कोलकाता : जनसेवाओं के मद में खर्च करने को राज्य सरकार के पास रुपये नहीं हैं. अंतिम संस्कार जैसी जनसेवाओं की बेहतरी में कितने रुपये लगेंगे, राज्य सरकार बताये और हमसे उधार ले. यह टिप्पणी कलकत्ता हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीबीएन राधाकृष्णन व न्यायाधीश अनिरुद्ध राय की खंडपीठ ने संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान की. इस संबंध में दायर मामले पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश महोदय ने पूछा : राज्य में नागरिक सेवाओं में सुधार के लिए राज्य सरकार को कितनी धनराशि चाहिए, सरकार बताये और हमसे उधार ले.
पूर्व मेदिनीपुर के नंदकुमार थाना क्षेत्र में श्मशान घाट बनाने की मांग पर लक्ष्मीकांत नामक व्यक्ति ने हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. उसी पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने उक्त टिप्पणी की और कहा कि यदि राज्य सरकार ऐसे कार्य के लिए चंदा भी ले लेती, तो पैसे जुट जाते. न्यायमूर्ति टीबीएन राधाकृष्णन ने कहा : मैं बतौर मुख्य न्यायाधीश नहीं, बल्कि एक आम नागरिक के नाते इस मद में रुपये देने को तैयार हूं.
मुख्य न्यायाधीश महोदय ने कोर्ट के समक्ष उपस्थित सरकारी वकील से कहा : आप हमारे पास आइये. मैं आम जनता से श्मशान घाट बनाने के लिए चंदा एकत्र करूंगा. उम्मीद है कि जनता हमें निराश नहीं करेगी. इस मामले के याचिकाकर्ता का आरोप है कि पूर्व मेदिनीपुर के नंदकुमार थाना क्षेत्र के दक्षिण हाटगछिया इलाके में एक अदद श्मशान घाट नहीं है. इससे वहां के लोग रास्ते के किनारे ही शवदाह करने को बाध्य हैं.
इस मामले में हाइकोर्ट ने वहां के डीएम से रिपोर्ट तलब की थी. हाइकोर्ट के समक्ष पेश रिपोर्ट में डीएम ने बताया है कि श्मशान घाट बनाने में डेढ़ करोड़ रुपये लगेंगे. इसके लिए अतिरिक्त समय भी चाहिए. इस रिपोर्ट से असंतुष्ट मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि राज्य संविधान के अनुसार चलता है. नियम माने गये होते, तो यह नौबत नहीं आती. अदालत ने कहा कि मृत व्यक्ति भी न्यूनतम सम्मान का हकदार है. उधर, डीएम ने अपनी चुनावी व्यस्तता का हवाला देकर फिलहाल कोर्ट के समक्ष पेश होने में असमर्थता जतायी है. मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी.
Posted by – Aditi Singh