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Holi 2022: अगले सप्ताह इस दिन मनाया जाएगा होली का त्योहार,जानें शुभ मुहूर्त और इससे संबंधित पौराणिक कथा

Holi 2022: भद्रा पूंछ में होलिका दहन कर सकते हैं. इसलिए 17 मार्च को रात 09 बजकर 06 मिनट से होलिका दहन हो सकता है. क्योंकि इस दिन भद्रा का समापन देर रात 01 बजकर 12 मिनट पर होगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 12, 2022 9:11 AM

Holi 2022: होली मुख्य रूप से हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है. यदि प्रतिपदा दो दिन पड़ रही हो तो पहले दिन को ही होली मनाया जाता है 2022कीं होली 18 मार्च 2022 दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा. इस दिन को लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाते हैं. होली (Holi) का त्योहार हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा (Holi Festival) के दिन मनाया जाता है. अगले दिन लोग रंगों और पानी से खेलते हैं. आइए जानें इस साल होली का त्योहार कब मनाया जाएगा.

भद्रा पूंछ में कर सकते हैं होलिका दहन

शास्त्रों के अनुसार भद्रा पूंछ में होलिका दहन कर सकते हैं. इसलिए 17 मार्च को रात 09 बजकर 06 मिनट से होलिका दहन हो सकता है. क्योंकि इस दिन भद्रा का समापन देर रात 01 बजकर 12 मिनट पर होगा. यदि जो लोग भद्रा के बाद होलिका दहन करना चाहते हैं, तो उनके लिए मुहूर्त देर रात 01:12 बजे से 18 मार्च को सुबह 06:28 बजे तक है.

इस दिन खेली जाएगी रंग की होली

दरअसल इस साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि का आरंभ 17 मार्च को दोपहर 1 बजकर 29 मिनट पर होगा. पूर्णिमा तिथि 18 मार्च को दोपहर 12 बजकर 47 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. इसलिए रंग वाली होली 18 मार्च को खेली जाएगी.

होली से जुड़ी अनेक कथाएँ इतिहास-पुराण में पायी जाती हैं; जैसे हिरण्यकश्यप-प्रह्लाद की जनश्रुति, राधा-कृष्ण की लीलाएँ और राक्षसी धुण्डी की कथा आदि.

फाल्गुन मास की पूर्णिमा को बुराई पर अच्छाई की जीत को याद करते हुए होलिका दहन किया जाता है. कथा के अनुसार असुर हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, लेकिन यह बात हिरण्यकश्यप को बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी. बालक प्रह्लाद को भगवान कि भक्ति से विमुख करने का कार्य उसने अपनी बहन होलिका को सौंपा, जिसके पास वरदान था कि अग्नि उसके शरीर को जला नहीं सकती. भक्तराज प्रह्लाद को मारने के उद्देश्य से होलिका उन्हें अपनी गोद में लेकर अग्नि में प्रविष्ट हो गयी, लेकिन प्रह्लाद की भक्ति के प्रताप और भगवान की कृपा के फलस्वरूप ख़ुद होलिका ही आग में जल गयी. अग्नि में प्रह्लाद के शरीर को कोई नुक़सान नहीं हुआ.मथुरा और वृन्दावन में भी 15 दिनों तक होली की धूम रहती है़.

रंगवाली होली

राधा-कृष्ण के पावन प्रेम की याद में भी मनाया जाता है. कथानक के अनुसार एक बार बाल-गोपाल ने माता यशोदा से पूछा कि वे स्वयं राधा की तरह गोरे क्यों नहीं हैं. यशोदा ने मज़ाक़ में उनसे कहा कि राधा के चेहरे पर रंग मलने से राधाजी का रंग भी कन्हैया की ही तरह हो जाएगा. इसके बाद कान्हा ने राधा और गोपियों के साथ रंगों से होली खेली और तब से यह पर्व रंगों के त्योहार के रूप में मनाया जा रहा है.

संजीत कुमार मिश्रा

ज्योतिष एवं रत्न विशेषज्ञ

8080426594/9545290847

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