हजारीबाग जमीन मामला : योगेंद्र साव तीसरे दावेदार बने, लीज धारक के दामाद की ओर से मांगा समय

इस जमीन पर कब्जा करने के मामले में सीओ ने लीजधारक मोहम्मद एहसान, योगेंद्र साव और कार्यपालक अभियंता लघु सिंचाई को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था.

By Prabhat Khabar News Desk | December 3, 2023 1:51 AM

रांची : हजारीबाग के हुरहुरू स्थित मौजा कैंटोनमेंट की 50 डिसमिल जमीन के दो दावेदार दलजीत सिंह और मानस कुमार पहले से हैं. वहीं अंचलाधिकारी की नोटिस के बाद पूर्व विधायक योगेंद्र साव तीसरे दावेदार के रूप में उभरे हैं. उन्होंने लीज धारक के दामाद की और से जवाब देने के लिए 15 दिनों का समय मांगा है. दलजीत और मानस ने खुद को अटॉर्नी नियुक्त किये जाने का हवाला देते हुए लीज नवीकरण का आवेदन दिया है. मानस ने 15 लाख में जमीन खरीदने का एकरारनामा किया है. लेकिन दोनों में से किसी ने भी अटॉर्नी बन कर लीज नवीकरण के लिए दिये गये आवेदन में इस तथ्य का उल्लेख नहीं किया है.

इस जमीन पर कब्जा करने के मामले में सीओ ने लीजधारक मोहम्मद एहसान, योगेंद्र साव और कार्यपालक अभियंता लघु सिंचाई को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था. योगेंद्र साव ने इस नोटिस का जवाब देने के लिए अपने लेटर पैड का इस्तेमाल करते हुए पक्ष पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा है. उन्होंने अपने इस जवाब के साथ मोहम्मद एहसान के नाम जारी नोटिस की कॉपी भी लगा दी है, जिसे एहसान के दामाद मुजीबुर्रहमान द्वारा प्राप्त किया हुआ दिखाया गया है. फिलहाल लीज धारक एहसान के अलावा उनकी पत्नी नसीमा खातून और बेटी नाजिश कौसर की भी मौत हो चुकी है.

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एकीकृत बिहार में 60 रुपये सालाना किराया पर सामुएल को लीज पर दी गयी थी जमीन : एकीकृत बिहार सरकार ने मौजा कैंटोनमेंट की 50 डिसमिल जमीन उपसमाहर्ता सामुएल को लीज पर दी थी. साथ ही 60 रुपये सालाना किराया तय किया था. लीज धारक की मौत के बाद सरकार ने उनके बेटे मोहम्मद एहसान के नाम पर लीज का नवीकरण किया. लीज की अवधि 21 अगस्त 1987 से 31 मार्च 2008 निर्धारित की गयी. लीज की शर्तों के अनुसार, लीज धारक सरकार की अनुमति के बिना किसी तरह का निर्माण करने, व्यावसायिक इस्तेमाल करने, किराये पर देने या बेचने पर पाबंदी थी. इसके बावजूद एहसान ने वर्ष 1995 में हजारीबाग के गुरु गोविंद सिंह निवासी दलजीत सिंह के साथ लीज की शर्तों का उल्लंघन करते हुए एकरारनामा किया.

इसमें दलजीत सिंह को लीज की जमीन किराये पर देने, किराया वसूलने, बिक्री आदि के लिए अधिकार दिया गया. एकरारनामा के समय भी एहसान पटना में रहते थे. दलजीत के साथ किये गये एकरानामे में उन्होंने लिखा की उम्र ज्यादा होने की वजह से उन्हें कहीं आने-जाने में परेशानी होती है. इसलिए वह दलजीत सिंह को अपना अटॉर्नी नियुक्त कर रहे हैं. इसके बाद जमीन पर बना एक भवन जल संसाधन विभाग को किराये पर दे दिया गया. इस एकरानामे के बाद 18 नवंबर 1997 को एहसान की मौत हो गयी. लीज धारक की मौत के बाद काफी दिनों तक यह मामला ठंडा पड़ा रहा.

वर्ष 2016 में एहसान की बेटी नाजिश ने मानस के साथ जमीन का किया एकरानामा : वर्ष 2016 में एहसान की बेटी नाजिश कौसर

इसके बाद हजारीबाग के दीपूगढ़ा निवासी मानस कुमार के साथ इस जमीन को 15 लाख रुपये में बेचने का एकरारनामा किया. नाजिश ने 25 जुलाई 2016 को जारी चेक संख्या 385525 के सहारे पांच लाख रुपये की पेशगी भी ली. बाकी 10 लाख रुपये निर्धारित समय में नहीं मिलने पर मानस को लीगल नोटिस भी दिया. लीज धारक एहसान से एकरारनामा करने के बाद दलजीत सिंह ने 31 दिसंबर 2007 को खुद को एहसान के अटॉर्नी के रूप में पेश करते हुए जमीन के लीज का नवीकरण करने के लिए आवेदन दिया. इसमें यह लिखा कि लीज धारक ने लीज की शर्तों का उल्लंघन नहीं किया है. लीज धारक रहने के लिए घर बनाना चाहते हैं. इसलिए इस जमीन के लीज का नवीकरण करने का अनुरोध किया गया है. नाजिश से जमीन खरीदने का एकरारनामा करने के बाद मानस ने जमीन के लीज नवीकरण करने के लिए 2017 में आवेदन दिया. मानस ने अपने आवेदन में यह लिखा कि वह लीज धारक के वारिस की ओर से लीज नवीकरण करने के लिए आवेदन दे रहे हैं. उन्हें इस काम के लिए अधिकृत किया गया है.

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