Holika Dahan 2022 LIVE: होलिका दहन आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, पूजा के समय जरूर पढ़ें ये कथा
Holika Dahan 2022 Live Updates: होली को नये साल के आगमन और बसंत ऋतु के अवसर पर किया गया यज्ञ भी माना जाता है. इस साल होलिका दहन का त्योहार 17 मार्च 2022 को मनाया जाएगा. होलिका दहन का महत्व ऐसे में आइए जानते हैं होलिका दहन का शुभ मुहूर्त, मंत्र और पूजा विधि.
मुख्य बातें
Holika Dahan 2022 Live Updates: होली को नये साल के आगमन और बसंत ऋतु के अवसर पर किया गया यज्ञ भी माना जाता है. इस साल होलिका दहन का त्योहार 17 मार्च 2022 को मनाया जाएगा. होलिका दहन का महत्व ऐसे में आइए जानते हैं होलिका दहन का शुभ मुहूर्त, मंत्र और पूजा विधि.
लाइव अपडेट
Holika Dahan 2022: पूजा घर में एक दिया जरूर जलाएं
ऐसी मान्यता है कि होलिका दहन के बाद घर आकर भी पूजा घर में एक दिया जरूर जलाना चाहिए. घर में सुख समृद्धि बनी रहती है.
Holika Dahan 2022: इन पेड़ों की लकड़ियां न जलाएं
बरगद, शमी, आंवला, बेल, नीम, पीपल, आम और केला के पेड़ की लकड़ियों का प्रयोग होलिका दहन के दौरान नहीं करना चाहिए. हिंदू धर्म में इन पेड़ों को काफी पवित्र और पूज्यनीय माना गया है. इनकी पूजा की जाती है और इनकी लकड़ियों का प्रयोग यज्ञ, अनुष्ठान जैसे अत्यंत शुभ कार्यों के लिए किया जाता है. होलिका दहन को जलते हुए शरीर का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इस कार्य में इन पूज्यनीय पेड़ों की लकड़ियों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
Holika Dahan 2022: भस्म का लेप लगाते समय इस मंत्र का जाप करना शुभ
वंदितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्मणा शंकरेण च.
अतस्त्वं पाहि मां देवी! भूति भूतिप्रदा भव..
साथ ही होली की भस्म के लिए एक मान्यता ये भी है कि इसे घर में लाने से घर से नकारात्मक और अशुभ शक्तियों का प्रभाव खत्म होता है. इसलिए लोग इसे घर में लाकर रखते हैं .. वहीं कुछ लोग इसे ताबीज में भरकर घारण करते हैं, ताकि नकारात्मक शक्तियों और तंत्र-मंत्र के प्रभाव से बच सकें.
Holika Dahan 2022: व्यापार में लाभ के लिए करें ये उपाय
मान्यता के अनुसार, व्यापार में लाभ के लिए होलिका दहन की रात घर के मुख्य द्वार पर गुलाल डालें और दो मुखी दीप जलाएं. वहीं होलिका दहन की भस्म को सात चुटकी ले कर एक लाल रंग के कपड़े में बांध लें. इसे घर की तिजोरी में रख दें. कहा जाता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी.
Holika Dahan: होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
हिंदू शास्त्रों में भद्राकाल में कोई भी शुभ काम न करने की सलाह दी गई है. भद्राकाल देर रात 12:57 बजे तक रहेगा. ऐसे में देखा जाए तो होलिका दहन का शुभ समय तो 12:57 बजे के बाद ही है. यानी12:58 बजे से 02:12 बजे तक होलिका दहन किया जा सकता है. इसके बाद ब्रह्म मुहूर्त की शुरुआत हो जाएगी. लेकिन कुछ ज्योतिष विद्वानों का मत है कि होलिका दहन रात 09:06 बजे से लेकर 10:16 बजे के बीच भी किया जा सकता है क्योंकि इस समय भद्रा की पूंछ रहेगी. हालांकि भद्रा की पूंछ में होलिका दहन किया जा सकता है.
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Holika Dahan 2022: होलिका का भस्म घर लाने से दूर होती है नकारात्मकता
होलिका की भस्म के लिए एक मान्यता यही है कि इसे घर में लाने से घर से नकारात्मक और अशुभ शक्तियों का प्रभाव खत्म होता है. इसलिए लोग इसे घर में लाकर रखते हैं .. वहीं कुछ लोग इसे ताबीज में भरकर घारण करते हैं, ताकि नकारात्मक शक्तियों और तंत्र-मंत्र के प्रभाव से बच सकें.
Holika Dahan 2022: होलिका दहन के भस्म का ऐसे करें प्रयोग
1- मान्यता है कि होली की भस्म शुभ होती है और इसमें देवताओं की कृपा होती है. इस भस्म को माथे पर लगाने से भाग्य अच्छा होता है और बुद्धि बढ़ती है.
2 -एक मान्यता यह भी है कि भस्म में शरीर के अंदर स्थित दूषित द्रव्य सोख लेने की क्षमता होती है, इस कारण पर भस्म लेपन करने से कई तरह के चर्म रोग नहीं होते हैं.
होली की भस्म से दूर होती हैं बुरी आत्माएं
3- ऐसा भी माना जाता है कि होली की बची हुई अग्नि और भस्म को अगले दिन प्रात: घर में लाने से घर को अशुभ शक्तियों से बचाने में सहयोग मिलता है.
4- कई लोग होली की भस्म लाकर ताबीज में भरकर बाधंते हैं. माना जाता है इससे घर में बुरी आत्माओं का प्रभाव नहीं होता और न ही किसी प्रकार के तंत्र मंत्र से नुकसान होता.
Holika Puja Vidhi: होलिका पूजा विधि
सभी पूजन सामग्री को एक थाली में रख लें साथ में जल का लोटा भी रखें.
होलिका के आगे खड़े हो जाएं और अपने हाथ जोड़कर प्रार्थना करें. होलिका में चावल, धूप, फूल, मूंग दाल, हल्दी के टुकड़े, नारियल और गाय के गोबर से बनी माला जिसे बड़कुला या गुलारी भी कहते हैं होलकिा में अर्पित करें.
अब होलिका की परिक्रमा करते हुए उसके चारों ओर कच्चे सूत की तीन, पांच या सात फेरे बांधे. इसके बाद होलिका के ढेर के सामने लोटे के जल को पूरा अर्पित कर दें.
इसके बाद होलिका दहन किया जाता है. लोग होलिका के चक्कर लगाते हैं. जिसके बाद बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है. लोग होलिका की परिक्रमा करते हैं और अलाव में नई फसल चढ़ाते हैं और भूनते हैं. भुने हुए अनाज को होलिका प्रसाद के रूप में खाया जाता है.
Holika Dahan Pooja Samagri: होलिका दहन पूजा सामग्री
एक लोटा जल, गाय के गोबर से बनी माला, अक्षत, गन्ध, पुष्प, माला, रोली, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, गेंहू की बालियां.
Holika Dahan 2022: होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
हिंदू शास्त्रों में भद्राकाल में कोई भी शुभ काम न करने की सलाह दी गई है. भद्राकाल देर रात 12:57 बजे तक रहेगा. ऐसे में देखा जाए तो होलिका दहन का शुभ समय तो 12:57 बजे के बाद ही है. यानी12:58 बजे से 02:12 बजे तक होलिका दहन किया जा सकता है. इसके बाद ब्रह्म मुहूर्त की शुरुआत हो जाएगी. लेकिन कुछ ज्योतिष विद्वानों का मत है कि होलिका दहन रात 09:06 बजे से लेकर 10:16 बजे के बीच भी किया जा सकता है क्योंकि इस समय भद्रा की पूंछ रहेगी. हालांकि भद्रा की पूंछ में होलिका दहन किया जा सकता है.
Holika Dahan 2022: होलिका दहन का है विशेष महत्व
इस दिन लोग होलिका की पूजा भी करते हैं. हिंदू पौराणिक कथाओं में ये माना जाता है कि होलिका पूजा करने से सभी के घर में समृद्धि आती है. लोगों का मानना है कि होलिका पूजा करने के बाद वे सभी प्रकार के भय पर विजय प्राप्त कर सकते हैं.
Holika Dahan 2022: होलिका जलाने में इन लकड़ियों का इस्तेमाल न करें
पीपल, बरगद, शमी, आंवला, नीम, आम, केला और बेल की लकड़ियों का प्रयोग होलिका दहन के दौरान कभी नहीं किया जाना चाहिए. हिंदू धर्म में इन पेड़ों को काफी पवित्र और पूज्यनीय माना गया है. इनकी पूजा की जाती है और इनकी लकड़ियों का प्रयोग यज्ञ, अनुष्ठान आदि शुभ कार्यों के लिए किया जाता है. होलिका दहन को जलते हुए शरीर का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इस कार्य में इन लकड़ियों का उपयोग नहीं करना चाहिए.
Holika Dahan Upay: सूर्यास्त के बाद करते हैं होलिका दहन
हिंदू धर्म ग्रन्थों के अनुसार, होलिका दहन (Hoilika Dahan 2022 Date) पूर्णिमा तिथि में सूर्यास्त के बाद करना चाहिए, लेकिन यदि इस बीच भद्राकाल हो, तो भद्राकाल में होलिका दहन नहीं करना चाहिए, इसके लिए भद्राकाल के समाप्त होने का इंतजार करना चाहिए. होलिका दहन के लिए भद्रामुक्त पूर्णिमा तिथि का होना बहुत जरूरी है. हिंदू शास्त्रों में भद्राकाल को अशुभ माना गया है.
Holika Dahan Upay: होलिका दहन के दिन करें ये उपाय
होलिका दहन की पूजा के दौरान नारियल के साथ पान और सुपारी अर्पित करना चाहिए. इससे सोया भाग्य जाग सकता है.
घर की नकारात्मकता दूर करने और परिवार के लोगों के जीवन की हर परेशानी को दूर करने के लिए होलिका दहन के दिन एक नारियल लें. इसे अपने और परिवार के लोगों पर सात बार वार लें. इसके बाद होलिका दहन की अग्नि में इस नारियल को डाल दें और सात बार होलिका की परिक्रमा करें.
होलिका दहन के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अपने सामर्थ्य के अनुसार दान जरूर करें. इससे जीवन में आने वाले संकट दूर हो जाते हैं.
होलिका दहन और तंत्र पूजा
होलिका दहन की रात्रि तंत्र पूजा के लिए बहुत ही सुंदर अवसर है. अमावस्या की रात्रि के बाद दूसरा सुंदर अवसर हमको होलाष्टक से होलिका दहन तक प्राप्त होता है. जो लोग बहुत बीमार रहते हों. मारकेश से प्रभावित हों. कुंडली में अष्टम में स्थित ग्रह की महादशा या अंतर्दशा हो तो भी कुछ अनुष्ठान बहुत ही राहत देंगे.
पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में होलिका दहन
शुक्र के ही पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में होलिका दहन होगा. ये ग्रह सुख-सुविधा, समृद्धि, उत्सव, हर्ष और ऐश्वर्य का भी कारक है.
बहुत खास होती है होली की रात
ज्योतिष और तंत्र में होली की रात का विशेष महत्व बताया गया है. इस रात्रि में की गई तंत्र साधना शीघ्र ही सफल हो सकती है. मंगल, शुक्र, शनि की युति मकर राशि में है और मंगल सूर्य की ओर देख रहा है, जिससे तंत्र के लिए यह रात बेहद खास होगी. जो लोग मंत्र साधना करना चाहते हैं वे रात के समय एकांत शिव मंदिर में मंत्र जाप और साधना कर सकते हैं.
ये है होलिका दहन की धार्मिक मान्यता
हिंदू धर्म ग्रन्थों के अनुसार, होलिका दहन (Hoilika Dahan 2022 Date) पूर्णिमा तिथि में सूर्यास्त के बाद करना चाहिए, लेकिन यदि इस बीच भद्राकाल हो, तो भद्राकाल में होलिका दहन नहीं करना चाहिए, इसके लिए भद्राकाल के समाप्त होने का इंतजार करना चाहिए. होलिका दहन के लिए भद्रामुक्त पूर्णिमा तिथि का होना बहुत जरूरी है. हिंदू शास्त्रों में भद्राकाल को अशुभ माना गया है.
होलिका दहन 2022 की डेट
इस वर्ष पूर्णिमा तिथि 17 मार्च 2022 को दोपहर 01:29 बजे से शुरू होकर 18 मार्च दोपहर 12:52 मिनट तक रहेगी. जबकि 17 मार्च को ही 01:19 बजे से भद्राकाल शुरू हो जाएगा और देर रात 12:58 बजे तक रहेगा, ऐसे में भद्राकाल होने के कारण शाम के समय होलिका दहन (When is Holika Dahan in 2022) नहीं किया जा सकेगा. चूंकि होलिका दहन के लिए रात का समय उपर्युक्त माना गया है, ऐसे में 12:58 बजे भद्राकाल समाप्त होने के बाद होलिका दहन संभव हो सकेगा. रात के समय होलिका दहन करने के लिए शुभ समय 12:58 बजे से लेकर रात 2:12 बजे तक है.
होली 2022 की डेट
पंचांग के अनुसार होली 19 मार्च को मनायी जानी चाहिए. हालांकि होली को लेकर ये परंपरा है कि इसे होलिका दहन या छोटी होली के अगले दिन मनाया जाता है. ऐसे में कुछ जगहों पर होली 18 तारीख को भी मनाई जा रही है.
होलिका दहन के समय करें ये उपाय
घर की नकारात्मकता दूर करने और परिवार के लोगों पर से बलाओं को समाप्त करने के लिए आज के दिन एक नारियल लें. इसे अपने और परिवार के लोगों पर सात बार वार लें. होलिका दहन की अग्नि में इस नारियल को डाल दें और सात बार होलिका की परिक्रमा करके मिठाई का भोग लगाएं.
होलिका दहन से पहले करें नरसिंह भगवान की विधि-विधान से पूजा
हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा पर होलिका दहन किया जाता है. इसके अगले दिन यानी चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को होली मनाई जाती है. इस दिन रंग खेला जाता है. इस बार होलिका दहन 17 मार्च के दिन किया जाएगा. होलिका दहन से पहले नरसिंह भगवान की विधि-विधान से पूजा की जाती है. कोई भी पूजा आरती के बिना पूर्ण नहीं मानी जाती है.
शीघ्र विवाह के उपाय
विवाह में आ रही दिक्कतें और वाह में हो रही देरी के लिए होलिका दहन में काले तिल, उड़द दाल, सूखा नारियल और सुपारी लेकर सात बार लड़के या लड़की के सिर से घुमाकर होलिका दहन में डाल दें. इससे विशेष लाभ मिलेगा.
रात 1:30 बजे से सूर्योदय के पहले मुहूर्त
भाद्र पक्ष के दौरान होलिका पूजन तो होता है लेकिन होलिका दहन भाद्र पक्ष के बाद किया जाता है. इस बार रात 1:30 बजे से सूर्योदय के पहले होलिका दहन होगा.
वर्ष 2023 में सुबह 5:00 बजे तक भाद्र पक्ष रहेगा इसलिए अगले साल रात में होली दहन सुबह 5:00 बजे से सूर्य उदय के पहले होली दहन किया जाएगा.
शुक्रवार को मनाई जाएगी धूलेंडी
गुरुवार को होली का पूजन किया जाएगा. इसके अलावा शुक्रवार सुबह 4:30 बजे ब्रह्म मुहूर्त में होलिका दहन होगा. इसके बाद धूलेंडी का पर्व मनाया जाएगा.
राशियों की ऐसी रहेगी स्थिति
चंद्र राशि अनुसार भद्रा का निवास करती है.
मेष, वृषभ, मिथुन तथा वृश्चिक राशि के चंद्रमा के होने पर भद्रा स्वर्ग लोक में रहती है.
कन्या, तुला, धनु और मकर का चंद्रमा होने पर पाताल में रहती है.
कुंभ, मीन, कर्क तथा सिंह का चंद्रमा होने पर भद्रा भूलोक अर्थात पृथ्वी पर रहती है.
भूलोक वासिनी में वर्जित मानी गई है स्वर्ग तथा पाताल लोक वासिनी भद्रा शुभ मानी गई है. स्वर्ग में भद्रा हो तो धनधान्य की उपलब्धि होती है तथा पाताल लोक वासिनी भद्रा में धन का लाभ होता है.
भद्रा के भेद से पूजन का दोष नहीं
भद्रा का अलग-अलग वास अलग-अलग प्रकार की स्थिति को दर्शाता है जिसे स्वर्ग में पाताल में पृथ्वी पर भद्रक के वास होने से क्या फल प्राप्त होता है आदि की स्थिति कार्य की सफलता से निर्भर करती है.
होलिका दहन शुभ मुहूर्त
होलिका दहन 17 मार्च 2022 को शुभ मुहूर्त रात में 9 बजकर 16 मिनट से लेकर 10 बजकर 16 मिनट तक ही रहेगा. ऐसे में होलिका दहन की पूजा के लिए सिर्फ 1 घंटे 10 मिनट का ही समय ही है.
होलिका दहन की आवश्यक पूजा सामग्री
गाय के गोबर से बनी होलिका
बताशे
रोली
साबुत मूंग
गेंहू की बालियां
साबुत हल्दी
फूल
कच्चा सूत
जल का लोटा
गुलाल
मीठे पकवान या फल
Holika Dahan Significance: बैक्टीरिया को दूर करती है होलिका की अग्नि
होलिका दहन करने से यह हमारे आसपास के वातावरण से बैक्टीरिया को दूर करता है. इसके साथ ही अग्नि के चारों ओर परिक्रमा करने से शरीर में नई ऊर्जा आती है, जो इस मौसम में हुए कफ दोष से निजात पाने में मदद करता है. दक्षिण भारत में होलिका दहन के बाद लोग होलिका की बुझी आग की राख को माथे पर विभूति के तौर पर लगाते हैं और अच्छे स्वास्थ्य के लिए वे चंदन तथा हरी कोंपलों और आम के वृक्ष के बोर को मिलाकर उसका सेवन करते हैं. ये सारी क्रियाएं शरीर से रोगों को दूर करने में बहुत मददगार होते हैं.
Holika Dahan Importance: होलिका दहन का वैज्ञानिक महत्व जानें
होली शिशिर और बसंत ऋतु के बीच में मनाई जाती है. इस समय भारत में मौसम बहुत तेजी से बदलता है. दिन में हम गर्मी का अनुभव करते हैं तो रात में ठण्ड का. शिशिर ऋतु में ठंड के प्रभाव से शरीर में कफ की मात्रा अधिक हो जाती है जबकि वसंत ऋतु में तापमान बढ़ने पर कफ के शरीर से बाहर निकलने की क्रिया में कफ दोष पैदा होता है, जिसके कारण सर्दी, खांसी, सांस की बीमारियों के साथ ही गंभीर रोग जैसे खसरा, चेचक आदि होते हैं. इस तरह यह समय बीमारियों का समय होता है. हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक इस समय आग जलाने से वातावरण में मौजूद बैक्टीरिया नष्ट हो जाते है.
होलिका दहन 2022 की डेट
इस वर्ष पूर्णिमा तिथि 17 मार्च 2022 को दोपहर 01:29 बजे से शुरू होकर 18 मार्च दोपहर 12:52 मिनट तक रहेगी. जबकि 17 मार्च को ही 01:19 बजे से भद्राकाल शुरू हो जाएगा और देर रात 12:58 बजे तक रहेगा, ऐसे में भद्राकाल होने के कारण शाम के समय होलिका दहन (When is Holika Dahan in 2022) नहीं किया जा सकेगा. चूंकि होलिका दहन के लिए रात का समय उपर्युक्त माना गया है, ऐसे में 12:58 बजे भद्राकाल समाप्त होने के बाद होलिका दहन संभव हो सकेगा. रात के समय होलिका दहन करने के लिए शुभ समय 12:58 बजे से लेकर रात 2:12 बजे तक है.
Holi Date and Time 2022 in India, होली 2022 की डेट
पंचांग के अनुसार होली 19 मार्च को मनायी जानी चाहिए. हालांकि होली को लेकर ये परंपरा है कि इसे होलिका दहन या छोटी होली के अगले दिन मनाया जाता है. ऐसे में कुछ जगहों पर होली 18 तारीख को भी मनाई जा रही है.
जानिए होलिका दहन पूजन विधि
शाम के समय पूजा करके होलिका जलाएं और उसकी तीन परिक्रमा करें. वहीं भगवान नरसिंह का ध्यान करते हुए पाचों अनाज को अग्नि में अर्पित कर दें. परिक्रमा करते हुए अर्घ्य दें, 3 या 7 बार परिक्रमा करते हुए होलिका पर कच्चा सूत लपेटें. फिर गोबर के बड़कुले, चने की बालों, जौ और गेहूं होलिका में डालें. गुलाल डालें और जल भी चढ़ाएं. होलिका जलने के बाद उसकी भस्म को अपने घर ले जाएं और उसे पूजा वाले स्थान पर रख दें. ऐसा करने से घर पर सुख- समृद्धि का वास रहेगा। साथ ही मां लक्ष्मी का आशीर्वाद हमेशा बना रहेगा.
होलिका दहन की तैयारी
सुबह उठकर स्नान कर लें और अगर होलिका व्रत रखना चाहते हैं तो व्रत का संकल्प लें. दोपहर के समय जिस जगह होलिका दहन करना चाहते हैं उस स्थान को साफ कर लें. वहां होलिका का सभी सामान सूखी लकड़ी, उपले, सूखे कांटे रख दें. गोबर से होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमा बनाएं. नरसिंह भगवान की पूजा करें. भगवान को पूजन सामग्री अर्पित करें.
होलिका दहन की पौराणिक कथा (Holika Dahan Katha)
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, हिरण्यकशिपु का ज्येष्ठ पुत्र प्रह्लाद, भगवान विष्णु का परम भक्त था. पिता के लाख कहने के बावजूद प्रह्लाद विष्णु की भक्ति करता रहा. दैत्य पुत्र होने के बावजूद नारद मुनि की शिक्षा के परिणामस्वरूप प्रह्लाद महान नारायण भक्त बना. असुराधिपति हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मारने की भी कई बार कोशिश की परन्तु भगवान नारायण स्वयं उसकी रक्षा करते रहे और उसका बाल भी बांका नहीं हुआ. असुर राजा की बहन होलिका को भगवान शंकर से ऐसी चादर मिली थी जिसे ओढ़ने पर अग्नि उसे जला नहीं सकती थी. होलिका उस चादर को ओढ़कर प्रह्लाद को गोद में लेकर चिता पर बैठ गई. दैवयोग से वह चादर उड़कर प्रह्लाद के ऊपर आ गई, जिससे प्रह्लाद की जान बच गई और होलिका जल गई. इस प्रकार हिन्दुओं के कई अन्य पर्वों की भाँति होलिका-दहन भी बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है.
होलिका दहन बृहस्पतिवार, मार्च 17, 2022 को
होलिका दहन मुहूर्त - 09:06 शाम से 10:16 शाम
अवधि - 01 घण्टा 10 मिनट्स
रंगवाली होली शुक्रवार, मार्च 18, 2022 को
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - मार्च 17, 2022 को 01:29 शाम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - मार्च 18, 2022 को 12:47 शाम बजे
होलिका दहन हिन्दु मध्य रात्रि के बाद
वैकल्पिक मुहूर्त- हिन्दु मध्य रात्रि के बाद - 01:12 सुबह से 06:28 सुबह, मार्च 18
अवधि - 05 घण्टे 16 मिनट्स
होलिका विभूति वंदना मंत्र
वन्दितासि सुरेंद्रेण ब्रहमणा शङ्करेण च |
अतस्त्वं पाहि नो देवी भूते भूति प्रदे भव ||
(आप इंद्र, ब्रह्म एवं शंकर द्वारा पूजा की गयी हैं, इसलिए हे देवी, मेरी रक्षा करो. हे भूते तुम ऐश्वर्य प्रदायनी हो.)
होलिका दहन मंत्र
दीपयान्यद्यतेघोरे चिति राक्षसि सप्तमे |
हिताय सर्व जगत प्रीतये पार्वति पतये ||
Holika Dahan Puja Samagri: पूजा हेतु सामग्री
कच्चा सूत, तांबे के लोटे में जल, चावल, सुगंध, पुष्प, 8 पुरी, हल्दी, लौंग, तेजपत्र, कपूर, गेहूं की बालें, नारियल, बताशा या कोई मिठाई तथा रोली/कुंकुम.