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साल भर में कुल कितनी होती हैं संक्रांति, जानें मकर संक्रांति से जुड़े पर्व-त्योहारों के नाम और महत्व

Makar Sankranti 2024: सूर्य जब एक राशि से दूसरे राशि में गोचर करते है, उस समय को संक्रांति के नाम से जाना जाता है. सूर्य एक वर्ष में 12 बार राशि परिवर्तन करते है. आइए जानते है कि मकर संक्रांति से जुड़े पर्व-त्योहारों के नाम और महत्व

Makar Sankranti 2024: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक वर्ष में कुल 12 संक्रान्तियां होती हैं, जिसमें चार संक्रांति मेष, कर्क, तुला और मकर संक्रांति बहुत महत्वपूर्ण मानी गई हैं. संक्रान्ति का अर्थ है, ‘सूर्य का एक राशि से अलगी राशि में जाने का समय. अतः पूरे वर्ष में कुल 12 संक्रान्तियां होती हैं. आन्ध्र प्रदेश, तेलंगण, कर्नाटक, उत्तराखण्ड, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल, ओडिशा, पंजाब और गुजरात में संक्रान्ति के दिन ही मास का आरम्भ होता है, जबकि बंगाल और असम में संक्रान्ति के दिन महीने का अन्त माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं. शनिदेव मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं. लिहाजा यह पर्व पिता-पुत्र के अनोखे मिलन से भी जुड़ा है.

सभी संक्रान्तियां

  • मेष संक्रान्ति

  • वृष संक्रान्ति

  • मिथुन संक्रान्ति

  • कर्क संक्रान्ति

  • सिंह संक्रान्ति

  • कन्या संक्रा

  • तुला संक्रान्ति

  • वॄश्चिक संक्रान्ति

  • धनु संक्रान्ति

  • मकर संक्रान्ति

  • कुम्भ संक्रान्ति

  • मीन संक्रान्ति

मकर संक्रांति से जुड़े त्योहार

भारत में मकर संक्रांति के दौरान जनवरी माह में नई फसल का आगमन होता है, इस मौके पर किसान फसल की कटाई के बाद इस त्योहार को धूमधाम से मनाते हैं. भारत के हर राज्य में मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है.

पोंगल का त्योहार

पोंगल दक्षिण भारत में विशेषकर तमिलनाडु, केरल और आंध्रा प्रदेश में मनाया जाने वाला हिंदू पर्व है. पोंगल विशेष रूप से किसानों का पर्व है. इस मौके पर धान की फसल कटने के बाद लोग खुशी प्रकट करने के लिए पोंगल का त्योहार मानते हैं. पोंगल पर्व के पहले दिन कूड़ा-कचरा जलाया जाता है, दूसरे दिन लक्ष्मी की पूजा होती है और तीसरे दिन पशु धन को पूजा जाता है.

उत्तरायण

उत्तरायण खासतौर पर गुजरात में मनाया जाने वाला पर्व है. नई फसल और ऋतु के आगमन पर यह पर्व 14 और 15 जनवरी को मनाया जाता है, इस मौके पर गुजरात में पतंग उड़ाई जाती है, इसके साथ ही पतंग महोत्सव का आयोजन किया जाता है. उत्तरायण पर्व पर व्रत रखा जाता है और तिल व मूंगफली दाने की चक्की बनाई जाती है.

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लोहड़ी

लोहड़ी विशेष रूप से पंजाब में मनाया जाने वाला पर्व है, जो फसलों की कटाई के बाद 13 जनवरी को धूमधाम से मनाया जाता है. इस मौके पर शाम के समय होलिका जलाई जाती है और तिल, गुड़ और मक्का अग्नि को भोग के रूप में चढ़ाई जाती है.

माघ/भोगली बिहू

असम में माघ महीने की संक्रांति के पहले दिन से माघ बिहू यानि भोगाली बिहू पर्व मनाया जाता है. भोगाली बिहू के मौके पर खान-पान धूमधाम से होता है, इस समय असम में तिल, चावल, नरियल और गन्ने की फसल अच्छी होती है. इसी से तरह-तरह के व्यंजन और पकवान बनाकर खाये और खिलाये जाते हैं.

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