हाथरस में बीमार हथिनी से सड़कों पर मंगवाई जा रही थी भीख, प्रशासन ने रेस्क्यू कर अस्पताल में कराया भर्ती
हाथी अस्पताल में पशु चिकित्सकों द्वारा एक प्रारंभिक चिकित्सीय परीक्षण में कई पुरानी स्वास्थ समस्याओं के साथ-साथ जिंजर हथनी की बिगड़ती शारीरिक स्थिति का पता चला, वह गंभीर रूप से कुपोषित है
वन विभाग और वाइल्डलाइफ एसओएस ने हाथरस जिले से नेत्रहीन हथनी जिंजर को रेस्क्यू किया. हथनी को लंबे समय से भीख मांगने के लिए व तमाशा दिखाने के लिए प्रयोग किया जा रहा था. जिसकी वजह से जिंजर के पैर भी बुरी तरह से खराब हो चुके हैं और शरीर पर कई घाव भी हो गए हैं. वाइल्ड लाइफ एसओएस ने जिंजर हथनी को मथुरा के हाथी अस्पताल में रखा है. जहां पर उसकी बीमारियों का इलाज किया जा रहा है.
वाइल्डलाइफ एसओएस को जानकारी मिली थी कि उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में एक नेत्रहीन हथनी से सड़कों पर भीख मंगवाई जाती है और बारातों में उसका प्रयोग किया जाता है. जिसके बाद वन विभाग की मदद से वाइल्डलाइफ एसओएस ने संयुक्त अभियान चलाकर जिंजर हथनी को मुक्त कराया और उसे हाथी एंबुलेंस में लाकर मथुरा के हाथी अस्पताल में भर्ती करा दिया. यह भारत का पहला और एक मात्र हाथी हाथी अस्पताल है जहां बीमार हाथियों को संस्था द्वारा विशेष चिकित्सा उपचार और देखभाल प्रदान की जाती है.
हाथी अस्पताल में पशु चिकित्सकों द्वारा एक प्रारंभिक चिकित्सीय परीक्षण में कई पुरानी स्वास्थ समस्याओं के साथ-साथ जिंजर हथनी की बिगड़ती शारीरिक स्थिति का पता चला, वह गंभीर रूप से कुपोषित है उसके शरीर पर पुराने घाव है और वह गठिया रोग से पीड़ित है. सड़कों पर अधिक चलने के कारण उसके फुट पैड इस हद तक खराब हो गए हैं कि उसके नाजुक फुट पैड अलग होने की कगार पर है. जिससे हथनी को चलने या खड़े होने में असहनीय दर्द होता है.
पशु चिकित्सा सेवाओं के उपनिदेशक डॉ इलियाराजा ने बताया कि हमें संदेह है कि जिंजर हथनी का अंधापन उसके मालिकों की लापरवाही और गंभीर कुपोषण के कारण हुआ है. हमने पोस्टिक सब्जियों, फलों और हरे चारे का आहार निर्धारित किया है, जो जिंजर को ताकत वापस हासिल करने में मदद करेगा.
वाइल्डलाइफ एसओएस के सीईओ और सह संस्थापक कार्तिक सत्यनारायण ने बताया कि हम इस नेत्रहीन और वृद्ध हथनी की नाजुक स्थिति को देख कर बहुत दुखी हैं. तुरंत कार्यवाही कर जिंजर को हाथी अस्पताल में उपचार हेतु भेजने के लिए हम उत्तर प्रदेश वन विभाग के बेहद आभारी हैं.
इनपुट : राघवेंद्र सिंह गहलोत