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दिहाड़ी मजदूर से आईएएस बनने तक का सफर, राम भजन ने कैसे पूरा किया अपना सपना, पढ़ें सक्सेस स्टोरी

Laborer Cracks UPSC Exam: राम भजन के बारे में कहा जा सकता है कि जहां चाह वहां राह. चाहत और कुछ कर दिखने का जज्बा मन में लिए राम ने कड़ी मेहनत की और यूपीएससी की परीक्षा में 667वीं रैंक हासिल करने में सफल रहे. आगे पढ़ें पूरी स्टोरी

Laborer Cracks UPSC Exam: संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) हर साल यूपीएससी परीक्षा आयोजित करता है, लेकिन केवल कुछ ही होनहार बच्चे परीक्षा में सफल हो पाते हैं. इन यूपीएससी उम्मीदवारों में से एक बच्चा राम भजन थे, जो एक कभी एक दिहाड़ी मजदूर हुआ करते थे, जो हर दिन पत्थर तोड़कर पैसा कमाते थे, लेकिन अब एक आईएएस अधिकारी हैं.

राजस्थान के बापी से हैं राम

राम भजन राजस्थान के बापी नाम के एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं. गरीब होने के कारण उनके पास रहने के लिए घर भी नहीं था. राम भजन के बारे में कहा जा सकता है कि जहां चाह वहां राह. चाहत और कुछ कर दिखने का जज्बा मन में लिए राम ने कड़ी मेहनत की और यूपीएससी की परीक्षा में 667वीं रैंक हासिल करने में सफल रहे. अब वो एक आईएएस अधिकारी हैं.

प्रेरणा से कम नहीं राम भजन की कहानी

राम भजन की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है. हालांकि वह अब एक स्थापित सरकारी अधिकारी हैं, लेकिन यूपीएससी परीक्षा मे टॉप हुए राम भजन ने गरीबी को काफी करीबी से देखा है, गरीबी से जूझ रहे एक गांव में विपरीत परिस्थितियों से गुजरकर दिहाड़ी मजदूर के रूप में अपना जीवन यापन करते हुए राम ने अपने सपनों को मरने नहीं दिया और कड़ी मेहनत करके अपने सपनों को पूरा करके दिखाया.

दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते थे राम भजन

वह सालों पहले अपनी मां के साथ दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते थे. राम भजन को रोजाना कई घंटों तक पत्थर तोड़ने का काम सौंपा जाता था, जबकि उनकी मां रोजाना भारी वजन उठाया करती थीं. यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफल होने वाले राम को हर दिन लगभग 25 कार्टन पत्थर पहुंचाने का काम सौंपा गया था. दिन के अंत में, राम भजन केवल 5 से 10 रुपये ही कमा पाते थे, जो दिन में एक बार भोजन करने के लिए भी पर्याप्त नहीं था.

दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल थे राम

आईएएस अधिकारी राम भजन ने अपने शुरुवाती दिनों में बहुत ही तकलीफ झेली. गरीब परिवार से होने के कारण घर में आर्थिक तंगी थी जिससे खुद को और घर का पालन पोषण करने के लिए घर पर पाली गई बकरियों का दूध बेच कर पैसे कमाया करते थे. इस व्यवसाय का नेतृत्व राम भजन के पिता करते थे, जिनका कोविड-19 महामारी के दौरान अस्थमा से पीड़ित होने के बाद निधन हो गया. अपने पिता की मृत्यु के बाद, राम भजन का परिवार गरीबी में और अधिक घिर गया. जिसके बाद उन्होंने अपनी मां के साथ मिल कर शारीरिक श्रम के माध्यम से अपना जीवन यापन करना शुरू किया. हालांकि, उन्होंने कड़ी मेहनत से पढ़ाई की और दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल की नौकरी पा ली.

आठवें प्रयास में प्राप्त की सफलता

कई वर्षों तक दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल रहने के बाद राम भजन ने अपनी पढ़ाई को जारी रखते हुए 2014 में यूपीएससी की परीक्षा में भाग लिया. पहली बार परीक्षा दे रहे राम भजन परीक्षा को पास नहीं कर पाए जिसके उपरांत उन्होंने दोबारा प्रयास किया किन्तु वह दोबारा भी विफल रहे. हार नहीं मानने की जिद को मन में लिए राम भजन लगातार प्रयास कर रहे थे. 2022 में अपनी 8वें प्रयास करते हुए राम ने सफलता पा ली. राम ने अपने भाग्य पर भरोसा नहीं किया और कड़ी मेहनत करके सफलता हासिल किया.

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