हेमंत सोरेन ने कहा – बदलेगी झारखंड की स्थानीय नीति, बनेगी कमेटी, जानिये क्या-क्या हो सकता है बदलाव

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्थानीय नीति में संशोधन करने की बात कही है. प्रोजेक्ट भवन में गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि पूर्व में जो स्थानीय नीति परिभाषित की गयी है, उस पर कई सवाल खड़े हुए हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | August 14, 2020 9:44 AM
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रांची : रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्थानीय नीति में संशोधन करने की बात कही है. प्रोजेक्ट भवन में गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि पूर्व में जो स्थानीय नीति परिभाषित की गयी है, उस पर कई सवाल खड़े हुए हैं. इसके विरोध में लोगों ने सड़क पर उतर कर आंदोलन भी किया है. उन्होंने कहा कि स्थानीय नीति में क्या बदलाव हो सकता है, इसकी समीक्षा की जायेगी. फिर आगे देखते हैं कि इसमें क्या हो सकता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी पहलुओं को समझ कर ही नीति में बदलाव किया जायेगा.

सीएम बनायेंगे मंत्रियों की तीन सदस्यीय कमेटी : सरकार ने कैबिनेट की बैठक में वर्तमान नीति की समीक्षा के लिए मंत्रियों की तीन सदस्यीय कमेटी बनाने का फैसला लिया है. मंत्रियों का नाम मुख्यमंत्री को ही तय करना है. मुख्यमंत्री द्वारा गठित मंत्रियों की कमेटी वर्तमान नीति की समीक्षा करेगी.

इसके अतिरिक्त तकनीकी पहलुओं पर विचार के लिए कार्मिक विभाग भी अधिकारियों की कमेटी बनायेगा. सरकार के निर्देश के बाद कार्मिक विभाग की ओर से स्थानीय नीति की समीक्षा के लिए कमेटी बनाने का प्रयास किया जा रहा है. यह कमेटी वर्तमान स्थानीय नीति का अध्ययन करेगी. इस नीति में क्या बदलाव हो सकता है, इसकी समीक्षा कर सरकार को रिपोर्ट देगी.

1932 के खतियान पर हो सकता है विचार : झामुमो के कई विधायक शुरू से ही 1932 के खतियान को ही लागू करने की मांग करते आ रहे हैं. कहा जा रहा है कि कमेटी इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करेगी. कमेटी में अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी होंगे. कार्मिक विभाग द्वारा सीएमओ से ही अधिकारियों के नाम की मांग की गयी है. गुरुवार को इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री के साथ अधिकारियों ने चर्चा भी की है. इस मुद्दे पर कार्मिक सचिव को ही मुख्य सचिव से सलाह लेकर कमेटी बनाने का निर्देश दिया गया है.

वर्तमान स्थानीय नीति में कट अॉफ डेट 1985 है : तत्कालीन रघुवर सरकार ने 18 अप्रैल 2016 को स्थानीय नीति की घोषणा की थी. इसके तहत झारखंड अलग राज्य बनने के 15 वर्ष पहले यानी 1985 को कट अॉफ डेट माना गया है. झारखंड में 1985 के पहले रहनेवाले लोगों को ही स्थानीय माना गया है. इसी के अनुरूप तृतीय व चतुर्थ वर्ग में नियुक्ति में प्राथमिकता देने का प्रावधान किया गया है.

हेमंत सोरेन ने कहा

सभी पहलुओं को समझ कर ही नीति में बदलाव किया जायेगा

Post by : Pritish Sahay

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