मोनिका हत्याकांड ट्रैक्टर से गर्भवती को कुचलने का आरोपी गिरफ्तार, तीन लोग अब भी फरार
ट्रैक्टर से कुचलकर गर्भवती मोनिका कुमारी करने के आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है. जबकि 3 लोग अब भी फरार हैं. किसान मिथिलेश मेहता ने वर्ष 2018 में महिंद्रा फाइनेंस से लोन पर ट्रैक्टर लिया था. लेकिन चुका नहीं पा रहा था.
इचाक: ट्रैक्टर से कुचलकर गर्भवती मोनिका कुमारी (21) की हत्या कर देने के आरोपी रौशन कुमार देव (पुनाई निवासी) को मुफस्सिल थाना क्षेत्र से सोमवार शाम को गिरफ्तार कर लिया गया. जबकि तीन फरार है. इसकी पुष्टि इचाक के थानेदार धनंजय सिंह ने की. उन्होंने बताया कि महिंद्रा फाइनेंस का रौशन कुमार देव मामले में नामजद आरोपी है. उसके तीन अन्य सहयोगियों को भी आरोपी बनाया गया है. रौशन महिंद्रा फाइनेंस कंपनी का स्टाफ है या रिकवरी एजेंट, इसका पता अनुसंधान के बाद पता चलेगा.
इचाक थाना कांड संख्या 172/ 22 धारा 302 के तहत चार लोग आरोपी बनाये गये हैं. थाना प्रभारी ने बताया कि मामले में तीन अन्य फरार आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जायेगा. इचाक स्थित सिझुआ गांव के नि:शक्त किसान मिथिलेश की बेटी और डमरोंन निवासी कुलदीप मेहता की गर्भवती पत्नी मोनिका की पिछले दिनों ट्रैक्टर चढ़ाकर हत्या कर दी गयी थी.
ट्रैक्टर ले जाने के दौरान हुई घटना :
सिझुआ गांव के नि:शक्त किसान मिथिलेश मेहता ने वर्ष 2018 में महिंद्रा फाइनेंस से लोन पर ट्रैक्टर लिया था. लॉकडाउन के दौरान काम नहीं मिलने के कारण 14,300 मासिक किस्त का छह इस्टॉलमेंट बकाया हो गया था. जिसे कंपनीवालों ने एक लाख 30 हजार कर दिया था.
15 सितंबर को रौशन समेत तीन अन्य एजेंट सिझुआ गांव पहुंचे और ट्रैक्टर ले जाने लगे. इसकी सूचना पंपकर्मियों ने मिथिलेश को दी. सूचना पाकर खेत से मिथिलेश घर पहुंचे व पुत्री मोनिका को साथ लेकर बाइक से ट्रैक्टर ले जा रहे रिकवरी एजेंटों का पीछा किया. बरियठ के पास रिकवरी एजेंट को ट्रैक्टर ले जाते देखकर जब उन्होंने रोका, तो इसी क्रम में मोनिका को कुचल दिया जिससे उसकी मौत हो गयी.
किस्त पर लिया था ट्रैक्टर :
मृतका के पिता मिथिलेश ने बताया कि उन्होंने महिंद्रा से ट्रैक्टर 2018 में किस्त पर लिया था. लॉकडाउन में पैसा नहीं देने के कारण छह किस्त बकाया था. कंपनी के रिकवरी एजेंटों ने किस्त, ब्याज व पेनाल्टी को जोड़कर ₹170000 कर दिया था. इसके बाद रौशन ने उनसे कहा था कि 1,30,000 जमा कर दो, इसके बाद सारा कर्ज खत्म हो जायेगा. वह एक लाख 20 हजार रुपये कंपनी को देने गये थे, पर नहीं माना गया.