इस बुजुर्ग से सीखें जीत का जुनून, 93 चुनाव हारे, 94वीं बार मैदान में उतरे, बनाना चाहते हैं अनूठा रिकॉर्ड

UP Election 2022: आगरा के रहने वाले हसनूराम आंबेडकरी 93 चुनाव हार चुके हैं. अब 94वीं बार फिर से मैदान में उतरने जा रहे हैं. वे 1985 से लगातार चुनाव लड़ रहे हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | January 15, 2022 6:33 AM

UP Election 2022 : ताजनगरी आगरा में यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए शुक्रवार सुबह 11 बजे से प्रथम चरण में होने वाले मतदान को लेकर नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई. नामांकन के दौरान जिले का एक ऐसे उम्मीदवार नामांकन पत्र खरीदने पहुंचे, जो अब तक 93 बार चुनाव लड़ चुके हैं. यह उम्मीदवार पार्षद से लेकर राष्ट्रपति तक के चुनाव लड़ चुके हैं. हर बार चुनाव हारने के बावजूद भी प्रत्याशी का हौसला कम होने का नाम नहीं ले रहा.

हसनूराम आंबेडकरी पहले राजस्व विभाग में थे अमीन 

15 अगस्त 1947 को आगरा की खेरागढ़ तहसील के नगला दुल्हेखां में हसनूराम आंबेडकरी का जन्म हुआ था. वे पहले राजस्व विभाग में अमीन थे. 1985 में बसपा ने उनको टिकट नहीं दिया और कहा था कि तुम्हें तो तुम्हारी पत्नी भी वोट नहीं देगी. यह बात हसनूराम के दिल में चुभ गई. उन्होंने फतेहपुर सीकरी विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा और 171711 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे. इसके बाद से वे लगातार चुनाव लड़ रहे हैं.

Also Read: UP Election 2022: सपा-रालोद की पहली लिस्ट जारी, आगरा मंडल से आठ प्रत्याशी घोषित

हसनूराम आंबेडकरी अकेले ऐसे प्रत्याशी हैं, जो हर बार हार की हसरत लेकर चुनाव मैदान में उतरते हैं. वो हारने के लिए वोट मांगते हैं. वो कहते हैं कि अगर आप चुनाव जिताने के लिए अपना वोट देना चाहते हैं, तो किसी भी प्रत्याशी को वोट दें. उन्होंने बताया कि पहले मैं मजदूरी और मनरेगा से मिलने वाले रुपयों को जमा करके चुनाव लड़ता था. मुझे दो साल में दस हजार रुपये किसान सम्मान निधि से मिले हैं, जो मैंने अपने परिवार से छिपा कर रखे थे. उसी रकम से मैं इस बार का चुनाव लड़ रहा हूं.

Also Read: UP Election 2022: आज साइकिल पर सवार युसूफ अली को कल कांग्रेस ने दिया था टिकट, पढ़ें दलबदलु नेता का किस्सा

यूपी में सात चरणों में विधानसभा चुनाव होना है. पहले चरण में 10 फरवरी को मतदान होगा. यूपी में पहले चरण का मतदान 11 जिलों की 58 सीटों पर होगा. इसके लिए शुक्रवार से नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई.

रिपोर्ट- राघवेंद्र सिंह गहलोत, आगरा

Next Article

Exit mobile version