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Holi 2022: भद्राकाल के रहते आज किस समय होगा होलिका दहन, पूरी डिटेल जानें

Holi 2022: होली का त्योहार इस बार 19 मार्च को मनाया जा रहा है. जबकि होलिका दहन 17 मार्च यानी आज किया जा रहा है. वैसे तो होलिका दहन रात के समय किए जाने की परंपरा है लेकिन इस बार होलिका दहन के दिन भद्राकाल का साया छाया हुआ है. ऐसे में होलिका दहन किस समय किया जाएगा यह जान लेना बहुत जरूरी है.

Holi 2022: होली का इंतजार खत्म हो चुका है. आज 17 मार्च को गुरुवार के दिन होलिका ​दहन (Holika Dahan) किया जाएगा, लेकिन होली एक दिन बाद 19 मार्च को मनाई जाएगी. हर साल होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि (Purnima Tithi) को सूर्यास्त के बाद किया जाता है. पूर्णिमा तिथि 17 मार्च 2022 को दोपहर 01:29 बजे से शुरू होकर 18 मार्च दोपहर 12:52 मिनट तक रहेगी. लेकिन 17 मार्च को 01:20 बजे से भद्राकाल शुरू हो जाएगा और देर रात 12:57 बजे तक रहेगा. भद्राकाल होने से लोगों के मन में होलिका दहन के समय (Holika Dahan Time) और शुभ मुहूर्त को लेकर संशय बना हुआ है. शास्त्रों में भद्राकाल को अशुभ समय बताया गया है और इस समय में किसी भी शुभ काम को न करने की सलाह दी गई है. ऐसे में हाेलिका दहन करने का सही समय, होलिका पूजा विधि और होलिका पूजा सामग्री के बारे में जान लें.

Holika Dahan: होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

हिंदू शास्त्रों में भद्राकाल में कोई भी शुभ काम न करने की सलाह दी गई है. भद्राकाल देर रात 12:57 बजे तक रहेगा. ऐसे में देखा जाए तो होलिका दहन का शुभ समय तो 12:57 बजे के बाद ही है. यानी12:58 बजे से 02:12 बजे तक होलिका दहन किया जा सकता है. इसके बाद ब्रह्म मुहूर्त की शुरुआत हो जाएगी. लेकिन कुछ ज्योतिष विद्वानों का मत है कि होलिका दहन रात 09:06 बजे से लेकर 10:16 बजे के बीच भी किया जा सकता है क्योंकि इस समय भद्रा की पूंछ रहेगी. हालांकि भद्रा की पूंछ में होलिका दहन किया जा सकता है.

Holika Dahan Puja Samagri: होलिका दहन पूजा सामग्री

एक लोटा जल, गाय के गोबर से बनी माला, अक्षत, गन्ध, पुष्प, माला, रोली, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, गेंहू की बालियां.

Holika Puja Vidhi: होलिका पूजा विधि

  • सभी पूजन सामग्री को एक थाली में रख लें साथ में जल का लोटा भी रखें.

  • पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं. उसके बाद पूजा थाली पर और अपने आप पानी छिड़कें और ‘ऊँ पुण्डरीकाक्ष: पुनातु’ मंत्र का तीन बार जाप करें.

  • अब अपने दाएं हाथ में जल, चावल, फूल और एक सिक्का लेकर संकल्प लें.

  • फिर दाहिने हाथ में फूल और चावल लेकर गणेश जी का स्मरण करें.

  • गणेश पूजा के बाद देवी अंबिका का स्मरण करें और ‘ऊँ अम्बिकायै नम: पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि सर्मपयामि’ मंत्र का जाप करें.

  • मंत्र का जाप करते हुए फूल पर रोली और चावल लगाकर देवी अंबिका को सुगंध सहित अर्पित करें.

  • इसके बाद अब भगवान नरसिंह का स्मरण करें. मंत्र का जाप करते हुए फूल पर रोली और चावल लगाकर भगवान नरसिंह को अर्पित करें.

  • इसके बाद अब भक्त प्रह्लाद का स्मरण करें. फूल पर रोली और चावल लगाकर भक्त प्रह्लाद को चढ़ाएं.

  • अब होलिका के आगे खड़े हो जाएं और अपने हाथ जोड़कर प्रार्थना करें. होलिका में चावल, धूप, फूल, मूंग दाल, हल्दी के टुकड़े, नारियल और गाय के गोबर से बनी माला जिसे बड़कुला या गुलारी भी कहते हैं होलकिा में अर्पित करें.

  • अब होलिका की परिक्रमा करते हुए उसके चारों ओर कच्चे सूत की तीन, पांच या सात फेरे बांधे. इसके बाद होलिका के ढेर के सामने लोटे के जल को पूरा अर्पित कर दें.

  • इसके बाद होलिका दहन किया जाता है. लोग होलिका के चक्कर लगाते हैं. जिसके बाद बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है. लोग होलिका की परिक्रमा करते हैं और अलाव में नई फसल चढ़ाते हैं और भूनते हैं. भुने हुए अनाज को होलिका प्रसाद के रूप में खाया जाता है.

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