रित करती हैं.
बिंदी
माथे पर बिंदी लगाने से व्यक्तित्व प्रभावशाली होता है. मस्तक के बीच के स्थान पर बिंदी लगाने से तीसरा नेत्र जाग्रत होता है. बिंदी लगाने का मनोवैज्ञानिक असर होता है और इससे महिलाओं के आत्मविश्वास और आत्मबल में वृद्धि होती है. साथ ही मस्तिष्क भी शांत रहता है और सुकून का अनुभव होता है.
बालों में लगाए गजरा और फूल
गजरा और फूल बालों का गहना कहा जाता है, बालों को गजरे व फूलों से सजाने पर खुशबू से महिलाओं का मन की सेहत पर अच्छा असर होता है और सुगंध से मन तरंगित व खुश रहता है.
आज 16 श्रृंगार का है विशेष महत्व
हरतालिका तीज के व्रत में सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व है. इस दिन महिलाएं खूब अच्छे से संजती-संवरती हैं. हाथों में मेंहदी लगाती हैं. जिन सोलह श्रृंगार का वर्णन वेदों में किया गया है वो सभी चीजें पहनती हैं. व्रत रहकर भगवान शिव और माता पार्वती से अपने अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं. पूजा करते वक्त श्रृंगार की सभी चीजें माता पार्वती को भी चढ़ाई जाती हैं. जिसमें चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, मेंहदी का विशेष महत्व है. इस दिन सोलह श्रृंगार में सिंदूर, बिंदी, मांग टीका, नथ, गजरा, झुमका, मंगलसूत्र, काजल, चूड़ी, मेंहदी, अंगूठी, आल्ता, बिछुआ, पायल, कमरबंद और लाल जोड़ा शामिल होता है.