बड़कागांव की विधायक अंबा प्रसाद को हजारीबाग कोर्ट से बड़ी राहत, केरेडारी केस में किया बरी
Hazaribagh News: स्थल पर दोनों संवेदक के अलावा बेलतो पंचायत के मुखिया एवं अन्य 8-10 लोग मौजूद थे. आरोप था कि तत्कालीन विधायक निर्मला देवी की पुत्री अंबा प्रसाद 5-6 लड़कों और पुलिस वाले (बॉडीगार्ड) के साथ वहां पहुंचीं.
Hazaribagh News: बड़कागांव की विधायक अंबा प्रसाद को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हजारीबाग कोर्ट ने केरेडारी थाना कांड संख्या 37/18 में विधायक को बरी कर दिया है. अंबा प्रसाद ने बताया कि चौकीदार ने कोर्ट में स्वीकार किया कि तत्कालीन डीएसपी ने सादे पेपर पर उससे दस्तखत करवाया था.
सादे कागज पर डीएसपी ने कराया था चौकीदार का हस्ताक्षर
बताया जाता है कि तत्कालीन डीएसपी ने बेलतू क्षेत्र के चौकीदार को सादे पेपर पर हस्ताक्षर करवाकर अंबा प्रसाद के खिलाफ वर्ष 2018 में केस दर्ज करवाया था. उस समय अंबा प्रसाद विधायक नहीं थीं.
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चौकीदार ने दर्ज करवायी थी प्राथमिकी
चौकीदार ने जो प्राथमिकी दर्ज करवायी थी, उसके अनुसार, संवेदक मुकेश साव और राजेश साव घागरा डैम का निर्माण करवा रहे थे. उस पक्की नहर परियोजना की जांच करने हजारीबाग एवं रांची से टीम आयी थी. वहां उसे चौकीदारी करने की ड़्यूटी दी गयी थी.
5-6 लड़कों और बॉडीगार्ड के साथ पहुंचीं अंबा प्रसाद
दिन में करीब 2 बजे जब मौके पर जल संसाधन की टीम जांच कर रही थी, स्थल पर दोनों संवेदक के अलावा बेलतो पंचायत के मुखिया एवं अन्य 8-10 लोग मौजूद थे. आरोप था कि तत्कालीन विधायक निर्मला देवी की पुत्री अंबा प्रसाद 5-6 लड़कों और पुलिस वाले (बॉडीगार्ड) के साथ वहां पहुंचीं.
संवेदक से काम का लेखा-जोखा मांगने लगीं अंबा
अंबा प्रसाद संवेदक द्वारा कराये जा रहे कार्य का लेखा-जोखा मांगने लगीं. इससे पहले पूर्व के अन्य पारिवारिक मामलों को इस तथाकथित मामले से जोड़कर अंबा प्रसाद पर आरोप का गठन किया गया. चौकीदार के माध्यम से अंबा प्रसाद के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी.
कोर्ट ने कहा- अंबा पर दर्ज केस निराधार
कोर्ट में केस की सुनवाई के दौरान यह सिद्ध हो गया कि अंबा प्रसाद के खिलाफ दर्ज कराया गया केस निराधार है. तत्कालीन सरकार एवं पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से विधायक एवं उनके परिजनों को प्रताड़ित करने के उद्देश्य से अंबा प्रसाद के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था.
अंबा प्रसाद ने कहा- मुझे फंसाने का प्रयास किया गया
अंबा प्रसाद ने न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने हमारे परिवार को सिर्फ प्रताड़ित करने का काम किया है. चौकीदार ने यह कबूला है कि तत्कालीन डीएसपी के इशारे पर उन्होंने सादे पेपर पर हस्ताक्षर किया था और इस सारे मामले में मुझे फंसाने का प्रयास किया गया. उन्होंने कहा कि लंबे अरसे तक मुझे कोर्ट के चक्कर काटने पड़े. आखिरकार आज हजारीबाग कोर्ट ने मुझे बरी कर दिया.