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हिंदी साहित्य के आलोचक प्रो मैनेजर पांडेय के निधन पर शोक, झारखंड प्रगतिशील लेखक संघ ने दी श्रद्धांजलि

प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव मिथिलेश ने कहा, प्रो मैनेजर पांडेय ने हिंदी आलोचना के विकास में केंद्रीय भूमिका निभायी और महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का उपहार दिया. हिंदी में भक्ति आंदोलन के महत्त्व की पुनर्स्थापना तथा भक्तियुगीन साहित्य के मूल्यांकन में उन्होंने जो योगदान किया.

हिंदी साहित्य के मशहूर आलोचक और वरिष्ठ लेखक प्रोफेसर मैनेजर पांडेय का रविवार को 81 साल की उम्र में निधन हो गया. हिंदी आलोचना के महत्त्वपूर्ण स्तंभ प्रो मैनेजर पांडेय के निधन पर झारखंड प्रगतिशील लेखक संघ की अध्यक्ष मंडल के सदस्य और कथाकार ranendra, महासचिव मिथिलेश, कथाकार पंकज मित्र, कमल, प्रवीण परिमल , रांची जिला प्रगतिशील लेखक संघ की सचिव डा प्रज्ञा गुप्ता ने शोक व्यक्त करते हुए प्रो पांडेय के प्रति श्रद्धांजलि दी है.

प्रो मैनेजर पांडेय ने हिंदी आलोचना के विकास में केंद्रीय भूमिका निभायी : मिथिलेश

प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव मिथिलेश ने कहा, प्रो मैनेजर पांडेय ने हिंदी आलोचना के विकास में केंद्रीय भूमिका निभायी और महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का उपहार दिया. हिंदी में भक्ति आंदोलन के महत्त्व की पुनर्स्थापना तथा भक्तियुगीन साहित्य के मूल्यांकन में उन्होंने जो योगदान किया, वह लंबे समय तक याद रखा जायेगा. हिंदी साहित्येतिहास दर्शन की परंपरा और विधा से हिंदी जगत को परिचित कराने की दिशा में साहित्य की इतिहास दृष्टि जैसी बहुमूल्य पुस्तक के माध्यम से सार्थक प्रयत्न किया.

प्रो मैनेजर पांडेय के निधन से हिंदी जगत स्तब्ध

महासचिव मिथिलेश ने कहा, प्रो मैनेजर पांडेय साहित्य में प्रगतिशील मूल्यों की परंपरा के रेखांकन और उसकी निरंतरता को दिखाते हुए साहित्य की जनपक्षधरता की वकालत हमेशा करते रहे. केवल लेखन के माध्यम से ही नहीं वरन सांगठनिक स्तर पर सक्रिय रहते हुए वाचिक परम्परा को भी आगे बढ़ाने में अहम योगदान किया. ऐसे महत्वपूर्ण आलोचक के जाने से हिंदी जगत स्तब्ध है और अभिभावक की छाया से वंचित होने जैसा है.

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