Hemant Soren Govt 3 Years: मुख्यमंत्री सुखाड़ राहत योजना में प्रशासनिक सुस्ती की वजह से गढ़वा जिले के किसानों को राशि मिलने में देरी हो सकती है. कृषि मंत्री बादल पत्रलेख की घोषणा के अनुसार हेमंत सोरेन सरकार के तीन साल पूरा होने पर 29 दिसंबर को किसानों के खाते में सूखा राहत की राशि भेजी जानी है, लेकिन धीमी रफ्तार को देखकर लगता है कि जिले के महज 10 प्रतिशत किसानों को भी इस योजना का लाभ नहीं मिल पायेगा. हालांकि इस योजना को लेकर जिले के लोग काफी उत्साहित हैं.
किसानों के बैंक खाते में आएंगे 3,500 रुपये
16 दिसंबर तक गढ़वा जिले के 177195 लोगों ने इस योजना का लाभ लेने के लिये आवेदन किया है, लेकिन प्रशासनिक सुस्त गति का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इसमें से अभी तक मात्र 3176 किसानों के भूमि संबंधी दस्तावेज का सत्यापन हो सका है. वह भी सिर्फ अंचलस्तर से. नियमानुसार अभी अनुमंडल व उपायुक्त स्तर से भी इन लोगों के भूमि संबंधी दस्तावेज का सत्यापन करना है. उसके बाद ही आवेदकों को इस योजना का लाभ मिल सकेगा. अनुमंडल व जिलास्तर से अभी तक एक भी आवेदन का सत्यापन नहीं किया जा सका है. उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री सुखाड़ राहत योजना के तहत झारखंड के 22 जिले के 226 प्रखंडों को राज्य सरकार ने सूखा ग्रसित घोषित किया है. इसमें गढ़वा जिले के सभी प्रखंड शामिल किये गये हैं. मुख्यमंत्री सुखाड़ राहत योजना के तहत सूखा प्रभावित किसानों को मुआवजा देना है. इसके तहत राज्य सरकार प्रत्येक किसानों के बैंक खाते में 3,500 रुपये देगी.
17573 भूमिहीनों ने भी किया आवेदन
मुख्यमंत्री सुखाड़ राहत योजना के तहत आवेदन (16 दिसंबर तक के आंकड़े के अनुसार) करनेवालों में 17573 भूमिहीन कृषक हैं. भूमिहीन कृषक दूसरे के खेत में बंटाई करते हैं. गढ़वा जिले में आवेदन करनेवाले कुल 177195 किसानों में से 85967 किसान ऐसे हैं, जिन्होंने इस साल खरीफ फसल की बुआई ही नहीं की है, जबकि आवेदन के अनुसार 73655 किसानों की फसल बारिश नहीं होने की वजह से 33 प्रतिशत से ज्यादा बर्बाद हो गयी है. आवेदन करनेवाले कुल किसानों में से 22881 के भूमि सत्यापन का कार्य राजस्व कर्मचारी स्तर से किया जा चुका है, जबकि 10783 का सत्यापन अंचल निरीक्षक (सीआई) ने कर दिया है. सीओ स्तर से मात्र 3176 किसानों के ही भूमि का सत्यापन हो सका है, जबकि इसके बाद प्रखंड कृषि पदाधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी एवं उपायुक्त को भी अपने लॉगिन से इसे सत्यापित करना है. इन तीनों स्तर से सत्यापन का कार्य फिलहाल शूण्य है़
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रिपोर्ट : पीयूष तिवारी, गढ़वा