Dhanbad News: जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था डॉक्टरों और कर्मियों की कमी झेल रही है. धनबाद जिले में कुल 38 स्वास्थ्य केंद्र संचालित हैं. इनमें 30 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) व अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (एपीएचसी) शामिल है. जिले के आठ प्रखंड में सभी 38 सीएचसी व एपीएचसी में ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करायी जाती है.
53 डॉक्टर ही हैं पदस्थापित
धनबाद सदर, तोपचांची, झरिया, गोविंदपुर, निरसा, बाघमारा, बलियापुर व टुंडी में क्रमश: एक-एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व आठ प्रखंडों में कुल 30 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित है, जहां लोगों का इलाज किया जाता है. जबकि, स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति यह है कि आठ प्रखंड मिलाकर बनाये गये 38 में 53 डॉक्टर ही पदस्थापित हैं. अलग-अलग स्वास्थ्य केंद्रों में 51 पद अब भी रिक्त हैं. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोग बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं से अब भी वंचित हैं. डॉक्टरों की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण लोगों को इलाज कराने के लिए निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ रहा है.
जानिए, स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति (सीएचसी व एपीएचसी)
प्रखंड कुल केंद्र स्वीकृत डॉक्टर पदस्थापित खाली
धनबाद सदर 3 6 3 3
तोपचांची 5 15 7 8
झरिया 4 14 9 5
गोविंदपुर 5 15 8 7
टुंडी 5 15 8 7
निरसा 9 23 8 15
बलियापुर 2 9 4 5
बाघमारा 5 15 8 7
टुंडी : रात को नहीं होता मरीजों का इलाज
टुंडी अंतर्गत एक सीएचसी व चार एपीएचसी संचालित है. केंद्र में चिकित्सकों की भारी कमी है. कोई भी डॉक्टर ज्यादा दिन तक केंद्र में नहीं टिकता है. यही वजह है कि छह माह से एक साल में डॉक्टर यहां से अपना ट्रांसफर करवा लेते हैं. रात में मरीजों का इलाज नहीं होता. मरीजों के उपचार के नाम पर भी खेल होता है. केंद्र में इलाज कराने पहुंचने पर उन्हें एसएनएमएमसीएच रेफर कर दिया जाता है. वर्तमान में टुंडी के पांच स्वास्थ्य केंद्र में लोगों के इलाज के लिये पांच डॉक्टर नियुक्त किये गये हैं. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी श्रवन कुमार ने बताया : हम सीमित संसाधन के बल पर मरीजों को अच्छी सेवा देने की कोशिश कर रहे हैं. डॉक्टर्स की कमी है, जो कुछ थे उनका तबादला हो चुका है.
झरिया : डॉक्टरों के साथ कमरों की कमी
झरिया के चासनाला स्थित सीएचसी में डॉक्टरों की कमी है. यहां कमरे भी कम हैं. इस वजह से मरीजों का इलाज प्रभावित हो रहा है. सीएचसी भवन भी जर्जर है. झरिया क्षेत्र के सीएचसी में 30 बेड प्रस्तावित हैं. जबकि, यहां सिर्फ 10 बेड लगाये गये है. सीएचसी के प्रभारी डॉ मिहिर कुमार हैं. इनके अलावा डॉ प्रतिमा दत्ता व सुनील कुमार मरीजों का इलाज करते है. पांच डॉक्टरों को अनुबंध पर रखा गया है. सीएचसी में ब्लड टेस्ट को छोड़ दूसरी जांच की कोई व्यवस्था नहीं है. सीएचसी प्रभारी डॉ मिहिर कुमार ने बताया : डॉक्टरों की कमी के साथ केंद्र में बिल्डिंग व कमरों की भी कमी है. यही वजह है की केंद्र में बेड की संख्या नहीं बढ़ायी जा रही है. सीएचसी के अलावा प्रखंड में तीन एपीएचसी संचालित है.
धनबाद सदर : छह डॉक्टर की जगह तीन कर रहे इलाज
धनबाद सदर में एक सीएचसी व दो एपीएचसी में लोगों का इलाज किया जाता है. तीनों स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों के छह पद स्वीकृत हैं. वर्तमान में तीन डॉक्टरों की नियुक्ति की गयी है. सभी स्वास्थ्य केंद्रों में पर्याप्त मात्रा में दवा उपलब्ध है. शहरी क्षेत्र में स्थित होने के कारण स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों का ज्यादा दबाव नहीं है. रोजाना पांच से दस मरीज ही स्वास्थ्य केंद्र के आउटडोर में इलाज के लिये पहुंचते हैं.
बलियापुर : सीएचसी में आठ माह से रात में इलाज बंद
बलियापुर प्रखंड में करीब दो लाख की आबादी स्वास्थ्य सुविधा के लिये बलियापुर सीएचसी पर निर्भर है. यहां पिछले आठ माह से चिकित्सकों के अभाव में रात्रि इलाज सेवा बंद है. इससे मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सीएचसी में तीन चिकित्सक कार्यरत हैं. चिकित्सकों के सात पद स्वीकृत हैं. बलियापुर सीएचसी के चिकित्सा प्रभारी डॉ राहुल कुमार का कहना है कि चिकित्सीय व्यवस्था में सुधार और कमियों को दूर करने के लिए उपायुक्त को पत्र लिखा गया है.
बाघमारा : डॉक्टर के 15 पद स्वीकृत, आठ के भरोसे इलाज
बाघमारा प्रखंड अंतर्गत एक सीएचसी व चार एपीएचसी संचालित है. इनमें डॉक्टरों के 15 पद स्वीकृत हैं. जबकि, वर्तमान में आठ डॉक्टर मरीजों को अपनी सेवा प्रदान कर रहे हैं. अन्य प्रखंडों की तुलना में बाघमारा की स्थिति बेहतर है. बाघमारा अंतर्गत स्वास्थ्य केंद्र के आउटडोर में प्रति दिन औसतन 50 से 100 मरीज इलाज के लिये पहुंचते हैं. लगभग सभी केंद्रों में रात में इलाज की पूरी व्यवस्था है.