Himani Shivpuri interview : ज़ी थिएटर की अनूठी पहल के तहत अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी (Himani Shivpuri) इनदिनों अपने नाटक हमीदाबाई की कोठी के टेलीप्ले को लेकर सुर्खियों में हैं. हिमानी कहती हैं कि इस नाटक को करने का मकसद लीजेंड निर्देशिका विजया मेहता के साथ काम करना था. हिमानी थिएटर के साथ साथ फिल्मों और टीवी का भी पॉपुलर चेहरा हैं. हिमानी सीरीयल ‘हप्पू सिंह की उलटन पलटन’ (Happu Ki Ultan Paltan ) में भी नजर आ रही हैं. मौजूदा समय के कई मुद्दों पर हिमानी शिवपुरी की उर्मिला कोरी से हुई बातचीत…
नाटकों का डिजिटल मंचन जी थिएटर की इस मुहिम को कैसे देखती हैं?
नाटकों का जो डिजीटलाइजेशन हो रहा है वो बहुत अच्छा प्रयास है.नाटक का आप इसे फायदा कह लो या नुकसान जो उसे देखते हैं.वो ज़िन्दगी की तरह होता है.वो हो गया तो हो गया.उसका कोई रिकॉर्ड नहीं रहता है. आजकल की जो स्थिति है.बहुत जल्दी लोग थियेटर में नहीं जाएंगे कम से कम 7 से 8 महीने जाएंगे. हमने इतने अच्छे अच्छे नाटक देखें हैं लेकिन उनका कोई रिकॉर्ड नहीं है बस कुछ तस्वीरें भर हैं. संगीत नाटक अकादमी को भी ज़ी थिएटर जैसी शुरुआत करनी चाहिए.उनके पास कई नाटकों का रिकॉर्ड है खासकर जिन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिले हैं.उन्हें उन्होंने रिकॉर्ड किया है।इससे ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को नाटकों का दर्शक बना सकते हैं.
आप थिएटर, फ़िल्म टीवी तीनों माध्यमों में सक्रीय हैं इनदिनों फिल्म इंडस्ट्री को लेकर जो नकारात्मक बातें सामने आ रही हैं, आपका क्या कहना है?
आउटसाइडर्स को मुश्किल तो होती है. मैं खुद भी भुक्त भोगी हूं. इंडस्ट्री के जो बच्चे हैं उनको तो चीज़ें प्लेट पर सजी मिलती हैं. वरुण धवन,आलिया भट्ट, जाह्नवी कपूर कई उदाहरण आपको मिल जाएंगे.इनको भी खुद को साबित भी करना पड़ता है.ये मैं भी मानूंगी लेकिन इनको हाथों हाथ ले लिया जाता है.बहुत सारे मौके भी मिलते हैं फ्लॉप होने के बावजूद.आउटसाइडर्स को उतने मौके नहीं मिलते हैं लेकिन इस हकीकत के बावजूद आउटसाइडर्स ने हमेशा अपना खास मुकाम बनाया है.अमिताभ बच्चन,शाहरुख खान से लेकर सुशांत सिंह राजपूत तक इसका उदाहरण हैं.सुशांत ने बहुत अच्छा काम किया है.
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आपके कैरियर में भी क्या कभी ऐसा समय रहा है जब आप डिप्रेशन से जूझी हैं?
हर आउटसाइडर एक्टर की लाइफ में डिप्रेशन का एक पीरियड होता ही है. जब आप नए शहर में आते हो. किसी को आप जानते नहीं हो.काम भी नहीं मिलता है तो समझ नहीं आता कि कैसे ज़िन्दगी जिऊँ. मैं अपनी ही बात करूं तो कई बार खाने के भी पैसे नहीं होते थे तो चना तो कभी भेल खाकर रहना पड़ता था. वो सब डिप्रेसिव लगता ही था. मैं तो अमेरिका में एमएससी की पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप भी पा चुकी थी लेकिन एनएसडी के लिए मैंने उसे छोड़ दिया था.मुम्बई में संघर्ष कर ही रही थी कि पति की भी मौत हो गयी.बहुत मुश्किल हालात देखें लेकिन लड़ना जारी रखा. अपने बेटे का चेहरा देखकर. डिप्रेशन को कैसे फेस करते हैं ये ज़रूरी है.
आपने टेलीविजन सीरियल ‘हप्पू की उलटन पलटन’ की शूटिंग शुरू कर दी?
अभी दो दिन ही हुए हैं शूटिंग शुरू हुए लेकिन मैं यूनिट को एक दो दिन बाद ही ज्वॉइन कर पाउंगी. नायगांव में शो का सेट है.वहां पहुंचने के लिए ड्राइवर चाहिए. लॉकडाउन में ऐसे हालात बनें कि सभी ड्राइवर अपने गाँव चले गए.अभी दूसरा ड्राइवर ढूंढ रही हूं.
आपने बीच टीवी एक्टर्स और वर्कर्स को 90 दिन के बाद जो पेमेंट मिलता है उसे गलत कहा था?
गलत है ही. लॉकडाउन में छोटे एक्टर्स और वर्कर्स पर क्या बीती होगी.हम बस सोच भर ही सकते हैं.वो काम करते हैं तो ही उन्हें पैसे मिलते हैं.मैं सलमान खान,अक्षय कुमार की बात नहीं कर रही हूं.इनकी तो बात ही अलग है.मैं आम एक्टर्स की बात कर रही हूं.उनपर क्या गुज़री होगी क्योंकि सेक्युरिटी भी कुछ नहीं है.अब काम शुरू हुआ है तो उसके भी पैसे तीन महीने बाद मिलेंगे तो क्या होगा.मेरी थोड़ी सेविंग थी इसलिए मैंने गुजारा कर लिया लेकिन बाकी एक्टर्स और वर्कर्स का क्या.जिनको रोज का 2 या 3 हज़ार मिलता है और महीने में चार से पांच दिन ही काम मिलता है तो उनका क्या होगा.वैसे निर्माता और चैनल वाले मान गए है कि वे पेमेंट के लिए अब 90 दिन का समय नहीं लेंगे.आपको जानकर हैरानी होगी दुनिया में ऐसा नियम कहीं नहीं है पता नहीं हिंदुस्तान में कहां से आ गया.विदेशों में जितने एक्टर्स हैं उनको वीकली पेमेंट मिलता है.हर शनिवार उनको उनके काम का चेक मिल जाता है.सोनी,स्टार ये कंपनियां बाहर से आकर भी हमारे देश में कैसे 90 दिन का पेमेंट सिस्टम कर देते हैं. ऐसे में एक दिक्कत ये भी होती है है अगर 90 दिन बाद ही कोई शो बंद हो जाता है तो फिर एक्टर्स के पैसे भी कई बार चले जाते हैं.
क्या आपका भी पेमेंट कभी किसी शो में डूबा है?
बहुत बार हुआ है. सीरियल बंद होते ही वो लोग कहने लगते हैं.हमारा घाटा हुआ है थोड़ा कोम्प्रोमाईज़ कर लीजिए. सिनेविस्टा का मैंने एक शो किया था मेरी बेटियों का विवाह.उसका आधा ही पैसा मिला.अभी मैंने दो शोज किए डोली सजाकर रखना एक और.उसके पैसे भी काटकर दिए.शो ऑन एयर रहता है तो एक्टर्स बोल सकता है कि 90 दिन के बाद कि पैसे दो तो ही आऊंगा शूट पर लेकिन शो बंद होने के बाद ये अपनी मनमानी करने लगते हैं.
क्या कोई फ़िल्म भी कर रही हैं?
‘हप्पू की उलटन पलटन’ में महीने के 20 से 22 दिन चले जाते हैं तो किसी और प्रोजेक्ट के लिए समय ही नहीं मिल पाता.डेविड धवन की कूली नंबर वन इसी वजह से छोड़नी पड़ी.एक वेब सीरीज को भी ना कहना पड़ा. अपना कमिटमेंट हप्पू को दे चुकी हूं.मैं हमेशा अपने कमिटमेंट को निभाती हूं.
Posted By: Budhmani Minj