निर्देशक सिद्धार्थ आनंद की फिल्म फाइटर सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है. फिल्म में अभिनेता ऋतिक रोशन फाइटर की भूमिका में नजर आ रहे हैं. ऋतिक बताते हैं कि वर्दी पहनना हमेशा से ही बहुत खास होता है. एक अलग ही गर्व का एहसास करवाता है. एयरफोर्स की वर्दी में उन्हें अपनी फिटनेस का विशेष ख्याल रखना पड़ा था, क्योंकि थोड़ा भी वजन बढ़ने से उस वर्दी को पहनना मुश्किल हो जाता है. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.
फाइटर फिल्म देश के सेनानियों पर आधारित है? आपकी देशभक्ति की परिभाषा क्या है ?
मुझे लगता है कि हम सभी देशभक्त हैं. हमें इसे हर वक्त बताने की जरूरत नहीं है. वैसे फिल्म फाइटर से हमें देश के प्रति अपना प्यार और जुनून दिखाने का मौका मिला है. यह फिल्म सेनाओं को एक श्रद्धांजलि है. उन्होंने जोश के साथ एक्शन किया है. ये फिल्म उनकी बहादुरी के बारे में बात करती है.
फाइटर फिल्म में आपके लिए सबसे ज्यादा अपीलिंग क्या था ?
जब स्क्रिप्ट मेरे पास आई थी, तो मैं बहुत इंस्पायर हुआ था. मैं और सिद्धार्थ फिल्म पर चर्चा कर रहे थे. वह जिस तरह की फिल्में बनाते है. उसमें मैं खुद को बहुत आसानी से एक नायक के रूप में देखता हूं. मुझे ऐसी फिल्में पसंद हैं. यह मेरे डीएनए में है. इस फिल्म से जुड़ी यह एक लंबी जर्नी रही है. जब सिद्धार्थ ने इस फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ी, तो मैं थोड़ा झिझक रहा था क्योंकि यह एक बड़ी फिल्म है और इसका स्केल लार्जर देन लाइफ है और अब तक मैंने जो भी फिल्में की हैं. उनसे अलग है. मैं डर गया था क्योंकि वह इस ब्लॉकबस्टर से रियलिटी भी जोड़ रहे थे. मेरा किरदार पैटी एक स्क्वाड्रन लीडर का है जो न तो कृष है और न ही कबीर इसलिए मुझे गियर बदलना पड़ा और फिल्म साइन करनी पड़ी क्योंकि मैं एक अभिनेता हूं, स्टार नहीं. एक अभिनेता बनने के लिए मुझे अपनी जड़ों की ओर वापस जाना पड़ा और इस फिल्म के लिए मुझे अभिनेता बनना पड़ा. अभिनेता के रूप में हमें निर्देशक की बात माननी चाहिए. उनके विजन के अनुसार काम करना है. इस फिल्म में हम सभी ने यही किया है. हम फिल्म को ऐसे देखेंगे जैसे यह कुछ ऐसा था,जो हमने पहले कभी नहीं किया था. यह एक अलग फिल्म है जो वायु सेना के लोगों की जीवनशैली को दर्शाती है.
फिल्म में आप फाइटर बनें हैं ,असल जिन्दगी में आपके लिए फाइटर कौन है ?
मैं अपने पिता और अपने दादा के संघर्ष की कहानियों को देखकर और सुनकर बड़ा हुआ हूं. मेरे लिए फाइटर हैं. मैं आज जहां भी हूं, उनकी वजह से हूं. मैं इसके लिए हमेशा उनका शुक्रगुजार रहूंगा.
असल जिंदगी में कोई ऐसा पल जब आपको खुद फाइटर बनना पड़ा हो?
मेरा मानना है कि हम सभी में फाइटिंग स्पिरिट होती है. हर दिन कई तरह की समस्याओं को लेकर आता है. सोच यह होनी चाहिए कि आप इसका आनंद लेना शुरू करें और फिर यह एक खेल बन जाता है. आप हर समस्या को पार कर लेते हैं ,जो आपको बेहतर से बेहतर बनाता चला जाता है. हर फिल्म एक नयी लड़ाई है. यदि आप एक फाइटर हैं तो आप इसको एन्जॉय करेंगे क्योंकि यह आपको उन सीमाओं से परे ले जाएगा , जिनके आप आदी रहे हैं. मैं यहां शारीरिक मेहनत के बारे में बात नहीं करना चाहता हूं, जो हमने की है क्योंकि हर कोई ऐसा करता है. लेकिन हां, मैं उन अवसरों के लिए आभारी हूं कि जो मुझे हर दिन एक नई लड़ाई लड़ने का मौका देते हैं.
दीपिका पादुकोण के साथ आपकी पहली बार ऑन स्क्रीन जोड़ी बनी है, उनके साथ को किस तरह से परिभाषित करेंगे ?
मौजूदा दौर की वह ऐसी अभिनेत्री हैं, जिनके साथ हर कोई काम करना चाहता है. दीपिका परदे पर एफर्टलेस हैं. मैं एक घटना का यहां जिक्र करना चाहूंगा. फिल्म का गीत है. शेर खुल गए. उसके हुकअप स्टेप के लिए मैं बहुत ही मेहनत कर रहा था, लेकिन दीपिका को जब मैंने देखा तो वह बहुत ही सहजता से वह स्टेप कर रही थी. वह मुझे भी अपने स्टेप्स में चाहिए था. मैंने दीपिका को कहा कि वह मुझे स्टेप सिखाए.