Himachal Election 2022 : हिमाचल प्रदेश चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो चली है. भाजपा और कांग्रेस के बड़े नेता अपने अपने बड़े चेहरों के साथ मतदाताओं को लुभाने में जुट चुके हैं. इन्हीं बड़े चेहरे में एक नाम सुरेश चंदेल का है जिन्होंने पिछले दिनों कांग्रेस का दामन छोड़ दिया और भाजपा में फिर शमिल हुए. सुरेश चंदेल ने कांग्रेस में करीब तीन वर्ष बिताने के बाद भाजपा में वापसी की है जिससे भाजपा को मजबूती मिली है. अब देखना है कि अपनी पुरानी पार्टी को ये दिग्गज कितनी सीटें दिला पाते हैं. आइए जानते हैं सुरेश चंदेल का नाम क्यों चर्चा में है.
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के गृहजिला बिलासपुर से संबद्ध सुरेश चंदेल का है. वे तीन बार लोकसभा सदस्य रह चुके हैं. सुरेश चंदेल ने भाजपा के प्रदेशाध्क्ष के पद पर भी अपनी सेवा दी है. 1988 में भाजपा के महासचिव बनने के दस साल बाद 1998 में वह भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष बने और पार्टी को हिमाचल प्रदेश में मजूबत किया.
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1998 में जब प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में पंडित सुखराम की हिमाचल विकास कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनी थी, उस वक्त सुरेश चंदेल को लोकसभा चुनाव में उतारा गाय था. उइस चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की थी. यह बारहवीं लोकसभा थी. 1999 में तेरहवीं लोकसभा के लिए चुनाव हुआ जिसमें चंदेल फिर चुनावी समर में उतरे और अपने विरोधी को पटखनी दी. 2004 की बात करें तो इस साल चौदहवीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में भी चंदेल ने जीत का परचम लहराया और हमीरपुर का प्रतिनिधित्व किया.
-सुरेश चंदेल ने 2012 में भाजपा के टिकट पर बिलासपुर से चुनाव लड़ा. लेकिन इस चुनाव में उन्हें कांग्रेस के उम्मीदवार बंबर ठाकुर के हाथों हार मिली. इसके बाद वे फिर गुमनामी में चले गये. 2017 में उन्हें बिलासपुर सदर से भाजपा ने अपना उम्मीदवार नहीं बनाया.
-लोकसभा चुनाव 2019 में चर्चा हो रही थी कि सुरेश चंदेल को भाजपा कुछ बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. इसके बाद सुरेश चंदेल ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था.
-करीब सवा तीन वर्ष के बाद सुरेश चंदेल ने पिछले दिनों कांग्रेस को अलविदा कह दिया और भाजपा में वापसी कर ली. सुरेश चंदेल की भाजपा में वापसी बिलासपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से एक दिन पहले हुई.