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Hockey World Cup 2023: हरमनप्रीत की कप्तानी में 48 साल के सूखे को खत्म कर पायेगा भारत? ऐसा रहा है सफर

सेंटर हाफ अजित पाल की अगुआई में भारत ने पहला हॉकी वर्ल्ड कप 1971 में बार्सीलोना में खेला था, जिसमें भारतीय टीम तीसरे स्थान पर रहते हुए कांस्य पदक पर कब्जा किया था. जबकि 1973 में दूसरे वर्ल्ड कप में एम पी गणेश की कप्तानी में भारत ने एम्सटर्डम में रजत पर कब्जा जमाया था.

By सतेंद्र पाल सिंह | January 12, 2023 10:58 PM
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ओडिशा के भुवनेश्वर में 13 जनवरी से एफआईएच हॉकी पुरुष वर्ल्ड कप की शुरुआत हो रही है. पहले मुकाबले में अर्जेंटीना और दक्षिण अफ्रीका की टीमें आमने-सामने होंगी. वर्ल्ड कप की शुरुआत होने के साथ ट्रॉफी के लिए टीमों के बीच दंगल शुरू हो जाएगा. वर्ल्ड कप में भारत का सफर कुछ खास नहीं रहा है. तीन मौकों को छोड़ दें, तो भारत टॉप पांच से बाहर ही रहा. भारत ने आखिरी बार वर्ल्ड कप 48 साल पहले 1975 में अजित पाल सिंह की कप्तानी में जीता था. अब सवाल है, क्या हरमनप्रीत सिंह की कप्तानी में भारत को दूसरी बार ट्रॉफी जीतने का मौका मिलेगा.

ऐसा रहा है वर्ल्ड कप में भारत का सफर

सेंटर हाफ अजित पाल की अगुआई में भारत ने पहला हॉकी वर्ल्ड कप 1971 में बार्सीलोना में खेला था, जिसमें भारतीय टीम तीसरे स्थान पर रहते हुए कांस्य पदक पर कब्जा किया था. जबकि 1973 में दूसरे वर्ल्ड कप में एम पी गणेश की कप्तानी में भारत ने एम्सटर्डम में रजत और 1975 में अजित पाल सिंह की अगुआई में पहली बार ट्रॉफी पर कब्जा जमाया था. फाइनल मुकाबले में दद्दा ध्यानचंद के बेटे ‘कलाकार’ अशोक कुमार सिंह ने पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक गोल दागकर भारत को 2-1 से जीत दिलाया था. इस तरह भारत ने हॉकी विश्व कप जीतने की अपनी हसरत पूरी कर ली.

हॉकी वर्ल्ड कप में नियम बदलने से भारत का खेल हुआ प्रभावित

यूरोप मुल्कों की मनमानी के चलते घास के बजाय एस्ट्रो टर्फ में हॉकी खेलने और नियमों में एफआईएच द्वारा आमूलचूल बदलाव से भारत टीम के खेल में भी काफी गिरावट आयी. बड़े बदलाव से हॉकी की सूरत ऐसी बदली कि भारत शिखर से फिसलता ही चला गया. इसके बाद भारत ने अगले सभी 11 हॉकी विश्व कप में हिस्सा तो लिया, लेकिन पदक के लिए तरस गया. भारत 1982 में छठे वर्ल्ड कप में अपने घर बॉम्बे (अब मुंबई) में महानतम फुलबैक स्वर्गीय सुरजीत सिंह की कप्तानी में तथा 1994 में सिडनी में जूड फेलिक्स की कप्तानी में पांचवें स्थान पर रहा. 1978 में वीजे फिलिप्स की कप्तानी में ब्यूनर्स आयर्स और 2018 में सबसे काबिल देशी हॉकी उस्ताद हरेन्द्र सिंह के मार्गदर्शन और मनप्रीत सिंह की कप्तानी में भुवनेश्वर में 14 वें हॉकी विश्व कप में बेहद करीबी विवादास्पद क्वॉर्टर फाइनल में नीदरलैंड से 1-2 से हार सेमीफाइनल से चूक छठे स्थान पर रहा.

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जर्मनी है वर्ल्ड कप का मजबूत दावेदार

मौजूदा ओलंपिक व विश्व कप चैंपियन एफआईएच हॉकी प्रो लीग की उपविजेता दुनिया की दूसरे नंबर की टीम बेल्जियम, तीन बार की चैंपियन दुनिया की नंबर एक टीम ओलंपिक उपविजेता ऑस्ट्रेलिया, दुनिया की तीसरे नंबर की पिछली उपविजेता, प्रो लीग चैंपियन व तीन बार चैंपियन रही नीदरलैंड, दुनिया की चौथे की नंबर की टीम दो बार की विजेता जर्मनी इस बार खिताब की मजबूत दावेदार के रूप में उतरेंगी. अब तक सबसे ज्यादा चार बार खिताब जीतने वाली पाकिस्तान विश्व कप के लिए ओलंपिक की तरह इस बार क्वॉलिफाई नहीं कर पाई.

हरमनप्रीत सिंह की कप्तानी में 48 साल के सूखे को खत्म कर पायेगा भारत?

1975 के चैंपियन भारत में ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह की अगुआई में शुक्रवार से शुरू हो रहे 15 वें एफआईएच पुरुष हॉकी विश्व कप में 48 बरस के लंबे सूखे को खत्म कर फिर पदक जीतने का दम है. भारत लगातार दूसरी और कुल चौथी बार हॉकी विश्व कप की मेजबानी कर रहा है. भारत की मौजूदा फॉर्म से उसके इस बार अपने घर में पदक जीतने का पूरा भरोसा जरूर जगता है, भले ही इसका रंग कोई भी रहे. भारत को पदक जीतना है तो खुद पर भरोसा कायम रखना होगा. आठ बार ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता भारत ने मनप्रीत सिंह की अगुआई में 2020 के टोक्यो ओलंपिक में जर्मनी को 5-4 से हराकर 41 साल बाद कांस्य जीतकर पदक के सूखे को खत्म किया.

स्पेन के खिलाफ मुकाबले के साथ भारत करेगा अपने अभियान की शुरुआत

मौजूदा वर्ल्ड कप में स्पेन के खिलाफ 13 जनवरी को भिड़ंत के साथ भारत अपने अभियान की शुरुआत करेगा. भारत-स्पेन के बीच मुकाबला 7 बजे शाम से शुरू होगा. जो की बिरसामुंडा स्टेडियम, राउरकेला में खेला जाएगा. भारत पूल डी में है. जिसमें इंग्लैंड, स्पेन और वेल्स की टीमें शामिल हैं. भारत लगातार दो मैच जीतकर प्वाइंट टेबल में टॉप पर रहते हुए क्वॉर्टर फाइनल में पहुंचना चाहेगा. अगर भारत पूल में दूसरे व तीसरे स्थान पर रहता है, तबभी क्रॉस ओवर के जरिए अंतिम आठ में पहुंचने का मौका होगा. लेकिन भारत इससे बचना ही चाहेगा. अनुभवी कप्तान हरमनप्रीत सिंह, सदाबहार गोलरक्षक पीआर श्रीजेश और आकाशदीप सिंह पर खुद बढ़िया खेलने के साथ टीम के नौजवान खिलाड़ियों का मार्गदर्शन कर उनसे भी बढ़िया प्रदर्शन करने की जिम्मेदारी होगी.

स्पेन के खिलाफ ऐसा रहा है भारत का प्रदर्शन

भारत की टीम स्पेन से एफआईएच प्रो लीग 2022-23 में पहले मैच में 2-3 से हारी और दूसरे में 2-2 की बराबरी के बाद गोलरक्षक कृष्ण पाठक की मुस्तैदी से शूटआउट में 3-1 से जीता. स्पेन के कोच इस बार अर्जेंटीना के वही मैक्स कालडा हैं, जो कि 2018 विश्वकप में उस नीदरलैंड के कोच थे, जिससे भारत विवादास्पद क्वॉर्टर फाइनल में 1-2 से हार गया था. कप्तान मार्क मिरालेस, नौजवान पाउ कुनिल और 2016 ओलंपिक में अर्जेंटीना की स्वर्ण पदक विजेता टीम के सदस्य रहे अब स्पेन से खेलने वाले जोकिम मेनिनी सहित टीम के जवाबी हमलों से भारत को चौकस रहना होगा.

स्पेन और भारतीय टीम की ये है मजबूती और कमजोरी

स्पेन के हमले तेज तर्रार स्ट्राइकर एनरिक गोंजालेज, अनुभवी मिडफील्डर मार्क मिरालेज और कप्तान अलवारो इगलेशियस पर निर्भर करेगी. भारत की रक्षापंक्ति में सुरेन्दर कुमार, खुद कप्तान हरमनप्रीत सिंह, वरुण कुमार को अपनी डी से बाहर ही स्पेन के स्ट्राइकरों को रोकने की कोशिश करनी होगी. भारत की मध्यपंक्ति में सबसे अनुभवी खिलाडिय़ों में से अब लिंकमैन के रूप में खेल रहे आकाशदीप सिंह व शमशेर के साथ आक्रामक सेंटर हाफ मनप्रीत सिंह, विवेक सागर प्रसाद के साथ डिफेंसिव मिडफील्डर हार्दिक सिंह के साथ किसी भी रक्षापंक्ति को भ्रमित करने वाले नीलकांत शर्मा को चतुराई से गेंद को स्पेन के गोंजालेज, इग्लेशियस व मेनिनी पहुंच से दूर रखना होगा.

टीम इंडिया को गुरजंट सिंह और दिलप्रीत की की खलेगी कमी

भारत की 2023 के हॉकी विश्व कप के चुनी गई 18 सदस्यीय टीम में पिछले संस्करण में शिरकत करने वाली टीम के 12 खिलाड़ी हैं. भारत की अग्रिम पंक्ति में इस इस बार पिछले विश्व कप में खेलने वाले चतुर सिमरनजीत सिंह फिट नहीं होने के कारण टीम में नहीं चुने गए. लंबे कद के गुरजंट सिंह और दिलप्रीत सिंह नहीं हैं. ऐसे में सिमरनजीत सिंह, गुरजंट और दिलप्रीत के विश्व कप टीम में जगह न पाने पर खुद गोल करने और पेनल्टी कॉर्नर बनाने की जिम्मेदारी नौजवान स्ट्राइकर अभिषेक, मनदीप, ललित उपाध्याय और नौजवान सुखजीत के साथ लिंकमैन आकाशदीप पर ही आ जाएगी. भारत की खुशकिस्मती है कि पेनल्टी कॉर्नर पर गोल करने के लिए उसके पास बतौर ड्रैग फ्लिकर कप्तान हरमनप्रीत सिंह जैसे ब्रह्मास्त्र के साथ वरुण कुमार भी हैं. भारत की ताकत बेशक उसके दुनिया के सबसे खतरनाक ड्रैग फ्लिकर में से कप्तान हरमनप्रीत सिंह और मुस्तैद गोलरक्षक पीआर श्रीजेश हैं. हरमनप्रीत सिंह बेशक पेनल्टी कॉर्नर पर भारत की इस विश्व कप में तुरुप के इक्के रहने वाले हैं. भारत के लिए अच्छी बात यह है कि नौजवान वरुण कुमार के रूप में कप्तान हरमनप्रीत सिंह के साथ बतौर ड्रैग फ्लिक किसी भी रक्षापंक्ति को बिखरने वाला ड्रैग फ्लिकर है. भारत ने एफआईएच प्रो लीग 2021-22 में तीसरे स्थान पर रहा उसमें उसके ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह ने सबसे ज्यादा 18 गोल किए थे. भारत की ओलंपिक में कांस्य पदक में जीत में भी हरमनप्रीत सिंह ने छह गोल किए थे. कप्तान हरमनप्रीत सहित भारत की मौजूदा टीम मे दर्जन भर से ज्यादा खिलाडिय़ों के ओलंपिक सहित पिछले इन तीनों बड़े टूर्नामेंट में साथ खेलने का अनुभव उन्हें दबाव को बेहतर ढंग से झेलने के लिए जेहनी तौर पर तैयार रखेगा.

2023 पुरुष हॉकी विश्व कप, कुल 16 टीमें, चार पूल

पूल ए : अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, द अफ्रीका

पूल बी: बेल्जियम , जर्मनी, जापान, द. कोरिया

पूल सी: चिली, मलयेशिया, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड

पूल डी: इंग्लैंड, भारत, स्पेन, वेल्स

भारत का एफआईएच हाकी विश्व कप में अब तक का सफर

1971 बार्सीलोना अजित पाल सिंह- तीसरा

1973 एम्सर्टडम एमपी गणेेश- दूसरा

1975 क्वालालंपुर अजित पाल सिंह- पहला

1978 ब्यूनर्स आयर्स वीजे फिलिप्स- छठा

1982 बॉम्बे (मुंबई) सुरजीत सिंह- पांचवां

1986 लंदन मोहम्मद शाहिद 12वां व अंतिम

1990 लाहौर परगट सिंह- दसवां

1994 सिडनी जूड फेलिक्स- पांचवां

1998 उत्रेक्त धनराज पिल्ले- नौंवा

2002 मॉॅन्शेनग्लाडबाख बलजीत ढिल्लों- दसवां

2006 क्वालालंपुर दिलीप तिर्की- 11 वां

2010 नई दिल्ली राजपाल सिंह- आठवां

2014 हेग सरदार सिंह- नौंवा

2018 भुवनेश्वर मनप्रीत सिंह- छठा

(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार हैं)

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