लॉन्ग जंप में झारखंड का नाम रोशन करनेवाले राष्ट्रीय खिलाड़ी ऋतिक आनंद का सपना कैसे बिखर गया, पढ़िए ये रिपोर्ट
हजारीबाग (जमालउद्दीन) : सुविधाओं के अभाव में लॉन्ग जंप के राष्ट्रीय खिलाड़ी ऋतिक आनंद का कैरियर दांव पर है. उसका सपना कॉमनवेल्थ गेम से एशियाड तक पहुंचने का है. हजारीबाग के ऋतिक आनंद ने झारखंड सीनियर स्टेट प्रतियोगिता में 7.29 मीटर लॉन्ग जंप कर 2019 में गोल्ड मेडल प्राप्त किया था. उसके बाद इस खिलाड़ी ने 2015 में भोपाल में आयोजित इंडिया सेलेक्शन ट्रायल में गोल्ड मेडल प्राप्त किया था. इस प्रतियोगिता में 56 देशों के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था. चीन में भी ऋतिक फाइनलिस्ट बना और सातवें स्थान पर रहा. वहीं 60वां स्कूल नेशनल गेम-2015 में सिल्वर मेडल जीता. विनोबाभावे विश्वविद्यालय से तीन बार ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी प्रतियोगिता में भाग लेकर फाइनलिस्ट रहा.
हजारीबाग (जमालउद्दीन) : सुविधाओं के अभाव में लॉन्ग जंप के राष्ट्रीय खिलाड़ी ऋतिक आनंद का कैरियर दांव पर है. उसका सपना कॉमनवेल्थ गेम से एशियाड तक पहुंचने का है. हजारीबाग के ऋतिक आनंद ने झारखंड सीनियर स्टेट प्रतियोगिता में 7.29 मीटर लॉन्ग जंप कर 2019 में गोल्ड मेडल प्राप्त किया था. उसके बाद इस खिलाड़ी ने 2015 में भोपाल में आयोजित इंडिया सेलेक्शन ट्रायल में गोल्ड मेडल प्राप्त किया था. इस प्रतियोगिता में 56 देशों के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था. चीन में भी ऋतिक फाइनलिस्ट बना और सातवें स्थान पर रहा. वहीं 60वां स्कूल नेशनल गेम-2015 में सिल्वर मेडल जीता. विनोबाभावे विश्वविद्यालय से तीन बार ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी प्रतियोगिता में भाग लेकर फाइनलिस्ट रहा.
ऋतिक को हैदराबाद में आयोजित नेशनल सीनियर चैंपियनशिप में लॉन्ग जंप के दौरान पैर में चोट लगी थी. खिलाड़ी के अनुसार वह झारखंड का प्रतिनिधित्व कर रहा था, लेकिन इसके बाद झारखंड सरकार के खेल विभाग और अन्य संस्थाओं से किसी तरह की मदद नहीं मिली. ऋतिक के अनुसार वह पिछले एक साल से इलाज करा रहा है. अब धीरे-धीरे फिर से लॉन्ग जंप की प्रैक्टिस शुरू की है.
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लॉन्ग जंप के नेशनल खिलाड़ी ऋतिक आनंद ने कहा कि उसका खेल से कैरियर बनाने का सपना है. ऋतिक ने हजारीबाग के सरस्वती शिशु विद्या मंदिर और अन्नदा कॉलेज से इंटर तक की पढ़ाई के दौरान लॉन्ग जंप की कई स्कूली प्रतियोगिताओं में मेडल हासिल किया है. ऋतिक ने कहा कि जूनियर और सीनियर ग्रुप में बेहतर प्रदर्शन के बाद भी केंद्र या राज्य सरकार के किसी संस्था में भी कोई नौकरी की पेशकश नहीं की गयी. अब सीनियर खिलाड़ी के रूप में कोच मो शब्बीर के मार्गदर्शन में अभ्यास शुरू किया है. चिंता इस बात की है कि सरकार यदि नौकरी उपलब्ध नहीं करायेगी, तो जीवन में आगे क्या करेंगे. ऋतिक की ख्वाहिश है कि जीवन भर खेल के क्षेत्र से जुड़ा रहे. झारखंड की युवा पीढ़ी को प्रशिक्षित करने की भी इस खिलाड़ी की ख्वाहिश है.
ऋतिक आनंद हजारीबाग नूरा रोड के रहनेवाले हैं. पिता सुनील जायसवाल, माता बबीता देवी और बहन अनु जायसवाल हैं. बचपन के इनके कोच मो शब्बीर रहे हैं. इन्हीं के मार्गदर्शन में इन्होंने जिला से लेकर नेशनल प्रतियोगिता में मेडल प्राप्त किया है.
Posted By : Guru Swarup Mishra