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साहिबगंज : अस्तित्व खोता जा रहा ऐतिहासिक तेलियागढ़ी किला

तेलियागढ़ी किला पहुंचे के लिए साहिबगंज जिला से 12 किलोमीटर दूरी तय कर या करमटोला रेलवे स्टेशन से महज तीन किलोमीटर कि दूरी व मिर्जाचौकी रेलवे स्टेशन से पांच किलोमीटर की दूरी तैय कर पैदल या निजी वाहन से यहां पहुंचा जा सकता है.

साहिबगंज : राजमहल पहाड़ी क्षेत्र में पाये जानेवाले जीवाश्म व कई बहुमूल्य धरोहर और तेलियागढ़ी किला को राज्य सरकार व जिला प्रशासन संरक्षित करने में असफल साबित हुआ है. 2023 में बहुमूल्य धरोहर को संरक्षित करने के अभाव में तेलियागढ़ी किला अस्तित्व खोते जा रहा है. किला गंगा नदी के मुख्य व्यापारिक मार्ग पर अवस्थित था. जल मार्ग की सुरक्षा की दृष्टिकोण से यह स्थान उपयोगी था. किले का बनावट इस प्रकार है कि यहां पर जल मार्ग या भू-मार्ग से कोई आक्रमण नहीं हो सकता था. प्राकृतिक सौंदर्य की दृष्टि से यह अत्यंत ही मनोहारी स्थान है. तेलियागढ़ी किला की चहारीदवारी टूट गयी है, जो रक्सी स्थान से भवानी चौकी तक फैली है, जिसे जमीन के अंदर देखा जा सकता है. किले के दीवार व गुंबद को उसी रूप में बनाने की जरूरत है. ताकि किला का प्राचीन गौरव स्थापित हो सके. रक्सी स्थान इसी किले के ग्राम वनदेवी के रूप में विद्यमान हैं, जबकि यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने आते हैं. यह स्थान प्रवासी पक्षियों का दुर्लभ स्थान है. शाम को यहां रंग-बिरंगे पक्षी कलरव करते हैं. इस स्थान को पर्यटन की दृष्टिकोण से विकसित करने का कार्य अगले वर्ष प्रारंभ करने की योजना थी, जबकि इस क्षेत्र में धार्मिक स्थल, प्राकृतिक स्थल, ऐतिहासिक स्थल, सांस्कृतिक स्थल के रूप में और विद्यमान है. इसे सजाने व विकसित करने की आवश्यकता है.

किला का नाम क्यों पड़ा तेलियागढ़ी

कहा जाता है कि तेलिया राजा के समय का बना किला है, जो अब तक इनका विकास नहीं हो पाया. इस जगह को पर्यटन स्थल बनाने के लिए जिला से प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है. इसके बावजूद भी किले की चहारदीवारी निर्माण, सौंदर्यीकरण समेत विकास की कई गतिविधियों पर अब तक पहल नहीं हो पायी. तेलिया राजा का यह निवास स्थान होने के कारण किला का तेलियागढी किला नाम पड़ा.

पर्यटक कैसे पहुंचें तेलियागढ़ी किला, कहीं नामोनिशान ना मिट जाये

तेलियागढ़ी किला पहुंचे के लिए साहिबगंज जिला से 12 किलोमीटर दूरी तय कर या करमटोला रेलवे स्टेशन से महज तीन किलोमीटर कि दूरी व मिर्जाचौकी रेलवे स्टेशन से पांच किलोमीटर की दूरी तैय कर पैदल या निजी वाहन से यहां पहुंचा जा सकता है. जिले के पश्चिमी छोर में वन देवी रक्सी स्थान के पास स्थित प्रकृति की गोद में बसा तेलियागढी किला को संरक्षित करने की आवश्यकता है. नहीं तो धीरे-धीरे तेलियागढ़ी किला अपना अस्तित्व खो देगा.

ढहने लगी है चहारदीवारी

इतिहास के पन्नों में तेलियागढ़ी किले का नाम एक ऐसे महत्वपूर्ण स्थान के रूप में दर्ज है, जहां कभी हुमायूं, शेरशाह, अकबर और शाह सुजा समेत कई बादशाहों की तलवार चमकती थी. तेलियागढ़ी किले का राजमहल पर्वतमाला की निकले ढलान और पत्थरनुमा ऊंची जमीन के बीच स्थित होने के कारण अत्यंत महत्वपूर्ण है. तेलियागढ़ी की मजबूत ऊंची-ऊंची दीवारों व बंगाल जाने के रास्ते में दुर्गम चट्टान की तरह खड़ी रहती थी. अब यह किला जंगल झाड़ियों से घिर गया है. इनका अवशेष टूट-फुट कर गिर रहे हैं. अगर जल्द ही किला को चहारदीवारी के साथ घेराबंदी एवं पुनर्निर्माण नहीं किया गया तो इनका नामोनिशान तक मिट जायेगा.

किया कहते हैं वन क्षेत्र पदाधिकारी

तेलियागढ़ी किले का सौंदर्यीकरण, संरक्षण, तालाबों का पुनर्निर्माण, जलस्रोतों का संरक्षण, ग्रामीणों के निवास स्थान का विकास, पशु-पक्षियों के आश्रयस्थल का प्रबंध और साहिबगंज जिले में पाये जाने वाले सभी वनस्पतियों व पेड़-पौधों का संरक्षण का प्रस्ताव तैयार किया गया है. ताकि यहां पर टूटे-फूटे अवशेष को संरक्षित किया जा सके.

जितेंदर दुबे, वन क्षेत्र पदाधिकारी, मंडरो

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