प्रत्येक वर्ष गर्मी में होने वाले पेयजल संकट को देखते हुए हावड़ा नगर निगम ने इस बार पेयजल की बर्बादी और चोरी रोकने के लिए कमर कस ली है. निगम की ओर से एक टीम गठित हुई है. यह टीम पानी की बर्बादी और चोरी को रोकने के लिए बुधवार से सड़क पर उतर गयी है. बताया जा रहा है कि इस टीम के साथ पुलिस वाले भी रहेंगे, ताकि इनकी सुरक्षा बरकरार रहे. इस अभियान की शुरुआत दासनगर के शानपुर इलाके से हुई है. निगम से मिली जानकारी के अनुसार, उन इलाकों को चिह्नित करने का भी काम कर लिया गया है, जहां पानी की चोरी और बर्बादी अधिक होती है. इन जगहों की एक सूची तैयार की गयी है. निगम की यह टीम विशेष टीम रोजाना उन जगहों का दौरा करेगी.
जानकारी के अनुसार, निगम इलाके में ऐसी कई जगहें हैं, जहां नल नहीं रहने के कारण पानी बह जाता है. पानी चोरी होने की भी घटना निगम इलाके में नयी बात नहीं है. सबसे अधिक पानी चोरी की घटना उत्तर हावड़ा में होती है. प्रमोटर चोरी-छिपे पंप लगाकर पानी चोरी करते हैं. इस बारे में पूछे जाने पर निगम के चेयरमैन डॉ सुजय चक्रवर्ती ने कहा कि पानी की किलल्त को दूर करने के लिए कई परियोजनाओं का शिलान्यास कर काम शुरू कर दिया गया है, लेकिन अभी पेयजल संकट को दूर करना निगम के लिए बड़ी चुनौती है. गर्मी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. ऐसे में पानी की बर्बादी और चोरी नहीं हो, इसके लिए सतर्क रहने की जरूरत है. एक टीम गठित हुई है.
यह टीम गश्त लगायेगी और पानी चोरी करने वालों के खिलाफ निगम एक्ट के तहत कानूनी कार्रवाई होगी. मालूम रहे कि बोटेनिकल गार्डेन के अंदर पद्दपुकुर जल परियोजना के तहत गंगा से पानी लेने के लिए एक जेटी है. निगम से मिली जानकारी के अनुसार, गार्डेन प्रबंधन से अनुमति नहीं मिलने के कारण जेटी की मरम्मत और पंप हाउस का निर्माण कार्य रुका हुआ है. यह पंप शुरू होने से पेयजल संकट कम जायेगा. गार्डेन प्रबंधन से अनुमति मिलते ही काम शुरू हो जायेगा. उल्लेखनीय है कि हावड़ा नगर निगम ने इस वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 334 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था, जिसमें जलापूर्ति के लिए आठ करोड़ से 11 करोड़ रुपये आवंटित किये गये.
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पेयजल संकट दूर करने के लिए उत्तर हावड़ा के सलकिया में दूसरा वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जा रहा है. प्लांट के बनने में दो से तीन साल का समय लगेगा. यह प्लांट शुरू होते ही निगम के आधे इलाके में पेयजल संकट दूर हो जायेगा.