Holika Dahan 2022: होलिका दहन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पूजा सामग्री नोट कर लें

Holika Dahan 2022: इस बार होलिका दहन 17 मार्च को होगा. जबकि होली 19 मार्च 2022 को मनाई जाएगी.होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि, नियम के बारे में डिटेल में जानें.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 17, 2022 10:32 AM

Holika Dahan 2022 Date: होली का त्योहार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है. होली से एक दिन पहले होलिका दहन होता है. लेकिन इस बार होलिका दहन 17 मार्च को किया जा रहा है जबकि होली 19 मार्च को मनाई जाएगी. होलिका दहन के दिन होलिका की पूजा-अर्चना की जाती है. होली से पहले होलिका पूजा को काफी महत्वपूर्ण माना गया है. होलिका दहन (Holika Dahan 2022) का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि, नियम के बारे में डिटेल में जानें.

Holika Dahan 2022 Shubh Muhurat: होलिका दहन का शुभ मुहूर्त जानें

होलिका दहन बृहस्पतिवार, मार्च 17, 2022 को

होलिका दहन मुहूर्त – 09:06 शाम से 10:16 शाम

अवधि – 01 घण्टा 10 मिनट्स

रंगवाली होली शुक्रवार, मार्च 18, 2022 को

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – मार्च 17, 2022 को 01:29 शाम बजे

पूर्णिमा तिथि समाप्त – मार्च 18, 2022 को 12:47 शाम बजे

होलिका दहन हिन्दु मध्य रात्रि के बाद

वैकल्पिक मुहूर्त- हिन्दु मध्य रात्रि के बाद – 01:12 सुबह से 06:28 सुबह, मार्च 18

अवधि – 05 घण्टे 16 मिनट्स


Holika Dahan Puja Samagri: होलिका दहन पूजा सामग्री

एक लोटा जल, गाय के गोबर से बनी माला, अक्षत, गन्ध, पुष्प, माला, रोली, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, गेंहू की बालियां.

Holika Puja Vidhi: होलिका पूजा विधि

  • सभी पूजन सामग्री को एक थाली में रख लें साथ में जल का लोटा भी रखें.

  • पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं. उसके बाद पूजा थाली पर और अपने आप पानी छिड़कें और ‘ऊँ पुण्डरीकाक्ष: पुनातु’ मंत्र का तीन बार जाप करें.

  • अब अपने दाएं हाथ में जल, चावल, फूल और एक सिक्का लेकर संकल्प लें.

  • फिर दाहिने हाथ में फूल और चावल लेकर गणेश जी का स्मरण करें.

  • गणेश पूजा के बाद देवी अंबिका का स्मरण करें और ‘ऊँ अम्बिकायै नम: पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि सर्मपयामि’ मंत्र का जाप करें.

  • मंत्र का जाप करते हुए फूल पर रोली और चावल लगाकर देवी अंबिका को सुगंध सहित अर्पित करें.

  • इसके बाद अब भगवान नरसिंह का स्मरण करें. मंत्र का जाप करते हुए फूल पर रोली और चावल लगाकर भगवान नरसिंह को अर्पित करें.

  • इसके बाद अब भक्त प्रह्लाद का स्मरण करें. फूल पर रोली और चावल लगाकर भक्त प्रह्लाद को चढ़ाएं.

  • अब होलिका के आगे खड़े हो जाएं और अपने हाथ जोड़कर प्रार्थना करें. होलिका में चावल, धूप, फूल, मूंग दाल, हल्दी के टुकड़े, नारियल और गाय के गोबर से बनी माला जिसे बड़कुला या गुलारी भी कहते हैं होलकिा में अर्पित करें.

  • अब होलिका की परिक्रमा करते हुए उसके चारों ओर कच्चे सूत की तीन, पांच या सात फेरे बांधे. इसके बाद होलिका के ढेर के सामने लोटे के जल को पूरा अर्पित कर दें.

  • इसके बाद होलिका दहन किया जाता है. लोग होलिका के चक्कर लगाते हैं. जिसके बाद बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है. लोग होलिका की परिक्रमा करते हैं और अलाव में नई फसल चढ़ाते हैं और भूनते हैं. भुने हुए अनाज को होलिका प्रसाद के रूप में खाया जाता है.

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