कोलकाता : पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए होने जा रहे इस बार के चुनाव से पहले ही एक बार फिर वामपंथी, दक्षिणपंथी और मध्यमार्गी दलों को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं होने लगी हैं. इस बार यहां कौन-कौन दल कितनी-कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है. पर, लगता है जल्दी ही सभी दल अपने-अपने पत्ते खोलेंगे.
पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए जब पहला चुनाव हुआ था, तब भी मोटे तौर पर ऐसे सभी दल मैदान में थे. इनमें हिंदू महासभा (एचएमएस) जैसी पार्टी भी थी. इस दल ने बंगाल के बंटवारे से पहले और बाद में यहां काफी मेहनत की थी. हालांकि, उसे वैसी बड़ी सफलता तो नहीं मिल सकी थी, पर वीरभूम और बांकुड़ा जिलों में मतदाताओं ने हिंदू महासभा को खासा समर्थन दिया था. तब बर्दवान और मेदिनीपुर में भी उसे थोड़ी-बहुत सफलता मिली थी.
पहले विधानसभा के लिए हुए चुनाव में हिंदू महासभा ने कुल कितनी सीटों पर उम्मीदवार उतारा था और कितनी जगहों पर दूसरों को समर्थन दिया था, इसका आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. पर, तब के चुनाव परिणाम से स्पष्ट है कि इस पार्टी को राज्य के पश्चिमी इलाकों में लोगों ने ठीक-ठाक समर्थन दिया था. खासकर वीरभूम व बांकुड़ा जिले में.
इन दोनों जिलों में स्थित तीन सीटें पार्टी ने जीत ली थी और इन्हीं जिलों की चार अन्य सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी. वैसे, वीरभूम की तीन सीटों पर पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था, जबकि बांकुड़ा की तीन पर इसे जीत हासिल हुई थी और एक पर हार का मुंह देखना पड़ा था.
जैसा कि ऊपर कहा गया है, राज्य विधानसभा के लिए हुए पहले चुनाव में वीरभूम जिले में हिंदु महासभा को कोई सीट प्राप्त नहीं हो सकी थी. तब वहां की नलहाटी और नानूर की सीटें पार्टी हार गयी थी. हारने का मतलब यह कि यह दूसरे नंबर पर आयी थी.
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शांतिनिकेतन जैसे लैंडमार्क के लिए चर्चित बोलपुर में हिंदू महासभा को पराजय मिली थी. यहां उसके उम्मीदवार हेमचंद्र मुखोपाध्याय करीब चार हजार वोटों के अंतर से हार गये थे. खास बात यह रही कि वीरभूम में हिंदू महासभा ने अपने विरोधियों को अपनी ताकत का एहसास करा दिया था.
बांकुड़ा में उसके लिए अच्छा यह था कि इस जिले में तीन सीटें उसकी झोली में आ गयी थीं. पार्टी उम्मीदवार प्रबोध चंद्र दत्ता ने छतना की सीट जीत ली थी. उन्होंने अपने विरोधी कांग्रेस के उम्मीदवार कमालकांत हेम्ब्रम को पराजित किया था. हिंदू महासभा के नेता अमूल्य रतन घोष ने तब पार्टी के लिए खतड़ा सीट जीती थी.
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बांकुड़ा सदर की सीट भी हिंदू महासभा को ही मिली थी. यहां पार्टी के उम्मीदवार रहे रासबिहारी चटर्जी ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआइ) के उम्मीदवार रहे उदयभानु घोष को परास्त कर दिया था. तब उस चुनाव में हिंदू महासभा को उसकी चौथी सीट बांकुड़ा से बाहर पर उसकी सीमा से लगनेवाले बर्दवान जिले में मिली थी. वहां केतुग्राम में पार्टी की तरफ से चुनाव लड़े उसके उम्मीदवार तारापद बंद्योपाध्याय ने कांग्रेस के प्रत्याशी रहे एक कासिम को हरा दिया था.
Posted By : Mithilesh Jha