राउरकेला की हिमानी केला के फाइबर से बनायेगी प्लेट, पैकेजिंग बॉक्स व फर्नीचर, जानें इसकी खासियत

Rourkela news : आमतौर पर जहां आजकल कागज, प्लास्टिक, थर्माकोल की प्लेटों में पैकिंग बॉक्स का प्रयोग किया जाता है, वहीं अब प्रदूषण से निजात दिलाने के उद्देश्य से राउरकेला की बेटी हिमानी साहू केले के तने से प्लेट और एयर टाइट पैकिंग बॉक्स तैयार करेंगी. इसमें खाना शुद्ध तो रहेगा ही, वहीं पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचेगा. उत्तराखंड के काशीपुर आईआईएम (IIM, Kashipur) में साहस कार्यक्रम के तहत चुनी गयी स्टार्टअप के इस प्रोजेक्ट को काफी सराहा गया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 8, 2020 7:10 PM
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Rourkela news : राउरकेला (ओड़िशा) : आमतौर पर जहां आजकल कागज, प्लास्टिक, थर्माकोल की प्लेटों में पैकिंग बॉक्स का प्रयोग किया जाता है, वहीं अब प्रदूषण से निजात दिलाने के उद्देश्य से राउरकेला की बेटी हिमानी साहू केले के तने से प्लेट और एयर टाइट पैकिंग बॉक्स तैयार करेंगी. इसमें खाना शुद्ध तो रहेगा ही, वहीं पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचेगा. उत्तराखंड के काशीपुर आईआईएम (IIM, Kashipur) में साहस कार्यक्रम के तहत चुनी गयी स्टार्टअप के इस प्रोजेक्ट को काफी सराहा गया है.

शुरू से ही प्रतिभाशाली रही है हिमानी साहू

राउरकेला के ए 31, सेक्टर 20 निवासी राउरकेला स्टील प्लांट (Rourkela Steel Plant) के कर्मचारी दिनाबंधु साहू उनकी पत्नी सुभाषिनी साहू की 2 बेटी है. इनमें बड़ी बेटी हिमानी साहू ने वर्ष 2010 में सेक्टर 20 स्थित इस्पात इंग्लिश मीडियम स्कूल (Ispat English Medium School) से 10वीं तथा वर्ष 2012 में हमीरपुर स्थित कार्मेल कान्वेंट स्कूल से आईसीएसई 12वीं कॉमर्स की परीक्षा उत्तीर्ण किया. वर्ष 2012 में ऑल इंडिया डिजाइनिंग एंट्रेंस (All India Designing Entrance) में 596 रैंक प्राप्त किया.

तमिलनाडु में हिमानी ने केला फाइबर की खूबियां पहचानी

हिमानी साहू ने 4 साल का बैचलर डिग्री नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, चेन्नई (National Institute of Fashion Technology, Chennai) से प्रोजेक्ट डिजाइनर कोर्स (Project Designer Course) की शुरुआत की. प्रोडक्ट डिजाइन में पूरे भारत में केवल 30 विद्यार्थी ही शामिल होते हैं. रिसर्च के लिए तमिलनाडु के एक छोटे से गांव में भेजा गया, जहां पर बिजली की सुविधा नहीं है और है भी तो उसका स्रोत केवल केला है. वहां पर इतना ज्यादा केला का पेड़ है जिससे वहां के लोग उसे इस्तेमाल कर फैब्रिक, क्राफ्ट एवं अन्य चीजें बनाते है. तब वहां पर हिमानी ने पहली बार फाइबर के ऊपर रिसर्च किया और काम करना शुरू किया. इससे यह जानना शुरू किया कि केला फाइबर और उसके गुण क्या है?

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आईआईएम, काशीपुर ने दी हिमानी के स्टार्टअप को पहचान

वर्ष 2015 में हिमानी ने प्लास्टिक, थर्माकोल से तैयार प्लेट्स और पैकिंग बॉक्स से फैलने वाले प्रदूषण को देखते हुए कुछ अलग करने की सोची और रिसर्च शुरू की. इसका विकल्प निकालना चाहा जिसका कच्चा माल आसानी से उपलब्ध हो सके. हिमानी ने पहले हाथ से ही केले के तने से प्लेट तैयार किया. इसके साथ ही केला के तने से फर्नीचर बनाना भी सीखा. वर्ष 2020 में हिमानी ने आईआईएम, काशीपुर में स्टार्टअप के लिए आवेदन किया और प्रोजेक्ट की जानकारी दी. हिमानी के इस प्रोजेक्ट को काफी सराहा गया और वह केंद्र सरकार द्वारा स्टार्टअप के लिए चुनी गयी.

हिमानी ने बताया कि विश्व में सबसे ज्यादा केले का पेड़ों का उत्पादन भारत में होता है. लोग केले के पेड़ के तने को जला देते हैं या उसे नष्ट कर देते हैं, लेकिन वह इससे प्लेट्स और एयर टाइट पैकिंग बॉक्सेस तैयार कर रही है. इससे किसी प्रकार की कोई प्रदूषण नहीं होगी और खाना भी इसमें शुद्ध रहेगा. बॉक्स में गरम- ठंडा खाना आराम से रख सकते हैं. इसमें किसी तरह के प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. हिमानी ने बताया कि उनके इस स्टार्टअप में मसूरी के सिद्धार्थ को- फाउंडर हैं. केंद्र सरकार द्वारा इन्हें आर्थिक सहयोग मिलने जा रहा है. हिमानी ने बताया कि उन्होंने 2017 में उसने कंपनी खोला है जिसमें लग्जरी एवं डिजाइनिंग समान रखे गये हैं.

कंपनी का हो चुका है रजिस्ट्रेशन, डिजाइन भी कराया

हिमानी ने बताया कि कंपनी का रजिस्ट्रेशन हो चुकी है. प्लेट्स और एयर टाइट पैकिंग बॉक्सेस का पेटेंट भी करा लिया गया है. काफी महंगी होने के कारण वह निवेशक की खोज में है. उनके इस स्टार्टअप को सरकार से सहायता मिलने की उम्मीद है. प्रदूषण को लेकर अगर लोग जागरूक होते हैं, तो भविष्य में जाकर उनके इस स्टार्टअप को अच्छा बाजार मिलेगा. फिलहाल देहरादून से काम करेगी क्योंकि देहरादून से दिल्ली पास में है और दिल्ली का बाजार बहुत बड़ा है. बाद में इसी काम को आगे बढ़ायेगी. पैकिंग बॉक्स 235 एमएल से 1050 एमएल तक रहेंगे. केंद्र सरकार के स्टार्टअप से 5 से 25 लाख रुपये स्वीकृति कुछ महीनों में मिलने वाली है. हिमानी ने बताया कि केले फाइबर से निर्मित सामानों के बारे में लोगों को जानने की जरूरत है और जागरूक भी होना जरूरी है.

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बचपन से ही क्रिएटिव रही है हिमानी : दिनाबंधु साहू, पिता

हिमानी के पिता दिनाबंधु साहू ने कहा कि हमें गर्व है कि आज इस मुकाम पर पहुंची है. बचपन से ही उसे क्रिएटिव डिजाइनिंग आदि का शौक रहा है. अपने स्कूल के शिक्षकों की प्रेरणा से उसने डिजाइनिंग को चुना. क्षेत्र का चुनाव के बाद मेहनत से आगे बढ़ रही है. इससे हमारा शहर का नाम भी रोशन हो रहा है. मेरा और पूरे परिवार का आशीर्वाद इसके साथ हमेशा है. इसी तरह आगे बढ़ते रहे.

मॉर्डन व ट्रेडिशनल टेक्नोलॉजी का कर रही उपयोग : शिवानंद दास

उत्तराखंड के आईआईएम, काशीपुर के सीईओ शिवानंद दास ने कहा कि उत्तराखंड में इस तरह के स्टार्टअप शुरू करने से पलायन रुकेगी. हिमानी अपने स्टार्टअप में मॉडर्न एवं ट्रेडिशनल टेक्नोलॉजी को मिला कर काम कर रही है. यह एक अच्छी पहल है.

Posted By : Samir Ranjan.

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