Himachal And Gujarat Election 2022: हिमाचल प्रदेश और गुजरात में होने जा रहे विधानसभा चुनावों को लेकर सियासी चर्चाओं का बाजार गरम है. इन दोनों ही राज्यों में वर्तमान में बीजेपी की सरकार है और कांग्रेस यहां मुख्य विपक्षी पार्टी है. हालांकि, इस बार इन दोनों ही राज्यों में आम आदमी पार्टी की एंट्री से मुकाबले के त्रिकोणीय होने की संभावना जताई जा रही है. इसी के साथ, अब सवाल उठने लगे है कि क्या बीजेपी और कांग्रेस गुजरात-हिमाचल के चुनावों में अपनी साख को बचाने के लिए विशेष रणनीति अपनाएंगे, या फिर आम आदमी पार्टी समेत अन्य छोटे दलों से इन्हें नुकसान पहुंचेगा.
बताते चलें कि भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरती है कि यहां हर कोई चुनाव में अपनी किस्मत आजमा सकता है. बीते कुछ चुनावों के दौरान अरविंद केजरीवाल की पार्टी आम आदमी पार्टी (AAP) की लोकप्रियता को देखकर यह कहा जा सकता है कि एक बार फिर से छोटे राजनीतिक दलों की सियासी अहमियत बढ़ रही है. पंजाब विधानसभा चुनाव के परिणाम इसका एक उदाहरण है. राजनीति के जानकारों का कहना है कि छोटे सियासी दलों और उनके नेताओं का अपनी कम्युनिटी में बहुत ही ज्यादा प्रभाव होता है और बड़ी सियासी पार्टियों को इनके वोट बैंक में सेंध लगाना बहुत ही मुश्किल होता है.
गुजरात में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आम आदमी पार्टी ने पिछले कुछ महीने में काफी प्रचार किया है. हालांकि, बताया जाता है कि गुजरात के लोग महज प्रचार पर नहीं जाते हैं, बल्कि प्रोडक्ट की भी जांच करते हैं. पार्टी नेताओं का कहना है कि गुजरात में आम आदमी पार्टी का पूरा फोकस अभी सूरत और पाटीदार बहुल इलाकों पर है. AAP गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया खुद पाटीदार आंदोलन से जुड़े रहे हैं. ऐसे में उन्हें पाटीदार समाज का सर्पोट मिल रहा है. गुजरात में पाटीदार मतदाताओं की संख्या 15 से 17 फीसदी है. वहीं, बीजेपी गुजरात में पाटीदार के अलावा पशु पालकों और किसानों को भी अपनी तरफ खींचने की कोशिश में जुटी है. बताया जा रहा है कि पशु पालक मौजूदा सरकार से नाराज चल रहे हैं और यह समाज एकजुट है. इनमें आम आदमी पार्टी के नेता इसुदार गढवी की अच्छी पकड़ है. जानकारी के मुताबिक, बीजेपी जिन क्षेत्रों में मजबूत है, वहां AAP की सभा और रैलियां पूरी तरह से फेल नजर आती हैं. वहीं, जिन इलाकों में बीजेपी का विरोध ज्यादा है, वहां आम आदमी पार्टी मजबूत स्थिति में दिख रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वजह से गुजरात में अभी भी भारतीय जनता पार्टी का माहौल गर्म है. हालांकि, सियासी गलियारों में चर्चा यह भी है कि बीजेपी के पास नए एवं युवा चेहरों की कमी है और इस कारण पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है. वहीं, बात अगर कांग्रेस की करें तो शहरी इलाकों में पार्टी की पकड़ कमजोर बतायी जा रही है, जबकि ग्रामीण इलाकों में वह काफी मजबूत स्थिति में दिख रही है. विशेष तौर पर आदिवासी बहुल इलाकों में कांग्रेस की पकड़ अच्छी बतायी जा रही है. इन सभी कारणों से आम आदमी पार्टी की एंट्री से गुजरात में चुनावी मुकाबले के त्रिकोणीय के आसार है. चर्चा गरम है कि आम आदमी पार्टी अब गुजरात में कांग्रेस का विकल्प बनने की कोशिश कर रही है.
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हिमाचल में सत्ता के लिए कांग्रेस और सत्तारुढ़ बीजेपी के बीच पारंपरिक रूप से सीधी लड़ाई में आम आदमी पार्टी के प्रवेश से भी कांग्रेस के लिए यह चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प होने की संभावना जताई जा रही है. बताते चलें कि कांग्रेस को 2013 में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली AAP के दिल्ली की राजनीति में प्रवेश करने से भारी नुकसान हुआ था. इन सबके बीच, कांग्रेस नेताओं के एक वर्ग का दावा है कि हिमाचल में आम आदमी पार्टी के उभरने से बीजेपी शासन से तंग आ चुके मतदाताओं को एक विकल्प मिल गया है. उल्लेखनीय है कि हिमाचल में बीते कई दशकों से बीजेपी और कांग्रेस को बारी-बारी से पांच साल के लिए सत्ता में रहने का मौका मिलता रहा है.