कोलकाता (नवीन कुमार राय) : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस को घेरने की चौतरफा रणनीति बनाकर भारतीय जनता पार्टी मैदान में कूद पड़ी है. पश्चिम बंगाल चुनाव 2021 से पहले राज्य में बाहरी बनाम हाउस मैन की लड़ाई चरम पर है. इसके लिए भाजपा बांग्ला भाषा में दक्ष नेताओं और मंत्रियों को खास तरजीह दे रही है.
भाजपा ने जिन लोगों को बंगाल में जिम्मेदारी दी है, उन्हें खास निर्देश दिया गया है कि लोगों के बीच संवाद स्थापित करने लायक बांग्ला भाषा सीख लें. भाजपा इस कदम से तृणमूल कांग्रेस के घरेलू बनाम बाहरी के हथियार को कुंद (भोथरा) करना चाहती है. अगर आप पश्चिम बंगाल के मतदाता हैं, तो इंतजार कीजिए.
आपके घर कभी भी भारत सरकार या मध्यप्रदेश सरकार का कोई भी मंत्री किसी भी दिन उपस्थित हो सकता है. प्यारी-सी मुस्कान के साथ घर में प्रवेश करते ही आपको कह सकते हैं, ‘काकी मां! आमी मालपोआ खामू (चाची मैं मालपुवा खाऊंगा).’ भाजपा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देशन में इसी तरह की व्यवस्था और प्रयास किया है.
भाजपा नेतृत्व इस तथ्य से अच्छी तरह से अवगत है कि पार्टी राज्य के सभी हिस्सों में बूथ स्तर पर मजबूत नहीं है. यही कारण है कि उन्होंने चुनाव से पहले इस कमी को पूरी के लिए पार्टी के पांच महासचिवों (संगठन) को भेजा है. रत्नाकर, भीखुभाई दलसानिया, सुनील बंसल, पवन राणा और रवींद्र राजू एक महीना पहले बंगाल पहुंचे. यहीं उन्होंने अपना ठिकाना बना लिया है.
भाजपा ने 8 मंत्रियों संजीव बालियान, गजेंद्र सिंह शेखावत, नित्यानंद राय, अर्जुन मुंडा, नरोत्तम मिश्रा, केशव प्रसाद मौर्य, मनसुख मंडाविया और प्रह्लाद सिंह पटेल को राज्य भर में राजनीतिक अभियान चलाने के लिए भेजा है. राज्य की 42 लोकसभा सीटों को आठ मंत्रियों में विभाजित किया गया है. भाजपा सूत्रों के अनुसार, शाह ने अपने बंगाल दौरे के समय बीते शनिवार रात को एक होटल में पार्टी की बैठक में 13 लोगों को जिम्मेदारियां सौंपी थी.
उन्होंने कहा था कि पार्टी कार्यकर्ताओं और मतदाताओं का दिल जीतने के लिए बंगला सीखने की कोशिश करनी चाहिए. हमें बंगालियों का खानपान भी सीखना होगा. उन 13 लोगों में से जो शाकाहारी हैं, उन्हें बंगाली शैली की दाल, चावल, सब्जी, खाना और बनाना सीखना होगा. पांच महासचिवों को महीने में कम से कम 15 दिन और राज्य में आठ मंत्रियों को सप्ताह में कम से कम दो दिन राज्य में बिताना है.
उदाहरण के लिए, भीखुभाई पहले से ही बंगला बोल लेते हैं. उन्होंने किताबें एकत्र करके बंगाली वर्णमाला सीखना शुरू कर दिया है. कैलाश विजयवर्गीय खुद को बंगाल का जमाई कहते हैं. यही हाल भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का है. लिहाजा, ये लोग खुद को बाहरी बताये जाने से बेहद खफा हैं. ऐसे में आठ मंत्री कभी होटल में रुकते हैं, कभी पार्टी नेताओं के घर पर.
जैसे ही भाजपा ने बाहर से नेताओं को लाना शुरू किया, तृणमूल ने ‘बाहरी’ लेबल के साथ चुनाव प्रचार शुरू कर दिया. राजनीतिक खेमे की राय है कि ‘हाउस मैन’ बनने की यह रणनीति उसके तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ जा रही है, क्योंकि तृणमूल कांग्रेस ने बाहरी की थ्योरी खड़ी करके अखंड भारत पर सवालिया निशान लगा दिया है.
उधर, आम लोगों का मानना है कि जब एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के लिए वीजा या परमिट नहीं लगता, तो आप किसी को बाहरी कैसे करार दे सकते हैं. इसी मुद्दे को लेकर शाह के सिपहसालार अब बंगाल का हाउस मैन बनकर तृणमूल कांग्रेस व ममता बनर्जी को घेरने की तैयारी में हैं, ताकि मिशन बंगाल के (200 सीट) के टार्गेट को पूरा किया जा सके.
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Posted By : Mithilesh Jha