कोलकाता, अमर शक्ति : पंचायत चुनाव की घोषणा के बाद से ही राज्य के विभिन्न जिलों में हिंसा जारी है. पंचायत चुनाव भी अब हो चुका है, लेकिन बावजूद इसके हिंसा की घटनाएं कम नहीं हुई हैं. ऐसे में कलकत्ता हाइकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि राज्य में जिस प्रकार की परिस्थिति है, यहां केंद्रीय बलों को और चार सप्ताह तक रखा जा सकता है या नहीं. कलकत्ता हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम व न्यायाधीश हिरणमय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने इस संबंध में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने अदालत में कहा कि राज्य के कई हिस्सों में अभी भी हिंसा की घटनाएं हो रही हैं, ऐसे में केंद्रीय सुरक्षा बल अगर यहां से चली जाती है, तो समस्या पैदा हो जायेगी.
गौरतलब है कि इससे पहले हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने पंचायत चुनाव की मतगणना के बाद अगले 10 दिन तक केंद्रीय सुरक्षा बल रखने का आदेश दिया था, जो अवधि 22 जुलाई को समाप्त हो रही है. अब केंद्रीय सुरक्षा बलों को और यहां रखा जा सकता है या नहीं, इसका निर्णय केंद्र सरकार करेगी. इसलिए हाइकोर्ट ने केंद्र सरकार से इस बारे में जवाब मांगा है. बताया गया है कि सोमवार को इस संबंध में केंद्र सरकार अपना जवाब देगी.
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वहीं, हाइकोर्ट के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पंचायत चुनाव के लिए केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती के लिए बीएसएफ के आइजी को नोडल ऑफिसर नियुक्त किया गया था. नोडल ऑफिसर की ओर से शुक्रवार को हाइकोर्ट में हलफनामा जमा कर बताया गया है कि पंचायत चुनाव समाप्त होने के तीन दिन बाद उन्हें संवेदनशील बूथों के बारे में जानकारियां दी गयीं. राज्य में आठ जुलाई को पंचायत चुनाव था और उन्हें 11 जुलाई को पत्र देकर बताया गया कि पंचायत चुनाव के दौरान 4876 बूथ संवेदनशील हैं.
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