Hartalika Teej 2022: इस दिन मनाई जाएगी हरतालिका तीज, व्रत न कर पाने पर करें ये काम
Hartalika Teej 2022: हरतालिका तीज व्रत करने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस बार हरतालिका तीज का व्रत मंगलवार 30 अगस्त 2022 को पड़ रहा है.
Hartalika Teej 2022: भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है. हरतालिका तीज व्रत कुमारी और सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं. विधवा महिलाएं भी इस व्रत को कर सकती हैं. हरतालिका तीज व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए किया था. हरतालिका तीज व्रत करने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस बार हरतालिका तीज का व्रत मंगलवार 30 अगस्त 2022 को पड़ रहा है.
हरतालिका तीज 2022 तिथि
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अगस्त दिन सोमवार को दोपहर 03 बजकर 20 मिनट से शुरु हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन 30 अगस्त मंगलवार को दोपहर 03 बजकर 33 मिनट पर होगा. उदयातिथि के आधार पर देखा जाए तो हरतालिका तीज 30 अगस्त को है.
हरतालिका तीज पूजा मुहूर्त 2022
इस दिन जो महिलाएं हरतालिका तीज का व्रत रखेंगी, वे सुबह 05 बजकर 58 मिनट से सुबह 08 बजकर 31 मिनट के बीच भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर सकती हैं. यह हरतालिका तीज की प्रात:कालीन पूजा का शुभ मुहूर्त है.
हरतालिका तीज 2022 शुभ मुहूर्त 2022 (Hartalika teej 2022 shubh muhurt)
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हरतालिका तीज व्रत – 30 अगस्त 2022
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भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि शुरू – 29 अगस्त 2022 सोमवार, दोपहर 03.20 बजे से
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भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि समाप्त – 30 अगस्त 2022 मंगलवार,दोपहर 03.33 बजे तक
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सुबह का शुभ मुहूर्त- 30 अगस्त 2022, सुबह 06.05- 08.38 बजे तक
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प्रदोष काल मुहूर्त – 30 अगस्त 2022, शाम 06.33- रात 08.51 रहेगा
हरतालिका तीज व्रत के नियम
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हरतालिका तीज व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है. व्रत के बाद अगले दिन जल ग्रहण करने का विधान है.
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हरतालिका तीज व्रत करने पर इसे छोड़ा नहीं जाता है. प्रत्येक वर्ष इस व्रत को विधि-विधान से करना चाहिए.
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हरतालिका तीज व्रत के दिन रात्रि जागरण किया जाता है. रात में भजन-कीर्तन करना चाहिए.
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हर तालिका तीज व्रत कुंवारी कन्या, सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं. शास्त्रों में विधवा महिलाओं को भी यह व्रत रखने की आज्ञा है.
व्रत तोड़ा नहीं जाता
हरतालिका तीज व्रत एक बार शुरू करने के बाद इसे हर साल करना होता है, इसे बीच में छोड़ा नहीं जाता. किसी कारणवश अगर व्रत न कर पाएं तो इसका उदयापन कर दें या फिर अपने परिवार में किसी दूसरी महिला को ये व्रत देना होता है.
हरतालिका तीज व्रत पूजा विधि
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हरतालिका तीज पर माता पार्वती और भगवान शंकर की विधि-विधान से पूजा की जाती है. इस व्रत की पूजा विधि इस प्रकार है.
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हरतालिका तीज प्रदोषकाल में किया जाता है. सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त को प्रदोषकाल कहा जाता है. यह दिन और रात के मिलन का समय होता है.
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हरतालिका पूजन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बनाएं.
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पूजा स्थल को फूलों से सजाकर एक चौकी रखें और उस चौकी पर केले के पत्ते रखकर भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें.
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इसके बाद देवताओं का आह्वान करते हुए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का षोडशोपचार पूजन करें.
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सुहाग की पिटारी में सुहाग की सारी वस्तु रखकर माता पार्वती को चढ़ाना इस व्रत की मुख्य परंपरा है.
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इसमें शिव जी को धोती और अंगोछा चढ़ाया जाता है. यह सुहाग सामग्री सास के चरण स्पर्श करने के बाद ब्राह्मणी और ब्राह्मण को दान देना चाहिए.
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इस प्रकार पूजन के बाद कथा सुनें और रात्रि जागरण करें. आरती के बाद सुबह माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं व ककड़ी-हलवे का भोग लगाकर व्रत खोलें.